Stock Market Analysis: अगर आप भी किसी कंपनी के स्टॉक्स में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको पहले से ही रिसर्च कर लेना चाहिए. आपको यह जान लेना चाहिए कि शेयर बाजार की अगले हफ्ते चाल कैसी रहेगी? पिछले हफ्ते बाजार का रंग-ढंग कैसा था? विशेषज्ञों और रेटिंग एजेंसियों का क्या कहना है? अगर आप तमाम पहलुओं की जानकारी एकत्र करके किसी कंपनी के स्टॉक्स में निवेश करेंगे, तो आपको निश्चित रूप से फायदा होगा. आइए, जानते हैं कि अगले हफ्ते बाजार की चाल कैसी रहेगी और विशेषज्ञ किस प्रकार की भविष्यवाणी कर रहे हैं?
6 दिसंबर 2024 को शेयर बाजार में गिरावट क्यों आई?
शुक्रवार, 6 दिसंबर 2024 को भारतीय शेयर बाजार में गिरावट आने के पीछे आरबीआई की मौद्रिक नीति घोषणा है. भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को स्थिर रखा, जबकि बाजार को दरों में कटौती की उम्मीद थी. यह निर्णय बाजार की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा, जिससे नकारात्मक प्रतिक्रिया हुई. निवेशकों ने इसे विकास में रुकावट के रूप में देखा. इसके अलावा, शेयर बाजारों पर वैश्विक बाजार का प्रभाव पड़ा. अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट का असर भी भारतीय बाजार पर पड़ा. अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरें बढ़ाने की संभावना और चीन की कमजोर आर्थिक स्थिति ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया. बीते कुछ दिनों में बाजार में तेजी के बाद निवेशकों ने मुनाफा निकालना शुरू किया, जिससे बिकवाली का दबाव बढ़ा.
बाजार की गिरावट पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ
द इन्फिनिटी ग्रुप के संस्थापक विनायक मेहता ने कहा कि शुक्रवार को शेयर बाजार नाजुक स्थिति में कारोबार कर रहा था. बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी एक सीमित दायरे में कारोबार किए. सीआरआर में 50 आधार अंकों की कटौती करते हुए रेपो दर को स्थिर रखने का आरबीआई का निर्णय एक उल्लेखनीय कदम है. सीआरआर में कटौती से लिक्विडिटी में वृद्धि होगा और बैंकों की निधियों की लागत कम होगी. इस नीतिगत बदलाव से उत्साहित सरकारी बैंक, एफएमसीजी और ऑटो स्टॉक मजबूत रहे. हालांकि, आईटी और रियल्टी क्षेत्रों को कुछ दबाव का सामना करना पड़ा. मिड और स्मॉल-कैप इंडेक्स का प्रदर्शन बेहतर रहा.
9 दिसंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में बाजार की संभावित चाल
आने वाले सप्ताह में बाजार की चाल पर कई कारक प्रभाव डाल सकते हैं. इनमें आर्थिक आंकड़े प्रमुख हैं. भारतीय मुद्रास्फीति और औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े इस सप्ताह जारी होंगे. यदि ये सकारात्मक रहते हैं, तो बाजार में तेजी आ सकती है. वैश्विक संकेतकों अमेरिका और यूरोप से मिलने वाले आर्थिक संकेतक (जैसे रोजगार दर और मुद्रास्फीति) बाजार की दिशा तय कर सकते हैं. निवेशक उन सेक्टर्स पर सतर्क रहेंगे, जिन पर रेपो रेट का सीधा प्रभाव पड़ता है. इमें बैंकिंग और ऑटोमोबाइल सेक्टर प्रमुख हैं.
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विशेषज्ञों की क्या है भविष्यवाणी
द इन्फिनिटी ग्रुप के संस्थापक विनायक मेहता ने कहा कि जैसे-जैसे निफ्टी 25,000 अंक के करीब पहुंचेगा, आगे की तेजी के लिए उम्मीद बनी रहेगी. विश्लेषकों का सुझाव है कि 24,000 पर तत्काल समर्थन को देखते हुए किसी भी गिरावट का उपयोग गुणवत्ता वाले शेयरों में निवेश करने के अवसर के रूप में किया जाना चाहिए. इस बीच, एंजेल वन और मिष्टान्न फूड्स जैसे शेयरों में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. कुल मिलाकर आरबीआई की ओर से जोर दिए जाने के साथ स्थिरता के मद्देनजर बाजार विविध क्षेत्रीय प्रदर्शनों के बीच चयनात्मक लाभ के लिए तैयार है.
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