Monday, November 18, 2024
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Women and Mental Health : भारत में क्यों हो रही है कामकाजी महिलाएं तनाव का शिकार ?

Women and Mental Health : भारत में स्त्री और पुरुषों के बीच भिन्नता कई मामलों में देखी गई है,जो दोनों ही पर काफी असर डालते हैं. तार्किक रूप से स्त्रियां पुरुषों से अधिक सामाजिक बाधाओं का सामना करती है. इसके बावजूद भारत में औरतें कामयाबी के नए शिखर को छू रही हैं. ऐसी बहुत सी औरतें हैं जिन्हें उनका हक अभी तक नहीं मिल पाया है और वह अभी भी पितृसत्तात्मक सोच और रीति रिवाज से बंधी हुई हैं. जबकि उदाहरण के तौर पर ऐसी बहुत सी औरतें हैं जो इन सभी रीति रिवाज और पितृसत्तात्मक सोच का खंडन करते हुए आगे बढ़ रही है और सभी जेंडर बॉयसनेस पर प्रश्नवाचक चिन्ह लगा रही हैं. इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए भारत में हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार भारत मैं कामकाजी महिलाएं पुरुषों से अधिक तनाव ग्रस्त हैं.

Women and Mental Health : योर दोस्त ( Your DOST ) की रिपोर्ट

योर दोस्त संस्था ने इमोशनल वैलनेस स्टेट ऑफ़ एम्पलाइज पर एक रिसर्च रिपोर्ट तैयार की है जिसमें इन्होंने 5000 से ज्यादा भारतीय प्रोफेशनल्स का मत जाना है जिससे यह पता चला है कि वर्क स्पेस प्रेशर और तनाव पुरुषों से अधिक स्त्रियों ने महसूस किया है.72.2 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने यह बात स्वीकार की है कि वह बहुत ज्यादा तनाव ग्रस्त है जबकि 53.64%पुरुषों ने इस सवाल पर कहा कि वह भी वर्क प्रेशर से परेशान है. पुरुषों से अधिक महिलाओं को काम और पर्सनल लाइफ के बीच में बैलेंस करने में समस्या का सामना करना पड़ता है, इस समस्या की शिकायत 12%पुरुषों को है जबकि 18% महिलाओं को जिसे ज्ञात होता है कि महिलाओं को इस तरह की समस्या का सामना पुरुषों से अधिक करना पड़ता है.

Women and Mental Health : क्यों होती है वर्किंग वुमन को स्ट्रेस की समस्या

महिलाओं को इस तरह की समस्या होने का सबसे बड़ा कारण होता है वर्क लाइफ बैलेंस की कमी जिसमें शामिल है रिजेक्शन का डर, आत्मविश्वास की कमी और जज किए जाने की एंजायटी. महिलाओं में अक्सर यह पाया गया है कि उन्हें इस बात का तनाव रहता है कि अगर उन्होंने हर जगह खुद को साबित नहीं किया तो लोग उन्हें कमतर आएंगे या उनकी एबिलिटीज पर शक करेंगे .

100 में से केवल 9.27% समय पुरुष तनाव ग्रस्त रहते हैं जबकि महिलाएं पूरे समय में से 20%समय तनाव ग्रस्त रहतीं हैं.

इस रिपोर्ट के अन्य जानकारी के अनुसार 64% महिलाएं यंग एम्पलाइज है जिनमें हाई स्ट्रेस स्तर पाया गया है.31 से 40 वर्षीय कामकाजी महिलाओं सबसे ज्यादा तनाव ग्रस्त होती है (5.18%) जबकि 41 से 50 वर्षीय महिलाएं सबसे कम तनावग्रस्त होती हैं .

इस रिसर्च के अनुसार यंग कामकाजी महिलाएं मेंटल हेल्थ कंसर्न के बारे में ज्यादा खुल कर बात करना चाहती हैं लेकिन उनके तनाव का मुख्य कारण भी उनके दोस्त परिवार और कामकाज ही होते हैं.

योर दोस्त के मुख्य साइकोलॉजी ऑफिसर ने कुछ मापदंड और बदलाव का सुझाव दिया है. इस स्थिति को बेहतर करने के लिए ऐसे कुछ उपाय है कामकाज के तरीकों में बदलाव, ऑर्गेनाइजेशंस को पल्स सर्वे को प्राथमिकता देना, अपने एम्पलाइज से और एम्पलाइज के बीच में संपर्क और बातचीत बनाए रखना.

Women and Mental Health : इस तरह के कुछ बदलावों से बढ़ते वर्कलोड से होने वाले तनाव से बचाव किया जा सकता है. काम का स्ट्रेस सभी को होता है, लेकिन खुद को बेहतर साबित करने का स्ट्रेस लेने वाले महिलाएं और पुरुष कभी भी अपने अंदर आत्मविश्वास जागृत नहीं कर पाते हैं,इसीलिए वह तनाव और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का बहुत कम उम्र में शिकार हो जाते हैं, जो आपके काम, पर्सनल लाइफ, परिवार और सबसे जरूरी आपकी सेहत पर असर डालता है. इसलिए बेहतर यह होगा कि आप खुद को आवश्यकता से अधिक प्रेशराइज ना करें और उतनी ही चिंता करें जितना जरूरी हो. इस बात का ध्यान हमेशा रखें कि सब कुछ आपके कंट्रोल में नहीं हो सकता और फ्री माइंड से कम करें क्योंकि स्ट्रेस लेने से केवल नुकसान होता है. इसके अलावा अपने वर्क लाइफ बैलेंस को मेंटेन रखने की कोशिश करें और समय-समय पर अपने प्रिय जनों से या दोस्तों से अपनी मेंटल हेल्थ के बारे में बात करते रहें.


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