Monday, October 21, 2024
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Side Effects of Menopause : स्त्रियों में मेन्यूपॉज़ से होने वाले साइड एफेक्ट्स .

Side Effects of Menopause : राजू निर्मित या मेन्युपॉज महिलाओं में उम्र बढ़ाने का एक स्वाभाविक सा हिस्सा है जो आमतौर पर 40 से 45 वर्ष की उम्र के बाद होता है. लेकिन कुछ केसेस जिसमें सर्जरी या अंडाशय में नुकसान के कारण यह सामान्य उम्र से पहले भी हो सकता है. मेन्युपॉज के दौरान महिलाओं का शरीर कई तरह के बदलावों से गुजरता है जिसके कारण उन्हें कुछ शारीरिक समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है.मेन्युपॉज के दौरान महिलाओं को इसके कई तरह के दुष्प्रभावों को अनुभव करना पड़ सकता है.चलिए इन दुष्प्रभावों के बारे में विस्तार से जानते हैं.

Side Effects of Menopause :मेन्युपॉज के दौरान होने वाले साइड इफैक्ट्स

अचानक से बुखारऔर गर्मी महसूस करना

मान्य पोस्ट के दौरान महिलाओं को अचानक गर्मी का एहसास होने लगता है जो 5 मिनट तक रहता है और यह गर्मी पसीने के साथ आती है.

योनि में सूखापन

इस दौरानमहिलाओं में योनि में सूखेपन की समस्याहो सकती है औरइसके परिणाम स्वरूपसंभोग के दौरान असुविधा और पीड़ा का अनुभव भी हो सकता है.

मूड स्विंग्स होना

इस दौरान महिलाओं को कई तरह के मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं जो की हार्मोनल बदलाव की वजह से होती है जैसे कि चिड़चिड़ापन, अवसाद, मूड में उतार-चढ़ाव, काम में मन ना लगना और तनाव.

नींद में समस्याएं

इस दौरान महिलाओं को अनिद्रा और सोने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है जिससे थकान, कमजोरी और भूख न लगने जैसी समस्या होती है.

त्वचा संबंधी समस्याएं

इस दौरान त्वचा में भी काफी परिवर्तन देखने को मिलता है कुछ महिलाओं की त्वचा बहुत ज्यादा ड्राई हो जाती है, तो कुछ की अधिक तैलीय हो जाती है. इस वक्त मुहासे और दाने होना भी सामान्य होता है.

वजन बढ़ाने की समस्या

इन सब की अतिरिक्त इस दौरान महिलाओं का वजन बढ़ सकता है, पाचन क्षमता धीमी हो जाती है, स्तन कोमल एवं शिथिल हो सकते हैं, मूत्र की बहुत तीव्र इच्छा होती है और कामेच्छा में भी कमी आती है.

Side Effects of Menopause : महिलाएं इन लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए जीवन शैली में कुछ जरूरी बदलाव कर सकती हैं या इससे जुड़ी दावाओं के बारे में अपने चिकित्सक से परामर्श ले सकती हैं. बहरहाल संतुलित आहार लेने से, नियमित रूप से व्यायाम करने से और तनाव कम करने से यह आपके मेन्यूपॉज की समस्या पर ही नहीं बल्कि समग्र स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर डालता है. शोध के अनुसार ओमेगा 3 फैटी एसिड को अपनी डाइट में शामिल करने से रात के पसीने आने की समस्या में मदद मिलती है और कैल्शियम, विटामिन डी, मैग्निशियम ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को भी कम करने में मदद करता है. इसीलिए ऐसी समस्याओं के अनुदान के लिए संतुलित आहार लेना सबसे प्राथमिक उपचार होता है.


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