सिरोही. डिप्रेशन, स्ट्रेस, तनाव, टेंशन….ये कुछ ऐसे शब्द हैं जो आजकल कुछ ज्यादा ही चलन में आ गए हैं. खासतौर से स्कूल कॉलेज विद्यार्थियों के लिए ये ज्यादा इस्तेमाल किए जा रहे हैं. क्या वजह है कि नयी पीढ़ी तनाव की ज्यादा शिकार हो रही है. बच्चों को नयी राह दिखाने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए ब्रह्मकुमारी संस्थान आगे आया है. वो विद्यार्थियों को ध्यान यानि मेडिटेशन के जरिए तनाव कम करने के उपाय बता रहा है.
अक्सर स्टूडेंट्स पढ़ाई बोझ और गला काट प्रतियोगिता के कारण डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं और गलत कदम उठा लेते हैं. इस तनाव व डिप्रेशन के कारण स्टूडेंट्स या तो नशे के चंगुल में फंस जाते हैं या फिर सुसाइड तक का कदम उठा लेते हैं. देश-दुनिया में फैला आध्यात्मिक संस्था ब्रह्मकुमारीज संस्थान इनकी मदद के लिए आगे आया है. वो राजयोग के जरिए बच्चों का तनाव कम कर रहा है.
हजारों विद्यार्थियों को लाभ- सिरोही जिले में स्थित ब्रह्मकुमारीज के अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय ने जयपुर में करीब 8 वर्ष पहले थॉट लैब या स्पिरिचुअल रिसर्च सेल शुरू किया था. ये सेल अब तक हजारों स्टूडेंट्स को लाभ पहुंचा चुका है. देश की चार यूनिवर्सिटी इसका लाभ ले रही हैं. इस लैब में स्टूडेंट को नेगेटिव थॉट को पॉजीटिव थॉट में चैंज करने की शिक्षा आधुनिक तरीके से दी जा रही है.
क्या है थॉट लैबोरेटरी-जयपुर के जेईसीआरसी में राजयोग थॉट लैब की नींव 2016 में रखी गई थी. यहां केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग से थॉट लैब संचालित हो रही है. अब तक 35 से अधिक देशों के प्रतिनिधि इसका अवलोकन कर चुके हैं. साथ ही 20 हजार से अधिक स्टूडेंट को लाभ मिला है. इस थॉट लैब की सफलता को देखते हुए 20 अप्रैल 2018 से नार्थ कैब यूनिवर्सिटी गुरुग्राम में इसकी स्थापना की गई. लैब से विचारों का महत्व समझकर हजारों स्टूडेंट को जिंदगी में नई दिशा मिली. इसके बाद एनआईटी कुरुक्षेत्र और फिर लखनऊ यूनिवर्सिटी में स्प्रिचुअल थॉट लैब शुरू की गई. इन चारों यूनिवर्सिटी में अब तक 50 हजार से अधिक स्टूडेंट विचारों का महत्व जानकर अपने जीवन को नई दिशा दे चुके हैं.
छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन
थॉट लैब में 5-6 विद्यार्थियों का ग्रुप बनाकर उनकी आदतों और विचारधारा के स्तर को पहचान कर कई प्रयोग किए गए. इस आधार पर उन्हें आदत बदलने और सकारात्मक सोच अपनाने के लिए काउंसलिंग की गई. अब तक यूनिवर्सिटी के हजारों स्टूडेंट को अपने विचारों को निगेटिव से पॉजीटिव करने में मदद मिली है. 150 से अधिक फैकल्टीज को भी लाभ मिला है. थॉट लैब का मुख्य उद्देश्य स्टूडेंट्स में पॉजीटिव थॉट पावर डेवलप करना, उनमें खुशी का स्तर बढ़ाना और अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद , युवाओं में छुपी प्रतिभा को निखारना, व्यक्तित्व निर्माण के लिए तैयार करना है.
कैसे होता है काम
थॉट लैब में विद्यार्थियों के विचारों की क्वालिटी को परखकर उनकी काउंसलिंग, मोटिवेशन, मेडिटेशन के जरिए एक नेक इंसान बनने के लिए प्रेरित किया जाता है. साथ ही दु:ख, चिंता, निराशा, तनाव, हीन भावना, डिप्रेशन के विचारों को बाहर निकाला जाता है. लैब में विद्यार्थियों के लिए मेडिटेशन रूम, काउंसलिंग रूम, विजडम हॉल, रिसर्च यूनिट और लाइब्रेरी बनाई जाती है. रिसर्च यूनिट में विभिन्न प्रकार की मशीनों और उपकरणों से विद्यार्थियों का स्ट्रेस लेवल और मानसिक स्थिति का अनुमान लगाया जाता है. लैब में डिवाइस और गैजेट्स में ओरा स्कैनिंग डिवाइस, मेडिटेशन असिस्टेंट, बॉडी फैट एनालाइजर, वीआर मेडिटेशन, स्ट्रेस मेसरिंग टूल का उपयोग किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : May 29, 2024, 13:23 IST