Strong Female Characters In Bollywood: बॉलीवुड की फिल्मों को अक्सर स्ट्रांग फीमेल कैरेक्टर्स की कमी की वजह से क्रिटिसिज्म का सामना करना पड़ता है, लेकिन बॉलीवुड में कुछ ऐसी भी फिल्मे बनी है जिन में फीमेल कैरेक्टर्स को बेहद स्ट्रांग दिखाया है, यें फिल्में और उन में दिखाए गए कैरेक्टर्स किसी इंस्पिरेशन से कम नहीं है, जो ये दिखाते है कि जिंदगी को अपनी शर्तों पर भी जी जा सकती है. आइये नजर डालते है कुछ ऐसे ही फीमेल कैरेक्टर्स पर जिन्होंने फिल्मों में लिखे जाने वाले महिलाओं के रोल के स्टेरोटाइप्स को चैलेंज किया है.
जया (लापता लेडीज) स्ट्रांग और ओपिनियंटेड
इसी साल रिलीज हुई फिल्म लापता लेडीज को किसी इंट्रोडक्शन की जरूरत नहीं है, फिल्म ने ना केवल थिएटर्स में बल्कि ओटीटी पर भी दर्शकों का खूब मनोरंजन किया हैं, फिल्म में पुष्पा कुमारी उर्फ जया का रोल बेहद बेहतरीन तरीके से लिखा गया है, फिल्म में वो जिस तरह से अपने हक के लिये खड़ी होती है और समाज में बने स्टेरोटाइप्स को चैलेंज करती है वो सच में कबीले तारीफ है.
रानी (क्वीन) – दिल टूटने के बाद भी खुद को संभालने वाली
फिल्म ‘क्वीन’ में कंगना रनौत द्वारा निभाई गई रानी का किरदार बेहद इंस्पिरेशनल है. जब रानी का मंगेतर विजय शादी के ठीक एक दिन पहले शादी तोड़ देता है, तो रानी अकेले ही अपने हनीमून पर जाने का फैसला करती है. यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर कोई इंसान हमें छोड़ भी दे, तो भी हम खुद के साथ खड़े रह सकते हैं और अपने लिए खुशियां तलाश सकते हैं.
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पिकू (पिकू) सोसाइटल नॉर्म्स को चैलेंज करती कहानी
दीपिका पादुकोण द्वारा निभाई गई पिकू एक ऐसी महिला की स्टोरी है जो मानती है कि उसे अपनी जिंदगी को पूरा करने के लिए किसी आदमी की जरूरत नहीं है. वह अपने पिता की पूरी जिम्मेदारी खुद उठाती है और समाज की एक्सपेक्टेशंस को चैलेंज करती है. पिकू की परवरिश उसके पिता ने की, जिसने उसे इंडिपेंडेंट बन ने हेल्प की.
शशि (इंग्लिश विंग्लिश) – खुद को साबित करने की जिद
श्रीदेवी द्वारा निभाई गई शशि का किरदार फिल्म ‘इंग्लिश विंग्लिश’ में बेहद प्यारा और ताकतवर है. शशि अपने परिवार को खुद को साबित करने के लिए कोशिश करती रहती है, फिल्म में दिखाए उनके किरदार को हर दिन फैमिली में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, हाउसवाइफ होने की वजह से कैसे कैसे तनों का सामना करना पड़ता हैं, कैसे पढ़े लिखे ना होने की वजह से बच्चों द्वारा कैसे ना-पसंद किया जाता है, शशि का करैक्टर कैसे अपनी पहचान बनाने के लिए स्ट्रगल करता है यें फिल्म उसी की कहानी दिखाती है.
अमृता (थप्पड़) – सेल्फ रिस्पेक्ट को प्रायोरिटी देने वाली
तापसी पन्नू द्वारा निभाई गई अमृता का किरदार फिल्म ‘थप्पड़’ में एक ऐसा मोड़ लाता है, जो समाज की सोच को चुनौती देता है. यह केवल एक थप्पड़ नहीं था, बल्कि यह इस बात का प्रतीक था कि उसके पति ने उसे किस तरह से देखा. अमृता ने अपनी खुशी और सेल्फ रिस्पेक्ट को समाज की सोच से ऊपर रखा और अपने पति से तलाक लेने का फैसला किया.
इन किरदारों से मिलती है इंस्पिरेशन
ये पांच महिलाएं बॉलीवुड की उन फिल्मों की स्ट्रांग प्रोटागोनिस्ट है, जिन्होंने अपने मजबूत किरदारों के जरिए समाज में एक नई सोच की लहर पैदा की है. यें सरे कैरेक्टर्स फिल्मों में अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं, और समाज द्वार बनाये गए रूल्स को चैलेंज करती हुई दिखती है, फिल्म में यें सारे किरदार अपनी खुशियों को प्रायोरिटी देते है और हमे यही सिखाते हैं कि अपने लिए स्टैंड लेना कितना जरूरी है.
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