Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने खनिजों का उत्पादन करने वाले राज्यों को रॉयल्टी शुल्क वसूलने की अनुमति देकर इन राज्य का दिल खुश कर दिया है. इस कारण छत्तीसगढ़ को निजी कंपनियों से हर साल 700 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलेंगे. न्यायालय के निर्णय के अनुसार राज्यों को 2005 से रॉयल्टी वसूलने की अनुमति है, हालांकि इसके लिए कुछ शर्तें हैं. इसलिए अब खनिज उत्पादन वाले राज्य ये रॉयल्टी वसूलना शुरू कर सकते हैं. छत्तीसगढ़, जहां पहले से ही कई तरह के कर लागू हैं, ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में खनिजों से 13,000 करोड़ रुपये कमाए. नई रॉयल्टी निजी क्षेत्र की कंपनियों से आएगी.
राज्य की होगी तरक्की
पिछले साल छत्तीसगढ़ राज्य को खनिजों से 12,941 करोड़ रुपये की आय हुई थी. यह इससे पिछले वर्ष की 636 करोड़ रुपये की आय से कहीं अधिक थी. और इस साल स्थिति और भी बेहतर दिख रही है, जिसमें 1050 मिलियन मीट्रिक टन चूना पत्थर और 179 मिलियन मीट्रिक टन लौह अयस्क का खनन किया गया है. 1 अप्रैल, 2005 से शुरू होने वाले अगले 12 सालों में राज्य के वित्त में अच्छी वृद्धि होने वाली है, जिसका श्रेय खनिज-समृद्ध भूमि पर केंद्र सरकार की रॉयल्टी और करों को जाता है. हम राज्य के कोष में आने वाले बहुत सारे पैसे के बारे में बात कर रहे हैं.
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खनिज से हो रही कमाई
वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य ने लौह अयस्क से सबसे अधिक नकदी प्राप्त की, जो 3,607 करोड़ रुपये थी, जबकि कोयले से 3,336 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. खनिज आय में दंतेवाड़ा सबसे आगे रहा, जिसने 6,419 करोड़ रुपये कमाए, उसके बाद कोरबा ने 2,361 करोड़ रुपये, रायगढ़ ने 1,717 करोड़ रुपये, बालोद ने 760 करोड़ रुपये, बलौदा बाजार ने 315 करोड़ रुपये, कांकेर ने 286 करोड़ रुपये और सरगुजा ने 262 करोड़ रुपये कमाए. राज्य के सबसे बड़े राजस्व स्रोत कोयला, लौह अयस्क, चूना पत्थर, बॉक्साइट और कई अन्य खनिज हैं.
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