Monday, November 18, 2024
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कहां है श्रृंगवेरपुर? भगवान श्रीराम के जन्म और वन गमन से गहरा नाता, जहां आज भी पूरी होती है खास मन्नत

पीएम नरेंद्र मोदी ने 21 मई बुधवार को प्रयागराज में अपने एक जनसभा में श्रृंगवेरपुर धाम का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के बाद श्रृंगवेरपुर धाम का विकास किया जाएगा. उनके जिक्र के बाद श्रृंगवेरपुर धाम चर्चा के केंद्र में आ गया है. क्या आप श्रृंगवेरपुर धाम के बारे में जानते हैं? हो सकता है कि बहुत सारे लोगों को इस धाम के बारे में पता न हो. आइए जानते हैं कि श्रृंगवेरपुर धाम कहां पर है? श्रृंगवेरपुर धाम का भगवान श्रीराम के जन्म और उनके वनवास से क्या संबंध है? श्रृंगवेरपुर धाम की विशेषता क्या है?

कहां है श्रृंगवेरपुर धाम?
उत्तर प्रदेश पर्यटन की बेवसाइट पर श्रृंगवेरपुर धाम के बारे में जानकारी मिलती है. उसके अनुसार, श्रृंगवेरपुर धाम उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में लखनऊ रोड पर स्थित है. प्रयागराज शहर से यह 40 किमी दूर स्थित है. रामायण काल में यह निषादराज की राजधानी हुआ करती थी.

श्रृंगवेरपुर धाम का भगवान राम के जन्म से संबंध
लोक कथाओं के अनुसार, श्रृंगवेरपुर में श्रृंगी ऋषि का आश्रम था. राजा दशरथ को जब कोई संतान नहीं थी, तो उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए श्रृंगी ऋषि से पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था. उस यज्ञ में खीर बनाई गई थी, जिसे राजा दशरथ ने अपनी तीनों रानियों कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने को दिया था. इसके बाद ही राजा दशरथ को प्रभु राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के रूप में चार पुत्र प्राप्त हुए.

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श्रृंगवेरपुर धाम: प्रभु राम के वन गमन से जुड़ी रोचक घटना
पौराणिक कथा के अनुसार, माता कैकेयी की इच्छा और पिता दशरथ की आज्ञा पर प्रभु राम, जीवनसंगीनी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ जब वन जा र​हे थे, तब वे निषादराज की राजधानी श्रृंगवेरपुर में भी आए थे. यहां से ही उनको गंगा नदी पार करके आगे जाना था. रामायण में यहां से जुड़ी एक रोचक घटना है.

कहा जाता है कि भगवान राम, सीता और लक्ष्मण गंगा को पार करना चाहते थे, लेकिन मांझी ने उनको नदी पार नहीं कराई. उसे डर था कि उसकी नाव कहीं स्त्री न बन जाए क्योंकि उससे पहले प्रभु राम ने शिला बनी अहिल्या का उद्धार किया था. ऐसे में उसकी रोजी-रोटी कैसे चलेगी? इस वजह से प्रभु राम को इस क्षेत्र में एक रात बितानी पड़ी.

तब निषादराज ने शर्त रखी कि वे नाव में तभी तीनों को चढ़ाएंगे, जब प्रभु राम अपना चरण धोने की अनुमति देंगे. अनुमति पाकर निषादराज ने प्रभु राम के चरण पखारे और उस जल को पी लिया. प्रभु राम की कृपा से वह धन्य हो गए और बदले में उसे श्रीराम की मित्रता मिली. उसके बाद प्रभु राम, सीता और लक्ष्मण गंगा पार कर आगे बढ़े. जहां पर निषादराज ने श्रीराम के पैर धोए थे, उस स्थान पर आज एक मंच बना हुआ है.

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श्रृंगवेरपुर धाम, जहां पूरी होती है संतान सुख की मनोकामना
लोक मान्यता है कि राजा दशर​थ को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही थी तो इस स्थान पर ही उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराया था. इस वजह से आज भी नि:संतान लोग श्रृंगवेरपुर धाम आते हैं. यहां पूजा-पाठ करते हैं. खीर और रोट का भोग लगाते हैं. इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण भी करते हैं. कहा जाता है कि श्रृंगवेरपुर धाम में पूजा-अर्चना करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

Tags: Dharma Aastha, Lord Ram, Prayagraj News


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