Saturday, November 23, 2024
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Shravani Mela 2024: देवघर बाबाधाम में गर्भगृह का पट खुलते ही बोल बम से गूंज उठी कतार, शाम पांच बजे तक 90 हजार कांवरियों ने किया जलाभिषेक

Shravani Mela 2024: सोमवार से भगवान शंकर की आराधना का सर्वोत्तम मास श्रावण महीना प्रारंभ हो गया. इसी के साथ पूरी बाबानगरी शिवमय हो चुकी है. सोमवारी से इस पावन मास के शुरू होने के कारण बाबा पर जलार्पण के लिए रविवार की देर रात से ही कांवरियों की कतार लगनी शुरू हो गयी थी.

90 हजार श्रद्धालुओं ने किया जलार्पण

सुबह बाबा की सरदारी पूजा के बाद गर्भगृह का पट खुलते ही रूटलाइन बोल बम के जयघोष से गूंजने लगा. सावन की पहली सोमवारी को शाम पांच बजे तक करीब 90 हजार श्रद्धालुओं ने जलार्पण कर मंगलकामना की.

Shravani mela 2024: देवघर बाबाधाम में गर्भगृह का पट खुलते ही बोल बम से गूंज उठी कतार, शाम पांच बजे तक 90 हजार कांवरियों ने किया जलाभिषेक 3

कांचा जल पूजा की हुई शुरूआत

श्रावणी मेले से बाबा की स्पर्श पूजा बंद हो गयी, इसके बावजूद मुख्य व बाह्य अरघा से बाबा पर जल चढ़ाने के लिए भक्तों में उत्साह और ऊर्जा भरा हुआ था. पट खुलने के साथ ही कांचा जल पूजा की गयी. इसके बाद कांवरियों के जलार्पण की कतार आगे बढ़ने लगी.

भक्तों ने ऐसे किया जलार्पण

पट खुलने से पहले तक कतार मंदिर से करीब पांच किमी दूर बरमसिया चौक तक पहुंच गयी थी. हालांकि, सुबह पट खुलने के बाद कांवरियों की कतार आगे बढ़ने के साथ-साथ दोपहर तक मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित पंडित शिवराम झा चौक तक सिमट गयी. कतार को नेहरू पार्क व क्यू कॉम्प्लेक्स से व्यवस्थित करने से शिवभक्त यहीं से जलार्पण के लिए लगे थे.

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Shravani mela 2024: देवघर बाबाधाम में गर्भगृह का पट खुलते ही बोल बम से गूंज उठी कतार, शाम पांच बजे तक 90 हजार कांवरियों ने किया जलाभिषेक 4

महाकाल भैरव मंदिर में जलार्पण करते दिखे भक्त

बाबा पर जलार्पण के बाद कांवरिये मां पार्वती व उसके बाद महाकाल भैरव मंदिर में जलार्पण करते देखे गये. शास्त्र के अनुसार जहां-जहां ज्योतिर्लिंग है वहां- वहां भैरव की स्थापना है और बाबा से पहले वहां भैरव ही आये हैं. ऐसी मान्यता है कि भैरव बाबा पर जलार्पण करने से वह हर बाधा से रक्षा करते हैं. सुल्तानगंज में गंगा जल संकल्प के दौरान भी मंत्र में भैरव का जिक्र होता है.

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सरदार पंडा ने की पहली पूजा

सावन की पहली सोमवारी पर बाबा की कांचा जल पूजा के बाद सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा ने बाबा बैद्यनाथ का षोडशोपचार विधि से पूजा किया. इस दौरान बाबा का दूध से अभिषेक किया गया. सुबह चार बजे से अरघा लगा कर आम कांवरियों के लिए जलार्पण प्रारंभ कराया गया.

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