Tata Motors: भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग में महिला सशक्तिकरण और समावेशिता की दिशा में अनोखी पहल करते हुए, टाटा मोटर्स और अशोक लेलैंड ने अपनी असेंबली लाइनों में महिलाओं को प्रमुख भूमिका दी है. इस कदम ने महिला कर्मचारियों के लिए न केवल नए अवसर खोले हैं, बल्कि ऑटोमोबाइल उद्योग में विविधता और समानता का भी प्रतीक बन गया है.
टाटा मोटर्स: महिलाओं द्वारा संचालित हैरियर और सफारी असेंबली लाइन
टाटा मोटर्स की पुणे के पास पिंपरी प्लांट में पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित एक अनूठी असेंबली लाइन बनाई गई है. यहाँ लगभग 1,500 महिलाएं प्रतिदिन हैरियर और सफारी एसयूवी की 240 इकाइयों का उत्पादन करती हैं. इस पहल की शुरुआत 2021 में हुई थी, और फरवरी 2022 में पूरी तरह से महिलाओं द्वारा असेंबल की गई पहली एसयूवी लॉन्च की गई.
महिलाओं के लिए इस विशेष असेंबली लाइन को अधिक अनुकूल और सहायक बनाने के लिए टाटा मोटर्स ने कई इंजीनियरिंग अनुकूलन किए हैं. अधिकांश महिला कर्मचारियों की औसत ऊंचाई 4 फीट 8 इंच होने के कारण, वर्कस्टेशन की ऊंचाई और कुछ औजारों के डिजाइन में बदलाव किए गए हैं, जिससे औजार हल्के और प्रबंधनीय बने. इससे काम करना आसान और सुविधाजनक हो गया है, जिससे कर्मचारियों की कार्यक्षमता भी बढ़ी है.
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महिला सशक्तिकरण में प्रशिक्षण का महत्व
टाटा मोटर्स और अशोक लेलैंड दोनों ने महिलाओं के कौशल विकास और प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया है. टाटा मोटर्स में, महिलाओं को असेंबली लाइन पर तकनीकी कौशल में प्रशिक्षित किया जाता है. इस प्रशिक्षण में अंडरग्रेजुएट महिलाओं को शामिल किया गया है, जिनमें से अधिकतर ने हाई स्कूल के बाद टीम जॉइन की. उन्हें तकनीकी पाठ्यक्रमों और डिप्लोमा कोर्स में नामांकित किया गया है, और कंपनी उन्हें भविष्य में डिग्री कोर्स करने का अवसर भी प्रदान करती है.
टाटा मोटर्स के उपाध्यक्ष, मोहन सावरकर ने बताया कि कंपनी महिलाओं को न केवल रोजगार देती है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण भी देती है. इस योजना के तहत कंपनी विभिन्न पृष्ठभूमि से आई महिलाओं को असेंबली लाइन के लिए आवश्यक कुशलता प्रदान कर रही है.
अशोक लेलैंड: महिलाओं की नई भूमिका
तमिलनाडु के होसुर में अशोक लेलैंड के प्लांट में एक नई इंजन असेंबली लाइन स्थापित की गई है, जिसे पूरी तरह से महिलाओं द्वारा संचालित किया जाता है. इस लाइन पर 80 महिलाएं P15 इंजन मॉड्यूल की असेंबली और टेस्टिंग करती हैं, जिसकी उत्पादन क्षमता प्रति वर्ष 62,000 इंजन है. कंपनी ने इन महिलाओं को इस लाइन के सभी तकनीकी पहलुओं में प्रशिक्षित किया है और वे पूरी असेंबली लाइन की जिम्मेदारी निभा रही हैं. अशोक लेलैंड के सीईओ शेनू अग्रवाल के अनुसार, इस पहल से न केवल महिला कर्मचारियों के जीवन में सुधार हुआ है, बल्कि उनके परिवार और समाज में भी सकारात्मक बदलाव आया है.
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महिलाओं के अनुकूल कार्यक्षेत्र
टाटा मोटर्स और अशोक लेलैंड दोनों ही अपने कार्यक्षेत्र को महिलाओं के अनुकूल बनाने के लिए आवश्यक बदलाव कर रहे हैं. टाटा मोटर्स की TCF-2 असेंबली लाइन में हैरियर और सफारी एसयूवी के इंटीरियर, इलेक्ट्रॉनिक घटक, सेंसर, सेंटर कंसोल आदि सभी महिला कर्मचारियों द्वारा लगाए जाते हैं. इस लाइन पर आंशिक रूप से असेंबल की गई इकाइयाँ अंडरबॉडी इंस्टॉलेशन के लिए भी आगे बढ़ाई जाती हैं. टाटा मोटर्स ने इसके लिए औजारों को हल्का और प्रबंधनीय बनाने के लिए इंजीनियरिंग बदलाव किए हैं, ताकि महिलाएं इन्हें आसानी से संभाल सकें.
नारी शक्ति का सम्मान और भविष्य
महिलाओं के लिए ये असेंबली लाइनें केवल एक रोजगार का साधन नहीं हैं, बल्कि उनके आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण का प्रतीक भी हैं. यह पहल नारी शक्ति का सम्मान करती है और समाज में एक सकारात्मक बदलाव का संदेश देती है. अशोक लेलैंड और टाटा मोटर्स जैसे उद्योग की अग्रणी कंपनियाँ महिला सशक्तिकरण के माध्यम से अपने कार्यबल में विविधता और समावेशिता ला रही हैं.
इन पहल से स्पष्ट है कि भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग न केवल तकनीकी प्रगति की दिशा में आगे बढ़ रहा है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और लिंग समावेशिता की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है. इस तरह की पहल से महिलाओं को उद्योग में नेतृत्व करने के अवसर मिलते हैं और वे अपने कौशल का उपयोग कर राष्ट्र निर्माण में भी अपना योगदान दे सकती हैं.
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