Sunday, October 20, 2024
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Prakash Purab 2024: रांची में श्री हरगोविंद साहिब जी के प्रकाश पर्व पर सजा विशेष दीवान, संगत को बताया गया मिस्सी रोटी का इतिहास

Prakash Purab 2024: रांची-राजधानी रांची के रातू रोड की कृष्णा नगर कॉलोनी में गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा द्वारा शनिवार को छठे गुरु श्री हरगोविंद साहिब जी का प्रकाश पर्व मनाया गया. इस अवसर पर सजाए गए विशेष दीवान की शुरुआत सुबह 8 बजे हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी एवं साथियों द्वारा श्री आसा दी वार के पाठ से हुई. इस दौरान संगत को मिस्सी रोटी का इतिहास बताया गया.

गुरु अर्जुन देव जी की इकलौती संतान थे श्री हरगोविंद साहिब

रांची के रातू रोड की कृष्णा नगर कॉलोनी के गुरुद्वारा के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी जेवेंदर सिंह ने गुरु के जीवन पर प्रकाश डाला. साध संगत को बताया कि छठे गुरु श्री हरगोविंद साहिब जी का जन्म 1595 में हुआ. वे गुरु अर्जुन देव जी की इकलौती संतान थे. सिख समुदाय को एक सेना के रूप में संगठित करने का श्रेय इन्हें ही जाता है. इन्होंने सिख कौम को योद्धा-चरित्र प्रदान किया था. 1606 में 11 साल की उम्र में ही गुरु हरगोविंद साहिब जी ने अपने पिता से गुरु की उपाधि पा ली थी. इन्होंने शाति और ध्यान में लीन रहनेवाले सिख कौम को राजनीतिक और आध्यात्मिक दोनों तरीकों से चलाने का फैसला किया.

गुरु हरगोविंद साहिब ने ही कराया था अकाल तख्त का निर्माण

गुरु हरगोविंद सिंह जी ने दो तलवारें पहननी शुरू की. एक आध्यात्मिक शक्ति के लिए (पीरी) और दूसरा सैन्य शक्ति के लिए (मीरी). गुरु हरगोविंद साहिब जी ने ही अकाल तख्त का निर्माण भी कराया. इन्होंने अपने जीवनकाल में बुनियादी मानव अधिकारों के लिए कई लड़ाइयां लड़ीं.

शबद गायन कर साध संगत को गुरवाणी से जोड़ा

हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी ने “पंज प्याले पंज पीर छठम गुरु बैठा गुर भारी ………” एवं “श्री हरकिशन धिआइयै जिस डिठै सब दुख जाए………….” तथा ” तेरा कीया मीठा लागै हर नाम पदारथ नानक मांगै……….”जैसे कई शबद गायन कर साध संगत को गुरवाणी से जोड़ा. सत्संग सभा के सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने गुरु की महिमा का गुणगान करते हुए समूह साध संगत को प्रकाश पर्व की बधाई दी और इसी तरह गुरुघर से जुड़े रहने को कहा.

गुरुघर के सेवक मनीष मिढ़ा ने बताया मिस्सी रोटी का इतिहास

गुरुघर के सेवक मनीष मिढ़ा ने संगत को मिस्सी रोटी का इतिहास बताते हुए कहा कि गुरु हरगोबिंद साहिब जी के माता-पिता, गुरु अर्जन देव जी और माता गंगा जी को उनकी शादी के बाद लंबे समय तक कोई संतान नहीं हुई. एक दिन माता गंगा जी ने गुरु अर्जन देव जी से अनुरोध किया कि वे उन्हें एक बच्चे का उपहार दें क्योंकि गुरु जी संगत को उनकी जो भी इच्छा हो, उसे पूरा करते हैं. गुरु अर्जन देव जी ने माता गंगा जी से एक बच्चे का आशीर्वाद पाने के लिए एक गुरसिख की सेवा (निस्वार्थ सेवा) करने के लिए कहा. इसलिए माता गंगा जी बाबा बुड्ढा जी से मिलने के लिए निकल पड़ीं, जो एक भक्त गुरसिख थे. अगले दिन माता गंगा जी ने अपने हाथों से मिस्सी रोटी बनाई, मक्खन मथा और छाछ तैयार की.

माता जी ने बाबा बुड्ढा जी के किए दर्शन

माता जी ने भोजन के साथ कुछ प्याज भी पैक किए. माता जी ने भोजन को अपने सिर पर रखा और नंगे पांव मीलों चलकर बाबा बुड्ढा जी के दर्शन करने चली गईं. माता जी को देखकर बाबा बुड्ढा जी ने प्याज लिया और उसे अपने हाथ से आधा कुचल दिया और माता जी को एक पुत्र का आशीर्वाद दिया. बाबा जी ने माता गंगा जी से कहा कि उनके घर में ऐसा पुत्र जन्म लेगा जो बुरे लोगों के सिर कुचल देगा जैसे बाबा बुड्ढा जी ने प्याज कुचल दिया था. श्री अनंद साहिब जी के पाठ, अरदास, हुक्मनामा के साथ सुबह 10.40 बजे विशेष दीवान की समाप्ति हुई. मंच संचालन मनीष मिढ़ा ने किया. दीवान समाप्ति के बाद सत्संग सभा द्वारा मिस्सी प्रशादा, प्याज का अचार का लंगर चलाया गया.

दीवान में ये थे शामिल

आज के दीवान में गुरुनानक सत्संग सभा के अध्यक्ष द्वारका दास मुंजाल, अशोक गेरा, हरविंदर सिंह बेदी, हरगोबिंद सिंह, सुरेश मिढ़ा, बिनोद सुखीजा, नरेश पपनेजा,जीवन मिढ़ा, मोहन काठपाल, महेंद्र अरोड़ा, हरीश मिढ़ा,अमरजीत गिरधर,इंदर मिढ़ा,रमेश पपनेजा,आशु मिढ़ा,नवीन मिढ़ा,राजकुमार सुखीजा,अनूप गिरधर,हरविंदर सिंह हन्नी,सागर थरेजा,कमल मुंजाल,रमेश तेहरी,जीतू अरोड़ा,सुरजीत मुंजाल,महेश सुखीजा,रमेश गिरधर,रौनक ग्रोवर,चरणजीत मुंजाल,हरजीत बेदी,सुभाष मिढ़ा,राकेश गिरधर, जगदीश मुंजाल,बसंत काठपाल,भगवान दास मुंजाल,अश्विनी सुखीजा,पंकज मिढ़ा,जीतू काठपाल सहित अन्य शामिल थे.

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