योगिनी एकादशी का व्रत 2 जुलाई दिन मंगलवार को है. इस बार की योगिनी एकादशी त्रिपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में है. ये दोनों ही शुभ योग माने जाते हैं. त्रिपुष्कर योग में आप जो भी कार्य करेंगे, उसका तीन गुना फल प्राप्त होगा. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य के सफल सिद्ध होने की उम्मीद अधिक होती है. योगिनी एकादशी के दिन व्रत रखते हैं और श्रीहरि विष्णु की पूजा करते हैं. इस व्रत को करने से सभी पाप मिट जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं योगिनी एकादशी की व्रत कथा, मुहूर्त और पारण समय के बारे में.
योगिनी एकादशी की व्रत कथा
एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से आषाढ़ कृष्ण एकादशी व्रत की महिमा और विधि के बारे में बताने का अनुरोध किया. इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि आषाढ़ कृष्ण एकादशी के व्रत को योगिनी एकादशी के नाम से जानते हैं. यह व्रत तीनों लोकों में मुक्ति और सभी प्रकार के भोग प्रदान करने के लिए प्रसिद्ध है. इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं. स्वर्ग की प्राप्ति होती है. यह व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान ही फल देता है. तुम्हें इसकी कथा सुनाता हूं.
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स्वर्ग के अल्कापुरी नगर में कुबेर का राज्य था. वह नित्य ही शिव जी की पूजा करता था. उसके यहां हेमा नामक माली था, जो शिव पूजा के लिए फूल देता था. उसकी पत्नी का नाम विशालाक्षी था, जो बहुत सुंदर थी. एक दिन हेम मनसरोवर से फूल लेकर आया, लेकिन घर पर पत्नी के साथ हास्य-विनोद करने लगा.
दूसरी ओर राजा कुबेर उसके फूल लेकर आने की प्रतीक्षा करता रहा. काफी समय व्यतीत होने के बाद भी जब हेम फूल लेकर नहीं आया तो राजा ने अपने सेवकों को उसके घर भेजा, ताकि वे पता लगा सकें कि माली शिव पूजा के लिए फूल क्यों नहीं लाया. सेवक उसके घर गए, वहां से लौटकर राजा को बताया कि वह पापी और कामी है, पत्नी के साथ हास्य-विनोद कर रहा है.
यह सुनकर राजा क्रोधित हो गया. उसने गुस्से में चिल्लाकर कहा कि माली को दरबार में हाजिर किया जाए. आदेश पर माली हेम डरता कांपता हुआ राजा के समक्ष आया. उसे देखकर कुबेर और क्रोधित हो गया. उसने कहा कि तूने शिव पूजा के लिए फूल नहीं लाया, तूने शिवजी का अपमान किया है. राजा ने उसे श्राप दिया कि वह अपनी पत्नी से अलगाव का दुख सहेगा और पृथ्वी लोक पर कोढ़ी होगा.
श्राप के प्रभाव से हेम स्वर्ग से पृथ्वी पर गिर पड़ा. उसे कोढ़ हो गया और उसकी पत्नी पता नहीं कहां गायब हो गई. पृथ्वी पर हेम अनेक कष्ट सहन करने लगा. जंगलों में अन्न और जल के लिए भटकता रहा. शिव कृपा से उसे पहले की बातें याद थीं. एक दिन वह भटकते हुए मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में पहुंचा. उनको प्रणाम करके वह उनके चरणों में गिर पड़ा. मार्कण्डेय ऋषि ने उससे कष्ट और इस दशा का कारण पूछा तो उसने सबकुछ सच-सच बता दिया. उसने मार्कण्डेय ऋषि से मुक्ति का मार्ग बताने का अनुरोध किया.
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इस पर मार्कण्डेय ऋषि ने उससे कहा कि तुम आषाढ़ माह में योगिनी एकादशी का व्रत विधि विधान से करो. तुम्हारे सभी पाप मिट जाएंगे और तुमको इस कष्ट से मुक्ति मिल सकेगी. मार्कण्डेय ऋषि ने जैसा बताया था, समय आने पर हेम माली ने योगिनी एकादशी का व्रत उस तरह से ही किया. भगवान विष्णु की कृपा से उसके पाप मिट गए. उसका स्वरूप पहले जैसा ही हो गया. उसकी पत्नी भी उसके पास आ गई. वे दोनों स्वर्गलोक में सुखपूर्वक रहने लगे.
योगिनी एकादशी 2024 मुहूर्त और पारण समय
आषाढ़ कृष्ण एकादशी तिथि का प्रारंभ: 1 जुलाई, सोमवार, सुबह 10 बजकर 26 मिनट से
आषाढ़ कृष्ण एकादशी तिथि का समापन: 2 जुलाई, मंगलवार, सुबह 08 बजकर 44 मिनट पर
त्रिपुष्कर योग: 2 जुलाई, 08:42 एएम से पूरे दिन
सर्वार्थ सिद्धि योग: 2 जुलाई, 05:27 एएम से पूरे दिन
योगिनी एकादशी व्रत का पारण समय: 3 जुलाई, 05:28 एएम से 07:10 एएम के बीच
द्वादशी तिथि का समापन: 3 जुलाई, 07:10 एएम पर
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FIRST PUBLISHED : June 30, 2024, 07:57 IST