Monday, October 21, 2024
HomeReligionअगर आपने नहीं किए सभी 16 संस्कार तो नहीं होगा मोक्ष, जीवन...

अगर आपने नहीं किए सभी 16 संस्कार तो नहीं होगा मोक्ष, जीवन में आ सकती कठिनाइयां, यहां जानें सभी संस्कारों के नाम

16 Sanskar: इस संसार में जो व्यक्ति जन्म लेता है उसको एक दिन इस संसार से जाना ही होता है,हर व्यक्ति के जीवन में कई तरह के संस्कार होते हैं, प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कुल 16 प्रकार के संस्कार होते हैं, मृत्यु के बाद क्रिया कर्म या अंत्येष्टि का कार्य होता है जो किसी व्यक्ति की आत्मा को शांति देने के लिए किया जाता है यह अंतिम संस्कार कहलाता है.

प्राचीन काल से चले आ रहे हैं 16 संस्कार

यह एक प्राचीन संस्कृति और धर्म का प्रतिस्थापन है जिसमें विशिष्ट रीति-रिवाज़ और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं.वैसे तो सनातन धर्म में 40 संस्कारों का उल्लेख है, जिनमें से 16 प्रमुख संस्कारों को षोडश संस्कार कहा जाता है। जिनका उद्देश्य व्यक्ति की उन्नति, आध्यात्मिक विकास और सामाजिक आदर्शों के प्रशिक्षण को सुनिश्चित करना है। सभी 16 संस्कार प्राचीन काल से चले आ रहे हैं और इन्हें मनुष्य का प्रमुख कर्म माना जाता है। 16 संस्कारों में मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी कर्मों का उल्लेख किया गया है.

16 प्रकार के होते हैं प्रमुख संस्कार 

विभिन्न धर्मग्रंथों में संस्कारों के क्रम में थोडा-बहुत अन्तर है, लेकिन प्रचलित संस्कारों के क्रम में कुल 16 प्रकार संस्कार इस प्रकार हैं गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, विद्यारंभ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारम्भ, केशान्त, समावर्तन, विवाह तथा अन्त्येष्टि ही मान्य है.व्यास स्मृति में सोलह संस्कारों का वर्णन हुआ है, हमारे धर्मशास्त्रों में भी मुख्य रूप से सोलह संस्कारों की व्याख्या की गई है। इनमें पहला गर्भाधान संस्कार और मृत्यु के उपरांत अंत्येष्टि अंतिम संस्कार है.

16 संस्कारों के बिना अधूरा है मानव जीवन

सनातन धर्म के अनुशार प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में सभी संस्कारों को आत्मसात् करना चाहिए जिससे कि उसकी पूर्ण सद्गति हो सके और उस पर किसी भी तरह का कोई ऋण ना रह सके.

बिना 16 संस्कारों के नहीं होता मोक्ष

वेदों के अलावा गृहसूत्रों में संस्कारों का उल्लेख मिलता है. पुराणों में इसके बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है,वेदज्ञों के अनुसार गर्भस्थ शिशु से लेकर मृत्युपर्यंत जीव के मलों का शोधन, सफाई आदि कार्य को विशिष्ट विधि व मंत्रों से करने को संस्कार कहा जाता है.यह इसलिए आवश्यक है कि व्यक्ति जब शरीर त्याग करे तो सद्गति को प्राप्त होगा.

ये भी पढ़ें:  Vastu Tips: घर का करा रहे हैं निर्माण? तो इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान, वरना क्लेश और बीमारियां का होगा वास!

ये भी पढ़ें:  सोमवार को भगवान शिव की ऐसे करें पूजा, ग्रह क्लेश से मिलेगी मुक्ति, धन लाभ के साथ बीमारियां भी होंगी दूर!

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular