विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में शामिल होने के लिए 12 पहलवानों को खेल मंत्री मनसुख मांडविया के सरकारी आवास के बाहर डेरा जमाना पड़ा. शुक्रवार को मंत्री के हस्तक्षेप के बाद भारतीय दल को अल्बानिया में होने वाली चैपियनशिप में भारतीय दल के भागीदारी करने की अनुमति मिल गई. हालांकि पहलवान पहले सुप्रीम कोर्ट गए थे, लेकिन उनको बताया गया, कि उनकी याचिका पर अभी सुनवाई नहीं हो सकती आगे की तारीख जरूर मिल सकती है. इसके बाद सभी पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष संजय सिंह के साथ मंत्री के आवास पर गए. बारह गैर ओलंपिक वर्ग की विश्व चैंपियनशिप 28 अक्टूबर से अल्बानिया के तिराना में होनी है.
इससे पहले डब्ल्यूएफआई ने बुधवार को विश्व चैंपियनशिप से हटने का फैसला किया था. क्योंकि साक्षी मलिक के पति पहलवान सत्यव्रत कादियान ने अंडर 23 और सीनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए ट्रायल आयोजित करने के महासंघ के फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था. कादियान ने अपनी याचिका में कहा है कुश्ती महासंघ अदालत के फैसले की अवमानना कर रहा है. अदालत ने कुश्ती संचालन के लिए भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा नियुक्त किए गए तदर्थ पैनल के अधिकार को बहाल कर दिया था. गुरुवार को डब्ल्यूएफआई ने तीनों भारतीय टीमों को चैंपियनशिप से हटाने का फैसला किया और उसने कुश्ती की विश्व संस्था (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) को बताया कि खेल मंत्रालय उसकी स्वायत्तता में हस्तक्षेप कर रहा है. चूंकि डब्ल्यूएफआई को मंत्रालय ने निलंबित कर दिया था और आईओए ने तदर्थ पैनल को बहाल करने से इनकार कर दिया है. इस लड़ाई की वजह से खेल और पहलवानों का भविष्य अधर में लटक गया है.
विश्व चैंपियनशिप के ट्रायल्स में जीत दर्ज करने वाले सभी 12 पहलवानों ने मंत्री के आवास के बाहर डेरा जमाया और उनसे इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया महिलाओं के 65 किग्रा में जगह बनाने वाली मनीषा भानवाला ने पीटीआई से कहा, ‘‘विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करने तक 10-12 साल लग जाते हैं और अब जब यह मौका हमें मिला है तो उसे छीना जा रहा है. आखिर हमारी गलती क्या है.’’ उन्होंने कहा, कि जिन पहलवानों ने विरोध प्रदर्शन किया था उनका करियर समाप्त हो चुका है तो अब वे हमारे करियर के साथ क्यों खेल रहे हैं. जूनियर पहलवानों को उनके समर्थन की जरूरत नहीं है. अगर हमें विश्व चैंपियनशिप के लिए नहीं भेजा गया तो हमें विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
पहलवानों से मुलाकात के बाद खेल मंत्री मांडविया ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कुछ पहलवानों ने आज मुझसे मुलाकात करके इस मुद्दे और अपनी चिंताओं से अवगत कराया है, मैंने निर्देश दिया कि अदालत का मामला अदालत में जारी रहेगा लेकिन पहलवानों को विश्व चैंपियनशिप में भाग लेना चाहिए. उन्हें यह मौका मिलना चाहिए, मुझसे जो कुछ हो सकता था मैंने वह किया है. डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह भी पहलवानों के आवास पर मुलाकात करने गए थे. यह बातचीत तकरीबन एक घंटे चली. संजय सिंह ने भी बाहर आकर कहा, “हमने मंत्री के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की, उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि महासंघ पर अवमानना का आरोप लगाया गया तो वह इसकी जिम्मेदारी लेंगे और टीम की भागीदारी को मंजूरी दे दी. टिकट पहले ही बुक हो चुके हैं और टीम रविवार सुबह निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रवाना होगी.”
उन्होंने कहा, कि हमने मंत्री महोदय के सामने अपनी बात रखी. उन्होंने पूरे धैर्य के साथ हमारी बात सुनी और हर संभव मदद का आश्वासन दिया. उन्होंने इस पर भी चर्चा की कि भारत जब ओलंपिक की मेजबानी करेगा तो खिलाड़ियों के लिए सरकार की क्या योजना है. मनीषा के साथ पिछले साल अल्माटी में स्वर्ण जीतने वाली मानसी अहलावत तथा कीर्ति और बिपाशा भी रहीं. पुरुष फ्रीस्टाइल पहलवान उदित, मनीष गोस्वामी, परविंदर सिंह तथा ग्रीको-रोमन के पहलवान संजीव, चेतन, अंकित गुलिया और रोहित दहिया ने भी हरियाणा से आकर मंत्री के आवास पर मुलाकात की.
पत्रकारों के सवाल पर कि क्या सरकार ने भी डब्ल्यूएफआई पर से निलंबन हटाने का आश्वासन दिया है? संजय सिंह ने कहा, कि मंत्रालय ने कहा है कि वह इसकी समीक्षा करेगा. इसमें एक महीने का समय लग सकता है. हालांकि खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इस बात पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि सरकार का स्पष्ट रवैया है, सभी महासंघ अपनी इच्छानुसार काम कर सकते हैं, सरकार केवल उनकी मदद करती है. देश में खेलों का विकास होना चाहिए और हमारे खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए.