Monday, October 21, 2024
HomeReligionYogini Ekadashi 2024: एकादशी पर आखिर क्‍यों नहीं खाते चावल? मान्‍यता नहीं,...

Yogini Ekadashi 2024: एकादशी पर आखिर क्‍यों नहीं खाते चावल? मान्‍यता नहीं, जान‍िए इसके पीछे का व‍िज्ञान

Yogini Ekadashi 2024: ह‍िंदू धर्म में एकादशी का बहुत ही महत्‍व है. 2 जुलाई को योग‍िनी एकादशी मनाई जा रही है. धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार योग‍िनी एकादशी का व्रत कई पापों को म‍िटाने वाला होता है. इस व्रत से जीवन में सुख-समृद्ध‍ि आती है. ऐसा माना जाता है कि ये व्रत 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल देता है. एकादशी के दिन चंद्रमा आकाश में 11वें अक्ष पर होता है और इस समय मन की दशा बहुत चंचल होती है, इसलिए एकादशी का व्रत करके मन को वश में किया जाता है. सेलिब्रिटी एस्टोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार एकादशी के विषय में शास्त्र कहते हैं- “न विवेकसमो बन्धुर्नैकादश्याः परं व्रतं’ यानि।। इसका अर्थ है – विवेक के समान कोई बंधु नहीं है और एकादशी से बढ़कर कोई व्रत नहीं है.”

प्रदुमन सूरी के अनुसार, शास्त्र व धर्म ग्रंथो में जितने भी पूजा-पाठ- अनुष्ठान- उपासना – व्रत- उपवास आदि बताए गए हैं, उनका प्रथम एक ही उद्देश्य है वो है मन को एकाग्रचित्त करना. क्योंकि जब तक मन एकाग्रचित नहीं होगा तब तक आपके संकल्प दृढ़ नहीं होंगे और जब तक संकल्प दृढ़ नहीं होंगे तब तक आपको सिद्धियां (उपलब्धियां) प्राप्त नहीं होगी. इसलिए पांच ज्ञान इंद्रियां, पांच कर्म इंद्रियां और एक मन, इन 11 को जो साध ले वो प्राणी एकादशी के समान पवित्र और दिव्य हो जाता है. शास्त्रों के अनुसार शरीर रथ है और बुद्धि उस रथ की सारथी है. हमारे शरीर में कुल 11 इन्द्रियां हैं और मन एकादश यानी ग्यारहवीं इंद्री है.

एकादशी व्रत का वैज्ञानिक आधार

एस्टोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार हमारे शरीर में 75 प्रतिशत जल है. वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो हमारा मस्तिष्क हमारे द्वारा ग्रहण किए गए भोजन को समझने में 3 से 4 दिन लगाता है. अमावस्या और पूर्णिमा के दिन वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के चारों ओर सबसे ज्यादा होने से इन दोनों ही तिथियों में हमारे मन और मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसे में, एकादशी के दिन व्रत करने से इसका सकारात्मक प्रभाव अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों तक मिलता है जिससे मन चंचल नहीं रहता है, डिप्रेशन और तनाव की समस्या नहीं होती है और एकाग्रता बढ़ती है. चूंकि, एकादशी के दिन, अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों की तुलना में वायुमंडलीय दबाव सबसे कम होता है, इसलिए एकादशी के दिन व्रत करने से शरीर बहुत आसानी से शुद्ध होता है, जिससे हमारा मन और शरीर स्वस्थ बना रहता है.

इसलिए चावल का सेवन एकादशी को वर्जित

चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है क्योंकि चावल की खेती पूरी पानी में होती है. इसलिए इसमें जल का प्रभाव अधिक होता है और जल पर चंद्रमा का प्रभाव बहुत है. चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है, इससे मन विचलित और चंचल होता है. इसका कारण है चंद्रमा का संबंध जल से होना, वो जल को अपनी ओर आकर्षित करता है. एकादशी का व्रत रखने वाला व्यक्ति अगर चावल खाए तो चंद्रमा की किरणें उसके शरीर के संपूर्ण जलीय अंश को तरंगित करेंगी, इसके परिणामस्वरूप, जिस एकाग्रता से उसे व्रत के अन्य कर्म-स्तुति पाठ, जप, श्रवण करने होंगे वो सही तरह से नहीं कर पाएगा. मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है, इसलिए चावल खाना वर्जित होता है.

Tags: Astrology, Yogini ekadashi


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular