Saturday, October 19, 2024
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Vishwakarma Puja 2024: विश्वकर्मा पूजा आज, जानें किस शुभ मुहूर्त में करें पूजन

Vishwakarma Puja 2024:  भगवान विश्वकर्मा भगवान ब्रह्मा के 7वें पुत्र हैं.जिन्होंने ब्रह्माण्ड बनाने में भगवान ब्रह्मा की मदद की थी,ऐसा माना जाता है कि दुनिया को बनाने से पहले कारिगर और इंजीनियर का जन्म हुआ था. देवों के शिल्पी,संसार के पहले इंजीनियर वास्तुकला के ज्ञाता भगवान विश्वकर्मा वास्तुशास्त्र के भी प्रकांड विद्वान है.विष्णुपुराण के अनुसार भगवान विश्वकर्मा देवताओं के काष्ठशिल्पी माने जाते हैं.ब्रह्माजी ने भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का शिल्पीकार नियुक्त किया था. उन्होंने सबसे पहले इस सृष्टिका मानचित्र बनाया था. स्वर्गलोक, इंद्रपुरी, कृष्ण भगवान का द्वारिका नगरी,सुदामापुरी,हस्तिनापुर,पांडवों का इंद्रप्रस्थ नगरी,गरूढ़भवन,कुबेरपुरी,यमपुरी,सोने की लंका जैसे कई नगर और स्थानों का निर्माण किया.

शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र,शिवजी का त्रिशुल,कुबेर के लिए पुष्पक विमान,इंद्र के लिए दधीचि की अस्थियों से वज्र,यमराज के लिए कालदंड समेत अनेक अस्त्र-शस्त्र और उपकरणों का निर्माण किया.इनकों यंत्र,औजार,उपकरणों का देवता माना जाता है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस सृष्टि में निर्मित होनेवाली सभी वस्तुओं के मूल में भगवान विश्वकर्मा हैं.

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Vishwakarma Puja 2024 Date: 16 या 17 सितंबर, किस दिन है विश्वकर्मा पूजा, जानें पूजन का मुहूर्त

विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त

हर वर्ष विश्वकर्मा पूजा कन्या संक्राति मैं होता है.इस वर्ष कन्या संक्रांति 16 सितम्बर मंगलवार सायं 7.52 मिनट पर है.अर्थात् सायं 7.52 मिनट पर सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करेंगे.लेकिन इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर दिन मंगलवार को है.इस दिन चतुर्दशी तिथि दिवा 11.00 बजे तक उपरांत पूर्णिमा तिथि,शतभिषा नक्षत्र दिवा 2.20 तक उपरांत पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र,धृति योग,रवि योग भी है.

जानें गोधूलि मुहूर्त

हर साल कन्या संक्रांति के अवसर पर ही विश्वकर्मा पूजा मनाया जाता है.पुजा के लिए शुभ मुहूर्त्त सूर्योदय से 11.42 तक,अभिजित् मूहूर्त दिवा 11.51 से 12.42 तक,अमृत काल सुबह 7.00 से 8.35 तक,गोधूलि मुहूर्त 6.25 से 6.48 तक,संधया आरती 6.25 से 6.55 तक है.

विश्वकर्मा भगवान की ऐसे करें पूजा

भगवान विश्वकर्मा को ऋतुफल,मिष्टान्न,पंचमेवा,पंचामृत का प्रसाद चढ़ावें.धूप-दीप से आरती करें.कारखाने या व्यावसायिक उपकरण और मशीनों का उपयोग न करें.भगवान विश्वकर्मा के विधिवत पूजा उपासना करने बाद अपने करमचारियों को ,मजदूर-श्रमिक को,गरीब को उपहार दें और भोजन करायें.इनके पूजन से शिल्पकला का विकास,कारोबार में बढ़ोत्तरी होती है.साथ ही धन-धान्य और सुख-समृद्धि का आगमन होता है.


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