Tuesday, December 17, 2024
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2 शुभ संयोग में नवरात्रि शुरु, पहले दिन करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें मुहूर्त, पूजन विधि, मंत्र, भोग

इस साल की शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ आज 3 अक्टूबर गुरुवार को दो शुभ संयोग में हुआ है. नवरात्रि के पहले दिन इंद्र योग और हस्त नक्षत्र है. कैलाश से मां दुर्गा का आगमन डोली में हुआ है. वे अपने पुत्र गणेश, कार्तिकेय और शिव गणों के साथ अपने मायके पृथ्व लोक पर आई हैं. मातारानी के भक्त मां दुर्गा का आह्वान करके कलश स्थापना कर उनका पूजन करेंगे. नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. आज के दिन से 9 दिन के व्रत का प्रारंभ होता है. हालांकि कुछ लोग प्रथम दिन और अष्टमी के दिन व्रत रखते हैं. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त, भोग और महत्व के बारे में.

शारदीय नवरात्रि 2024 पहला दिन
अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ: 3 अक्टूबर, गुरुवार, 12:18 एएम से
अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि का समापन: 4 अक्टूबर, शुक्रवार, 2:58 एएम तक
उदयाति​थि के आधार पर शारदीय नवरात्रि का पहला दिन 3 अक्टूबर को है. अश्विन शुक्ल प्रतिपदा से शारदीय नवरात्रि शुरू होती है.

यह भी पढ़ें: नवरात्रि आज से शुरु, कलश स्थापना मुहूर्त, सुबह में 1 घंटे 6 मिनट, दोपहर में 47 मिनट, जानें समय

नवरात्रि कलश स्थापना और पूजा मुहूर्त 2024
सुबह: 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक
दोपहर: 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक

शारदीय नवरात्रि 2024 शुभ योग और नक्षत्र
इंद्र योग: आज प्रात:काल से लेकर कल प्रात: 04:24 बजे तक
हस्त नक्षत्र: आज प्रात:काल से दोपहर 3:32 बजे तक
चित्रा नक्षत्र: आज दोपहर 3:32 बजे से कल शाम 6:38 बजे तक

मां शैलपुत्री का प्रिय फूल
प्रथम नवदुर्गा यानी मां शैलपुत्री को गुड़हल और कनेर का फूल बहुत प्रिय है. पूजा के समय ये फूल चढ़ाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

मां शैलपुत्री का भोग
देवी शैलपुत्री को गाय के दूध से बनी खीर या कोई सफेद मिठाई का भोग लगा सकते हैं. गाय के घी का भी भोग लगा सकते हैं.

यह भी पढ़ें: 3 ​अक्टूबर से नवरात्रि शुभारंभ, पहले दिन कैसे करें कलश स्थापना? जानें मुहूर्त, सामग्री, सही विधि

मां शैलपुत्री का पूजा का मंत्र
1. ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः
2. वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
3. ह्रीं शिवायै नम:

मां शैलपुत्री की पूजा विधि
पर्वराज हिमालय की पुत्री मां शैलपुत्री गौरवर्ण वाली, हाथ में त्रिशूल, कमल का फूल धारण करने वाली और बैल पर सवार होती हैं. उनके माथे की शोभा चंद्रमा बढ़ता है. कलश स्थापना के बाद आप मां शैलपुत्री की पूजा करें. देवी शैलपुत्री को अक्षत्, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं. पूजा के समय मंत्र पढ़ें और भोग लगाएं. उसके बाद उनकी आरती करें.

मां शैलपुत्री की पूजा के फायदे
1. मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है.
2. देवी शैलपुत्री की कृपा से व्यक्ति को मोक्ष भी मिलता है.
3. यश, कीर्ति, धन और धान्य की प्राप्ति के लिए भी मां शैलपुत्री आशीर्वाद देती हैं.
4. मां शैलपुत्री की कृपा से कुंडली का चंद्र दोष दूर होता है.

Tags: Dharma Aastha, Durga Puja festival, Navratri festival, Religion


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