Virat Kohli Birthday: विराट कोहली ने भारतीय क्रिकेट को आक्रामकता की वह नई पहचान दी, जिसकी बदौलत टीम इंडिया ने ईंट का जवाब पत्थर से देना शुरू किया. भारतीय क्रिकेटर पहले अपने शांत स्वभाव के लिए जाने जाते थे. इंग्लैंड हो या ऑस्ट्रेलिया सभी स्लेजिंग का भरपूर इस्तेमाल करते थे. लेकिन कोहली के आने के बाद भारतीय टीम में आत्मविश्वास का वह जोश आया कि भारत ने क्रिकेट के अलावा जुबान से भी जवाब देना शुरू किया. गेंदबाज को उसी की भाषा में जवाब दिया. फील्डिंग के दौरान भी कैच लेने के बाद जश्न मनाने का तरीका ऐसा रहा कि उसने क्रिकेट में आने वाली पीढ़ियों के लिए न दबने वाला जज्बा पैदा किया. 2012 के कॉमनवेल्थ बैंक त्रकोणीय सीरीज में कोहली ने तो अपना स्थान भारतीय टीम में ऐसा पक्का किया कि उनकी जगह लेने वाला अभी तक नहीं आया. उस सीरीज में कोहली ने कभी मलिंगा को धोया तो कभी ऑस्ट्रलियन पिच पर कंगारू गेंदबाजों को धूल चटाई. कोहली की ऐतिहासिक बैंटिंग ने भारत को वह सीरीज दिलाई. आज उन्हीं विराट का जन्मदिन है.
5 नवंबर 1988 को दिल्ली में प्रेमनाथ कोहली और सरोज कोहली के घर विराट का जन्म हुआ. विराट को क्रिकेट खेलना इतना पसंद था, कि वे स्कूल में गेम पीरियड खत्म होने के बाद तक खेलते रहते थे. विराट ने कई बार अपने इंटरव्यू में बताया है, कि वे एक बार स्कूल में इसी तरह खेल रहे थे और खेल का समय खत्म हो गया और एक टीचर ने उन्हें देख लिया. तो उनसे पूछा कि वे क्लास में क्यों नहीं हैं, इस पर कोहली ने कहा कि मुझे खेलना पसंद है. इस बात पर शिक्षिका ने कोहली से कहा जो पसंद है उस पर मेहनत करो. यह बात कोहली को जम गई और विराट पहुंच गए, क्रिकेट एकेडमी. राजकुमार शर्मा ही वह द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता क्रिकेट कोच थे, जिन्होंने विराट जैसे हीरे को बचपन में तराशा. हाल ही में विराट उनसे मिलने भी गए थे.
क्रिकेट के प्रति जुनून
विराट का क्रिकेट के प्रति जुनून ऐसा रहा कि वे अपने पिता की मृत्यु पर तुरंत घर नहीं जा सके थे. विराट ने एक साक्षात्कार में बताया है कि उनके पिता ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग किया करते थे, लेकिन दिसंबर 2006 के महीने में मार्केट क्रैश कर गया और उनके पिता वह आघात सहन नहीं कर सके. वह तनाव में रहने लगे. उनके शरीर में लकवा मार गया. ब्रेन स्ट्रोक आने की वजह से उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन 18 दिसंबर 2006 की रात तनाव न सह पाने की वजह उनका निधन हो गया. खबरों के मुताबिक कोहली उस दौरान कर्नाटक के खिलाफ रणजी का मैच खेल रहे थे और उस दिन नाबाद थे. विराट को अपने पिता के मृत्यु की खबर मिली, लेकिन उन्होंने मैच को खेलना जारी रखा और अगले दिन 90 रन बनाकर दिल्ली की टीम के लिए यह मैच ड्रॉ करवाया. मैच के बाद वे अपने पिता के श्राद्ध कार्यक्रम में शामिल हुए. यह खेल के प्रति उनके जुनून को ही दिखाता है.
विराट का क्रिकेट कैरियर
विराट ने भारत के लिए 2008 में अपना अंतर्राष्ट्रीय पदार्पण किया, डांबुला में श्रीलंका के खिलाफ उस लो स्कोरिंग मैच में विराट ज्यादा सफल नहीं हुए और सिर्फ 12 रन ही बना सके. लेकिन अगले साल 2009 में विराट ने अपना पहला शतक भी श्रीलंका के खिलाफ ही लगाया. विराट ने 295 एकदिवसीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया. एकदिवसीय मैचों में विराट ने रिकॉर्ड्स की तो भरमार ही लगा दी है. उन्होंने एकदिवसीय मैचों अबतक 13906 रन बनाए हैं. उन्होंने सबसे तेज 13000 रन बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया है. विराट ने 118 टेस्ट मैच खेले और 125 टी20 मैच खेलकर भारतीय टीम के साथ-साथ देश को अपना बहुमूल्य समय दिया.
किंग कोहली के रिकॉर्ड्स
विराट के नाम तीनो फॉर्मेट मिलाकर 80 शतक दर्ज हैं और वह इस रिकॉर्ड के मामले में दूसरे स्थान पर महान सचिन तेंदुलकर से ही पीछे हैं. विराट के नाम वनडे में सबसे ज्यादा शतक लगाने का भी रिकॉर्ड है.
विराट के नाम सबसे ज्यादा बार प्लेयर ऑफ द सीरीज जीतने का रिकॉर्ड भी है.
विराट के नाम टी 20 में सबसे ज्यादा पचासे मारने का भी रिकॉर्ड है.
विराट के नाम ऑस्ट्रेलिया में किसी भी विदेशी बल्लेबाज का सबसे सफल प्रदर्शन का भी रिकॉर्ड है.
श्रीलंका के खिलाफ सबसे ज्यादा शतक का रिकॉर्ड भी विराट के नाम दर्ज है.
सबसे तेज रन बनाने के मामले में विराट के नाम तीनों फॉर्मेट में कई रिकॉर्ड हैं, जैसे टी20 में सबसे तेज 3500 रन बनाना, टेस्ट में 4000 रन बनाना और वनडे में तो सबसे तेज 8, 9, 10, 11, 12 और 13 हजार रन बनाने का रिकॉर्ड भी उनके नाम दर्ज है.
कप्तान के तौर पर विराट
विराट को 2014 में एमएस धोनी के बाद टेस्ट टीम की कप्तानी सौंपी गई और 2017 में वनडे और टी20 टीम के कप्तान बने. विराट ने बतौर कप्तान कुल 213 मैचों में कप्तानी की. इन 213 मैचों में विराट ने 135 जीत दर्ज कीं. 58.82 प्रतिशत से जीत दर्ज करना भारत के सबसे सफल कप्तानो की सूची में आला दर्जा रखती है. विराट ने आईपीएल में भी आरसीबी के लिए इसकी शुरुआत से ही खेलना जारी रखा है. लेकिन अबतक वे उसे कोई ट्रॉफी नहीं दिला सके हैं.
विराट ने भारत के इस साल टी20 विश्वकप जीतने के बाद फटाफट क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. वे अब भी भारतीय वनडे और टेस्ट टीम के सदस्य हैं. लेकिन अभी वे अपने फॉर्म को लेकर बैकफुट पर हैं. न्यूजीलैंड के खिलाफ बीती सीरीज में भी उनका बल्ला खामोश रहा है. ऑस्ट्रेलिया में उनका बल्ला हमेशा गरजा है और अब भारतीय टीम और प्रशंसक इस साल 22 नवंबर को ऑस्ट्रेलियन समर में उनसे उसी कोहली की उम्मीद कर रहा है, जैसा अपने युवावस्था में दहाड़ा करता था.