Monday, October 21, 2024
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sunita rajwar :पंचायत ने ऑस्कर जाने वाली फिल्म ‘संतोष’ में करवाई मेरी एंट्री

sunita rajwar:आमिर खान की फिल्म ‘लापता लेडीज’ को 2025 के ऑस्कर पुरस्कार के लिए चुना गया है. यह चर्चा अभी थमी भी नहीं थी कि एक और हिंदी फिल्म ‘संतोष’ भी इस दौड़ में शामिल हो गयी है. मगर इस फिल्म को भारत ने नहीं, बल्कि ब्रिटेन की ओर से ऑस्कर में भेजा गया है, क्योंकि इसके निर्माता विदेशी हैं. पंचायत फेम अभिनेत्री सुनीता राजवार इस फिल्म का अहम चेहरा रही हैं. इस फिल्म से उनके जुड़ाव और ऑस्कर एंट्री में शामिल होने तक की जर्नी पर उर्मिला कोरी के साथ बातचीत के प्रमुख अंश.

आपकी फिल्म संतोष ऑस्कर में जा रही है. यह सुनकर आपका पहला रिएक्शन क्या था?

फिल्मों में ऑस्कर से बड़ा कोई अवॉर्ड नहीं होता है. वह आखिरी पड़ाव है. उस तक फिल्म ‘संतोष’ पहुंच रही है. मुझे लगता है कि यह किसी भी कलाकार के लिए बहुत ही खुशी और सम्मान की बात होगी. जब मुझे मालूम पड़ा तो मेरे के लिए भी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. यह हैरान करने वाली खुशी जैसी थी.

‘संतोष’ फिल्म किस तरह से आप तक पहुंची थी ?

कास्टिंग के जरिये यह फिल्म मुझ तक पहुंची थी. मुकेश छाबरा की टीम ने मुझे कॉन्टेक्ट किया था. विदेश की फिल्म की खासियत क्या होती है कि वहां ऑडिशन आपका डायरेक्टर ही लेता है, तो इस फिल्म में भी यही हुआ था. निर्देशिका संध्या सूरी ने ही हमारा ऑडिशन लिया था. मैं बताना चाहूंगी कि मुझे पहले उन्होंने मेरे किरदार के लिए बहुत से लोगों का ऑडिशन लिया था, जिसमें कई पॉपुलर चेहरे भी शामिल थे. मैं उनको एकदम लास्ट में मिली हूं. उन्होंने शायद पंचायत की मेरी कोई क्लिप देख ली थी.

इस फिल्म की कहानी भारतीय है, लेकिन इसके मेकर्स विदेशी हैं. ऐसे में फिल्म की मेकिंग के दौरान उन्होंने भारतीय कहानी के साथ किस तरह से न्याय किया है?

मैं बताना चाहूंगी कि इस फिल्म के निर्माता पूरी तरह से विदेशी हैं और सभी यह बात जानते हैं कि फिल्म की मेकिंग में निर्माताओं का उतना जुड़ाव नहीं होता है. संतोष की निर्देशिका संध्या हैं. संध्या भारतीय मूल की हैं. उनका परिवार मेरठ में ही रहता था. जिस वजह से इंग्लैंड से होते हुए भी वह हमेशा भारतीय चीजों से जुड़ी रही हैं. उन्होंने इंग्लैंड से आकर फिल्म बना दिया, ऐसा नहीं है. उन्होंने बहुत सारा रिसर्च किया है. 2 से 3 साल तक उन्होंने रिसर्च वर्क किया है. पुलिस ऑफिसर से भी इस दौरान खूब मिलीं. उन्होंने बहुत बारीकी के साथ इस फिल्म के कॉन्सेप्ट पर काम किया है.

इस किरदार ने किस तरह की चुनौती आपके सामने रखी थी?

इस फिल्म में मेरे किरदार का जो टोन है उसे बहुत ही लो और नेचुरल रखना था. अब तक के ज्यादातर प्रोजेक्ट में मुझे अपने टोन को बहुत लाउड रखना पड़ा था, क्योंकि मेरा किरदार वैसा ही होता था. कई बार कॉमेडी करते हुए आपको अपनी बातों को उस तरह से प्रस्तुत करना पड़ता है.

