Lord Shiva Rudra Mahayagya: देवों के देव भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए रुद्र अनुष्ठान किया जाता है. अनुष्ठान के साथ भगवान शिव का अभिषेक पवित्र जल, दूध, शहद, दही, घी, गंगा जल, गन्ने का रस और बेल पत्र जैसी सामग्रियों से किया जाता है. हालांकि प्रत्येक सामग्री का अलग फल प्राप्त होता है. जुलाई में सावन के सोमवार शुरू होने वाले हैं और सावन में इस यज्ञ का महत्व और भी बढ़ जाता है. “रुद्र“ भगवान शिव का एक प्राचीन नाम है और “अभिषेक“ का अर्थ है स्नान या पवित्र जल से अभिषेक करना. सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार इस अनुष्ठान को करने के बाद व्यक्ति के मानसिक तनाव और चिंता में कमी आती है. जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प योग है, वह खत्म हो जाता है. इसके साथ ही गृह क्लेश, टोना-टोटके भी बेअसर हो जाते हैं. यज्ञ में भाग लेने से पूर्व जन्मों के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. भोलेनाथ की कृपा से इस जन्म में भी कुंडली के पातक और महापातक कर्म जलकर नष्ट हो जाते हैं.
रुद्र अनुष्ठान के और भी हैं फायदे
– स्वयं में सकारात्मक ऊर्जा का संचार महसूस होता है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है. घर और कार्यस्थल में सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है.
– भगवान शिव की कृपा प्राप्त होने से साधक को आत्मज्ञान और आत्म-साक्षात्कार हो जाता है.
– शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है. इसका सकारात्मक प्रभाव साधक के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है.
– इस अनुष्ठान को करने से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है. व्यापार में भी वृद्धि होती है.
– अनुष्ठान से परिवार में सुख और शांति का वास होता है. परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सौहार्द बढ़ता है.
रावण व भस्मासुर ने यज्ञ कर महादेव की कृपा पाई
वेदों और पुराणों में इस बात का जिक्र है कि महादेव में अगाध श्रद्धा रखने वाले रावण ने अपने दसों सिरों को काटकर शिवलिंग पर अपने रक्त से अभिषेक किया था. अपने सभी सिरों को हवन कुंड की ज्वाला में अर्पित कर दिया था. महादेव की कृपा से ही वह अपने समय में त्रिलोकजयी बन गया था. भस्मासुर ने शिवलिंग का अभिषेक अपने आंसुओं से किया तो वह भी भगवान से वरदान पाने का पात्र बन गया था. दैत्यों के अलावा मानव जाति में युगों-युगों से असंख्य लोगों ने रुद्र यज्ञ कर भोलेनाथ की कृपा पाई है.
कैसे करें रुद्र अनुष्ठान
– एक स्वच्छ वातावरण तैयार करने के लिए सबसे पहले पूजास्थल को शुद्ध किया जाता है.
– भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है ताकि अनुष्ठान में कोई बाधा नहीं आए.
– कलश में पवित्र जल भरकर उसकी पूजा की जाती है.
– पूजा स्थल पर शिवलिंग की स्थापना की जाती है.
– इसके बाद शिवलिंग पर पवित्र जल, दूध, घी, दही, शहद, गन्ने का रस आदि से अभिषेक किया जाता है.
– यज्ञ के दौरान रुद्राष्टक, महामृत्युंजय मंत्र आदि रुद्र मंत्रों का उच्चारण किया जाता है.
– भगवान शिव की आरती के साथ यज्ञ सम्पन्न होता है. रुद्र यज्ञ 2 घंटे से लेकर कई घंटों तक चल सकता है. श्रद्धाभावना हो तो यह अनुष्ठान 24 घंटे निर्बाध जारी रह सकता है.
हर पदार्थ का है महत्व
अभिषेक करते समय रुद्राष्टाध्यायी का पाठ किया जाता है जो अलग-अलग पवित्र पदार्थों से होता है और पदार्थों के अनुरूप इनका फल भी अलग-अलग बताया गया है.
– शिव का जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है.
– कई तीर्थों के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है.
– भगवान शिव का दही से अभिषेक करने पर भवन एवं वाहन की प्राप्ति में सफलता मिलती है.
– गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करने से धन की प्राप्ति होती है.
– शहद एवं घी से रुद्राभिषेक करने से धन सम्पदा में वृद्धि होती है.
– सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करने से शत्रुओं पर जीत हासिल होती है.
– गाय के दूध एवं शुद्ध घी से रुद्राभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है.
– दूध और शक्कर से अभिषेक करने से मूर्ख प्राणी भी विद्वान हो जाता है.
– इत्र एवं जल के अभिषेक करने से बीमारियों का नाश होता है.
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FIRST PUBLISHED : May 22, 2024, 19:18 IST