Winter Soltice 2024: सर्दियों का मौसम अब हमारे दरवाजे पर है. दिन छोटे होते जा रहे हैं और रातें लंबी होती जा रही हैं. 21 दिसंबर का दिन विशेष है, क्योंकि इस दिन साल की सबसे लंबी रात होगी, जो लगभग 16 घंटे तक चलेगी, जबकि दिन केवल 8 घंटे का होगा. इसे शीतकालीन संक्रांति के नाम से जाना जाता है. इस दिन पृथ्वी की सूर्य से दूरी अधिक होती है और चाँद की रोशनी पृथ्वी पर अधिक समय तक बनी रहती है. शीतकालीन संक्रांति का कारण यह है कि पृथ्वी अपने ध्रुव पर 23.4 डिग्री की झुकाव पर होती है.
विंटर सोल्स्टिस नाम कैसे पड़ा?
सोल्सटिस एक लैटिन शब्द है, जो सोल्स्टिम से उत्पन्न हुआ है. लैटिन में ‘सोल’ का अर्थ सूर्य है, जबकि ‘सेस्टेयर’ का अर्थ स्थिर रहना है. इन दोनों शब्दों के संयोजन से सोल्स्टिस का निर्माण हुआ है, जिसका अर्थ है सूर्य का स्थिर रहना. इस प्राकृतिक परिवर्तन के कारण, 21 दिसंबर को वर्ष का सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होने वाली है.
इस दिन रात का समय सबसे लंबा
इस साल 21 दिसंबर को वर्ष का सबसे छोटा दिन होगा. पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के दौरान, एक ऐसा दिन आता है जब दक्षिणी गोलार्ध में सूर्य की पृथ्वी से दूरी अधिकतम होती है. इस कारण, 21 दिसंबर का दिन वर्ष का सबसे छोटा होने वाला है और इस दिन रात का समय सबसे लंबा होता है. इसे विंटर सोलस्टाइस के नाम से जाना जाता है.
कुछ वर्षों में विंटर सोलस्टाइस की तिथि में परिवर्तन होता है, लेकिन इस दिन का समय 20 से 23 दिसंबर के बीच ही होता है. 21 दिसंबर को सूर्य की पृथ्वी से अधिकतम दूरी के कारण, सूर्य की किरणें धरती पर देर से पहुंचती हैं. इस कारण तापमान में भी थोड़ी कमी देखी जाती है.
विभिन्न देशों में इस दिन कई प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं. पश्चिमी देशों में सबसे प्रमुख त्योहार क्रिसमस है, जो विंटर सोलस्टाइस के तुरंत बाद आता है. इसी प्रकार, चीन और अन्य पूर्वी एशियाई देशों में बौद्ध धर्म के यीन और यांग पंथ से संबंधित लोग विंटर सोलस्टाइस को एकता और समृद्धि को बढ़ावा देने का दिन मानते हैं. विंटर सोलस्टाइस के संबंध में विभिन्न देशों में अलग-अलग मान्यताएँ हैं. अधिकांश देशों में इस दिन से जुड़े कुछ धार्मिक रीति-रिवाज होते हैं.
इस समय भारत में मलमास का समय
जब विंटर सोलस्टाइस आता है, तब भारत में मलमास का समय होता है, जिसे संघर्ष काल भी कहा जाता है. इस संदर्भ में, उत्तर भारत में श्रीकृष्ण को भोग अर्पित करने और गीता का पाठ करने की परंपरा है, जबकि 22 दिसंबर से राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में पौष उत्सव की शुरुआत होती है. सूर्य के उत्तरायण की प्रक्रिया विंटर सोलस्टाइस से प्रारंभ होती है, इसलिए भारत में इसका विशेष महत्व है.