Success Story: एक सफल बिजनेसमैन की कहानी हमेशा लोगों को प्रेरणा देती है. जब सफलता का रास्ता मुश्किल हो तो वह और भी प्रेरणादायक बन जाता है. ऐसा ही एक नाम है भारतीय उद्योग जगत में जिनकी सफलता की कहानी बेहद संघर्षपूर्ण रही है. यह हैं वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड के चेयरमैन अनिल अग्रवाल जिनकी सफलता का सफर आसान नहीं था. वे 9 बार बिजनेस में असफल हुए और इस दौरान उन्हें मानसिक तनाव और अवसाद का सामना भी करना पड़ा. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आज वह एक 1.5 लाख करोड़ रुपये की कंपनी के नेतृत्व में हैं. उनकी सफलता का यह सफर इतना प्रेरक है कि हाल ही में उन्हें इंग्लैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में बिजनेस स्टूडेंट्स को संबोधित करने के लिए बुलाया गया था.
संघर्ष की शुरुआत: बिहार से मुंबई तक का सफर
अनिल अग्रवाल का जन्म पटना के एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था और बचपन से ही उनका सपना था कि वह अपने बिजनेस को बड़ा बनाएं. 19 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता का बिजनेस छोड़कर मुंबई का रुख किया. उस समय उनके पास सिर्फ एक टिफिन बॉक्स था और बहुत कम पैसे. मुंबई में उनका सामना कई नई चीजों से हुआ जैसे डबल डेकर बस और पीली टैक्सी. उन्होंने यहां संघर्ष किया और 1970 में कबाड़ के व्यवसाय से अपने कारोबारी जीवन की शुरुआत की. इस व्यापार से उन्हें अच्छी कमाई हुई.
9 बार असफलता का सामना
इसके बाद अनिल अग्रवाल ने कई व्यवसायों में हाथ डाला लेकिन वह सब फेल हो गए. उन्होंने 9 अलग-अलग बिजनेस शुरू किए लेकिन हर बार उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा. इस दौरान उन्होंने कई सालों तक मानसिक तनाव और अवसाद को भी झेला लेकिन हार नहीं मानी. उनका मानना था कि संघर्ष ही सफलता की कुंजी है.
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सफलता की ओर पहला कदम: स्टरलाइट इंडस्ट्रीज
अग्रवाल की कड़ी मेहनत का फल 1986 में तब मिला जब भारत सरकार ने प्राइवेट सेक्टर को टेलीफोन केबल बनाने की मंजूरी दी. 1980 में अग्रवाल ने स्टरलाइट इंडस्ट्रीज को खरीदा और 1990 में कॉपर रिफाइनिंग का व्यवसाय शुरू किया. स्टरलाइट इंडस्ट्रीज भारत की पहली प्राइवेट कंपनी बनी जो कॉपर रिफाइनिंग का काम करती थी. इसके बाद अग्रवाल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनकी सफलता की कहानी लगातार आगे बढ़ी.
वेदांता का वैश्विक प्रभाव
आज वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड एक वैश्विक प्राकृतिक संसाधन कंपनी बन चुकी है जो मिनरल्स ऑयल और गैस का निष्कर्षण और प्रसंस्करण करती है. कंपनी के पास लगभग 64000 कर्मचारी और कॉन्ट्रैक्टर हैं और इसका प्रोडक्ट दुनिया भर में बेचा जाता है. वेदांता की सफलता अनिल अग्रवाल के संघर्ष और दृढ़ संकल्प का परिणाम है जो हर व्यवसायी के लिए एक प्रेरणा है.
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