इस फिल्म की निर्देशिका, लेखिका और फिल्म की कहानी महिला प्रधान है. जब फिल्म के हर अहम डिपार्टमेंट में महिला जुड़ी हो, तो प्रोजेक्ट कितना खास बन जाता है?

मैं कभी भी जेंडर डिस्क्रिमिनेशन में यकीन नहीं रखती हूं. मुझे लगता है कि ह्यूमन इमोशंस एक ही होता है. इस बात को कहने के साथ मैं यह भी कहूंगी कि हां हमारा समाज पुरुषवादी सोच रखता है. ऐसे में जब एक महिला प्रधान फिल्म को महिलाएं कहती हैं तो ज्यादा संवेदनशीलता से वह बात की कह पाती हैं. इस बात से इनकार नहीं कर सकती हूं.

इस फिल्म में किन मुद्दों को उठाया गया है?

हमारी सोसायटी मेल और फीमेल इन दो जेंडर से चलती है. इनके बीच असमानताएं भी हैं. इससे कोई इनकार नहीं कर सकता है. यह फिल्म इन असमानताओं के साथ-साथ सिस्टम पर भी यह फिल्म कटाक्ष करती है.

फिल्म की दूसरी अदाकारा शाहना गोस्वामी ने कहा है कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान आप लोगों को बहुत ज्यादा धूप और बारिश का सामना करना पड़ा था?

इससे ज्यादा धूप में मैंने पंचायत शूट की थी. जून की तपती दोपहरी में पंचायत शूट हुई थी. केदारनाथ फिल्म का पैचवर्क हमने मुंबई में मई के महीने में शूट किया था. वह भी कंटोप, स्वेटर और मफलर पहनकर. मैं धूप, बरसात और ठंड को एक्टिंग के लिए चुनौती मानती ही नहीं हूं. किसी किरदार के लिए मुझे नकली पैर लगाना है, हकला के बोलना है, अंधा बनना या फिर दूसरी और चीज, मैं उनको चैलेंज मानती हूं.

क्या यह फिल्म विदेशी फिल्मों के लिए भी आपके लिए दरवाजे खोल देगी?

अपने इतने साल के अनुभव में मैंने यह बात समझी है कि फिल्म एक बिजनेस है. अगर कोई मुझे बड़ा रोल देता है और उसको उससे बिजनेस मिलेगा तो वह मुझे रोल देंगे, वरना कोई मुझे कुछ काम नहीं देगा. मैं इतने सारे एक्टर्स की जानती हूं, जो नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद भी घर पर बेकार बैठे हैं. ‘संतोष’ फिल्म से यह सबसे बड़ा फायदा मुझे हो सकता है कि जो एक मेरी कॉमेडी इमेज बन गयी है. वह यह फिल्म तोड़ देगी कि मैं इंटेंस किरदार भी कर सकती हूं. फिल्म जैसे जैसे ऑस्कर में आगे बढ़ेगी. उससे दूसरे मेकर्स का ध्यान मुझ पर आ सकता है . उसके बाद शायद चीजें बदल सकती हैं, लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दीबाजी होगी.

लापता लेडीज से कंपटीशन की बात पर आपका क्या कहना है?

फिल्म के निर्माता माइक गुडरिज, जेम्स बाउशर, बाल्थाजार डी गने और एलन मैकएलेक्स हैं, इसलिए उन्होंने इंग्लैंड से हमारी फिल्म को ऑस्कर में भेजा है. भारत से ‘लापता लेडीज’ गयी है. कंपीटिशन की बात मैं नहीं जानती हूं, इतना जरूर कहूंगी कि यह भारतीय मूल की कहानी है. इसको बनाने वाले भारतीय हैं. एक्टर भी पूरी तरह से भारतीय हैं. शूटिंग भी लखनऊ में ही हुई है, तो मुझे लगता है कि अगर ऑस्कर मिलता है, तो यह भारत के लिए सम्मान की बात होगी.


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