Vat Purnima Vrat 2024: वट सावित्री पूर्णिमा व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रखते हैं. वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत सुहागन महिलाएं रखती हैं, जिससे उनका सुहाग अखंड रहे, पति को लंबी आयु प्राप्त हो और उनका दांपत्य जीवन खुशहाल हो. वट पूर्णिमा व्रत वट सावित्री व्रत के समान ही अखंड सौभाग्य प्रदान करने वाला माना जाता है. इस साल वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 21 जून को है या फिर 22 जून को? इसकी सही तारीख को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है क्योंकि वट सावित्री पूर्णिमा व्रत के लिए आवश्यक ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि 21 जून को सुबह में प्रारंभ होकर अगले दिन 22 जून को सुबह तक रहेगी. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि वट सावित्री पूर्णिमा व्रत कब है? सही तारीख क्या है? वट सावित्री पूर्णिमा व्रत का मुहूर्त क्या है?
2 दिन पड़ रही है ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि?
वैदिक पंचांग के अनुसार, वट सावित्री पूर्णिमा व्रत के लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि इस साल 21 जून दिन शुक्रवार को सुबह 07 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रही है और यह 22 जून शनिवार को सुबह 06 बजकर 37 मिनट तक रहेगी.
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तिथि की गणना हमेशा सूर्योदय के समय से होती है. इस आधार पर ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि 22 जून को है क्योंकि सूर्योदय उस दिन 05:24 ए एम पर होगा, वहीं 21 जून को सूर्योदय 05:24 ए एम पर होगा, लेकिन पूर्णिमा तिथि सूर्योदय के बाद लग रही है.
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत की सही तारीख क्या है?
पूर्णिमा के व्रत के लिए यह जरूरी होता है कि चंद्रोदय पूर्णिमा तिथि में होना चाहिए. ऐसे में पंचांग के अनुसार देखें तो ज्येष्ठ पूर्णिमा का चंद्रोदय 21 जून को हो रहा है. ऐसे में वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 21 जून शुक्रवार को रखना अच्छा रहेगा. वट सावित्री पूर्णिमा व्रत को वट पूर्णिमा व्रत भी कहते हैं.
वट सावित्री पूर्णिमा व्रत 2024 मुहूर्त
21 जून को वट सावित्री पूर्णिमा व्रत के दिन शुभ योग और ज्येष्ठा नक्षत्र है. शुभ योग प्रात:काल से लेकर शाम 06 बजकर 42 मिनट तक है, वहीं ज्येष्ठा नक्षत्र भी सुबह से शाम 06 बजकर 19 मिनट तक है. उस दिन का शुभ मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त 11:55 ए एम से दोपहर 12:51 पी एम तक है. ऐसे में आप वट सावित्री पूर्णिमा व्रत की पूजा शुभ योग में करें, वह आपके लिए शुभ फलदायी होगा.
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वट सावित्री पूर्णिमा व्रत का महत्व
वट पूर्णिमा या वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत पति की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है. इस व्रत में भी देवी सावित्री, सत्यवान और वट वृक्ष की पूजा करते हैं. इस व्रत की पूजा भी वट सावित्री व्रत के समान ही होती है. अंतर बस इतना है कि वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को रखते हैं यानी वट सावित्री पूर्णिमा व्रत से 15 दिन पहले.
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FIRST PUBLISHED : June 20, 2024, 08:00 IST