Saturday, October 19, 2024
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Tripti Dimri ने कहा मैं खुद को आउटसाइडर नहीं मानती हूं.. – Prabhat Khabar

tripti dimri की फिल्म बैड न्यूज सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है.अब तक ज्यादातर सीरियस किरदारों में नजर आ चुकी है.वह पहली बार इस फिल्म के जरिये कॉमेडी कर रही हैं. कॉमेडी के अनुभव और फिल्म से जुडी चुनौतियों पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत

कहते हैं कि रोना आसान है लेकिन किसी को हंसाना कठिन है, बैड न्यूज आपकी पहली कॉमेडी फिल्म है, आपका अनुभव क्या था?
यह एक खूबसूरत और सीखने वाला अनुभव था.मैंने पहले कभी कॉमेडी नहीं की थी. जब यह फिल्म ऑफर हुई थी तो मैंने कला की शूटिंग खत्म की थी.एनिमल से पहले ये फिल्म मुझे ऑफर हुई थी. आनंद सर ने फिल्म का नरेशन दिया तो मैं पूरे समय हंसती रही थी.शुरुआत में थोड़ी डरी भी हुई थी कि कर पाउंगी या नहीं फिर मैंने इसे चुनौती के रूप में लिया.

फिल्म में आप मां की भूमिका में हैं , क्या होमवर्क था ?
मैंने अपनी बहन और कुछ करीबी दोस्तों से बात की,जो गर्भवती रह चुकी हैं. मुझे पता चला कि यह एक थका देने वाला अनुभव होता है. हर तीन महीने में हार्मोनल बदलाव होते हैं, मूड में बदलाव होता है, आप अच्छी नींद नहीं ले पाते हैं. ये सब जानकारी मेरे लिए काफी थी और मैंने दो बच्चों का ख्याल रखते हुए सीन आसानी से कर लिए। सेट पर जब तक बच्चे थे और हर कोई बहुत भावुक था. यही वह चीज़ है जो एक अच्छी फिल्म बनाती है, जहां एक फिल्म को पूरा करने के लिए कॉमेडी, रोमांस और भावनाओं के सभी तत्व मौजूद हों.

निजी जिंदगी में आप किसी बच्चे के करीब हैं?
मेरी बहनों के बच्चे एल्विन और तृषा के मैं बहुत करीब हूं. वे बहुत प्यारे हैं. मुझे उनकी बहुत याद आती है और आश्चर्य होता है कि जब वे आसपास नहीं होंगे तो मेरी बहन उन्हें कितना याद करती होगी. जब हम बच्चे थे तो हम झगड़ते थे क्योंकि मुझे लगता था कि मेरी मां मेरी बहन को अधिक प्यार करती है. अब मुझे एहसास हुआ कि माता-पिता अपने सभी बच्चों से उतना ही प्यार करते हैं

जब आप कोई किरदार चुनती हैं तो आपके लिए सबसे अहम क्या होता है?
जब मैंने अपनी पहली फिल्म की थी तो मुझे नहीं पता था कि अभिनय कैसे करना होता है.मैं तो बस संतूर का एक विज्ञापन करने के लिए मुंबई आयी थी और मैंने लैला फिल्म के लिए ऑडिशन दिया. जब मैं रही थी तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे शूटिंग टर्म्स के बारे में पता नहीं है. मैंने वर्कशॉप करना शुरू किया।वैसे जब मुझे लगता है कि कोई भूमिका अलग और थोड़ी चुनौतीपूर्ण है तो मैं उसे स्वीकार कर लेती हूं. यही मेरे चुनाव का तरीका होता है.

फिल्मों के चुनाव में आप किसी की राय लेती हैं ?
ऐसा कोई नहीं है, जब मेरे पास समय होता है तो मैं वर्कशॉप करने की कोशिश करती हूं और नहीं तो मैं डायरेक्टर के साथ बैठकर अपने किरदार को हूं. मुझे लगता है कि मुझे उस किरदार के बारे में उतना ही जानना चाहिए जितना मैं खुद को जानती हूं. तभी मैं उस किरदार को जी पाऊंगा और उस किरदार के प्रति सच्ची रह पाउंगी जो कि बहुत महत्वपूर्ण है, नहीं तो दर्शक मुझे गलत समझ लेंगे.

आपका जन्म भाई-बहनों वाले परिवार में हुआ है, तो क्या मुंबई में अकेलापन महसूस होता है?
शुरुआत में मुझे अकेलापन महसूस होता था,हालांकि मैं अपने दोस्तों के साथ रहती थी. जिसके बाद मैं अक्सर अपने माता पिता से मिलने चली जाती थी.अब मेरे माता-पिता आते रहते हैं. आपको संतुलन बनाना होगा. बहुत से लोग नौकरी के लिए अपना परिवार छोड़ देते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि अगर आपको जीवन में आगे बढ़ना है ,तो इसे संतुलित करने की जरूरत है.

क्या अब भी आउटसाइडर वाली फीलिंग होती है ?
मुझे ये सब बस शब्द लगते हैं. मैं इन्हें गंभीरता से नहीं लेती हूं. वैसे मैं खुद को इनसाइडर मानती हूं क्योंकि इंडस्ट्री के लोग मुझे परिवार का हिस्सा महसूस कराते हैं और मुझे बहुत वेलकम वाली फीलिंग देते है.

क्या आप अपने लिए महंगी शॉपिंग करती हैं?

मुझे महंगी शॉपिंग करना बहुत पसंद है, मुझे लगता है कि अगर आप अपने आप को ट्रीट नहीं करेंगी, तो कौन करेगातो मैं अपने लिए शॉपिंग करती रहती हूं.मुझे घूमने का भी बहुत है. प्राकृतिक के पास मुझे बहुत सुकून मिलता है.


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