Somvati Amavashya 2024: 02 सितंबर 2024, सोमवार को सूर्योदय से 03 सितंबर सूर्योदय तक सोमवती अमावस्या का पावन पर्व है. हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, और जब अमावस्या का दिन सोमवार को आता है, तो उसे ‘सोमवती अमावस्या’ कहा जाता है. यह दिन विशेष रूप से पूज्यनीय होता है और इसे भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन किए गए विशेष अनुष्ठान और पूजन से भक्तों को उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति और कष्टों से मुक्ति मिलती है.
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तुलसी माता की पूजा का महत्व
सोमवती अमावस्या पर तुलसी माता की पूजा का भी विशेष महत्व है. हिंदू धर्म में तुलसी को देवी का रूप माना जाता है और इसकी पूजा से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है. यह माना जाता है कि तुलसी माता की आराधना से न केवल व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि उसके जीवन में आर्थिक समस्याएँ भी दूर हो जाती हैं. इस अमावस्या पर विशेष रूप से तुलसी माता की पूजा करने से घर में धन और संपत्ति की वृद्धि होती है.
तुलसी माता की 108 प्रदक्षिणा का विशेष फल
इस सोमवती अमावस्या पर जिन लोगों को आर्थिक कमजोरी या धन की कमी का सामना करना पड़ रहा है, उनके लिए एक विशेष उपाय बताया गया है. भक्तजन इस दिन तुलसी माता की 108 प्रदक्षिणा करें और साथ ही ‘श्री हरि… श्री हरि… श्री हरि…’ मंत्र का जाप करें. इस मंत्र का उच्चारण करते समय ‘श्री’ का अर्थ संपदा (धन-वैभव) और ‘हरि’ का अर्थ भगवान विष्णु की दया और कृपा माना जाता है.
मान्यता है कि इस उपाय को श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन से गरीबी दूर हो जाती है. तुलसी माता की 108 प्रदक्षिणा और ‘श्री हरि’ मंत्र के जाप से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समृद्धि का आगमन होता है.
‘श्री हरि’ मंत्र की महिमा
‘श्री हरि’ मंत्र का जाप भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए अत्यंत प्रभावी माना जाता है. यह मंत्र न केवल आर्थिक समस्याओं को दूर करता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का भी संचार करता है. इस मंत्र का जाप करते समय भक्तजन भगवान विष्णु के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और उनसे अपने जीवन की समस्याओं का समाधान मांगते हैं.
गरीबी दूर करने के लिए अन्य उपाय
सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी माता की पूजा और ‘श्री हरि’ मंत्र का जाप करने के अलावा, अन्य उपाय भी किए जा सकते हैं. इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना भी अत्यंत फलदायी मानी जाती है. शिवलिंग पर जल और बिल्वपत्र अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति की सभी समस्याओं का समाधान करते हैं.
इसके अलावा, इस दिन गंगा स्नान, व्रत और दान-पुण्य करने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है. गरीबों को भोजन कराने और जरूरतमंदों को दान देने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और उसकी जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है.
सोमवती अमावस्या की पूजा विधि
सोमवती अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद, तुलसी माता के पौधे के पास जाकर 108 बार उनकी प्रदक्षिणा करें. हर प्रदक्षिणा के साथ ‘श्री हरि’ मंत्र का जाप करें. इस मंत्र का उच्चारण श्रद्धा और विश्वास के साथ करें, ताकि भगवान विष्णु की कृपा आप पर बनी रहे.
इसके अलावा, शिवलिंग पर जल अर्पित करें और भगवान शिव का ध्यान करते हुए उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें. इस दिन दान-पुण्य करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है, इसलिए गरीबों को अन्न, वस्त्र या धन का दान अवश्य करें.
सोमवती अमावस्या का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
सोमवती अमावस्या का दिन न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में सद्भावना और सहयोग को बढ़ावा देने का भी अवसर है. इस दिन किए गए दान और पुण्य कार्य समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं और जरूरतमंदों की सहायता करते हैं.
तुलसी माता की पूजा, ‘श्री हरि’ मंत्र का जाप और दान-पुण्य से व्यक्ति न केवल अपनी आर्थिक समस्याओं का समाधान पा सकता है, बल्कि समाज में भी एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है. इस प्रकार, सोमवती अमावस्या का यह दिन व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने का एक महत्वपूर्ण अवसर होता है.
इस सोमवती अमावस्या पर, तुलसी माता की पूजा करें, ‘श्री हरि’ मंत्र का जाप करें और अपने जीवन को समृद्ध और खुशहाल बनाएं. भगवान विष्णु और भगवान शिव की कृपा से आपके जीवन की सभी परेशानियाँ दूर हों और आप एक सुखी और समृद्ध जीवन जिए
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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