Monday, November 18, 2024
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3 ​अक्टूबर से नवरात्रि शुभारंभ, पहले दिन कैसे करें कलश स्थापना? जानें मुहूर्त, सामग्री, सही विधि

इस साल की शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 3 अक्टूबर से हो रहा है, जो 12 अक्टूबर तक चलेगा. देवी भागवत और मार्कंडेय पुराण के अनुसार, नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. महा नवमी को नवरात्रि का हवन करते हैं और दशमी को पारण करके व्रत को पूरा करते हैं. नवरात्रि के प्रथम दिन यानी अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना करते हैं और मां दुर्गा का आह्वान करते हैं, उसके बाद नवरात्रि की पूजा शुरू होती है. प्रश्न यह है कि कलश स्थापना कैसे करें? कलश स्थापना की सामग्री और मुहूर्त क्या है? इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव.

शारदीय नवरात्रि का पहला दिन 2024
शारदीय नवरात्रि का पहला दिन अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि को होता है. पंचांग के अनुसार, अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 2 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट से 4 अक्टूबर को तड़के 2 बजकर 58 मिनट तक है. उदयातिथि के आधार अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 3 अक्टूबर को है. ऐसे में नवरात्रि का पहला दिन 3 अक्टूबर गुरुवार को है. इस दिन कलश स्थापना होगी.

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कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 2024
शारदीय नवरात्रि के कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह में 6:15 बजे से 7:22 बजे तक और अभिजीत मुहूर्त 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक है.

शारदीय नवरात्रि 2024 कलश स्थापना सामग्री
मिट्टी का एक कलश, रक्षासूत्र, गंगाजल, सात प्रकार के अनाज, जौ, आम और अशोक की हरी पत्तियां, केले के पत्ते, जटावाला नारियल, सूखा नारियल, अक्षत्, धूप, दीप, कपूर, रुई की बाती, गाय का घी, रोली, चंदन, गाय का गोबर, पान का पत्ता, सुपारी, लौंग, इलायची, नैवेद्य, फल, गुड़हल के फूल, फूलों की माला, पंचमेवा, माचिस, मातरानी का ध्वज आदि.

कलश स्थापना का महत्व
कलश स्थापना करने से नकारात्मकता दूर होती है. इससे घर में सुख, समृद्धि और शांति आती है. परिवार के सदस्य निरोगी रहते हैं. घर से बीमारियां दूर होती हैं. कलश को विघ्नहर्ता श्री गणेश जी का प्रतिरुप भी मानते हैं. उनकी कृपा से कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और शुभता बढ़ती है.

शारदीय नवरात्रि 2024 कलश स्थापना की सही विधि
1. पहले दिन नवरात्रि व्रत और मां दुर्गा की पूजा का संकल्प लें. उसके बाद गणेश जी को प्रणाम करके पूजा स्थान पर ईशान कोण में एक लकड़ी की चौकी रखें. कलश स्थापना करें.

2. चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर धान या सप्त धान्य रखें. उस पर कलश रखें. कलश के गर्दन पर रक्षासूत्र लपेट दें. उस पर तिलक लगाएं. इसके बाद कलश में गंगाजल और पानी डालें.

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3. इसके बाद कलश में अक्षत्, फूल, सुपारी, सिक्का, दूर्वा, हल्दी, चंदन आदि डाल दें. इसके बाद आम और अशोक के पत्ते कलश में डालें. फिर उस कलश के मुख को ढक्कन से ढक दें.

4. फिर सूखे नारियल पर रक्षासूत्र लपेट दें. उसे कलश के ढक्कन को अक्षत् से भर दें और उस पर नारियल को रख दें. इस प्रकार से आपका कलश स्थापना हो जाएगा.

5. कलश स्थापना के बाद अब गणेश जी, वरुण देव के साथ अन्य देवी-देवताओं की पूजा करें. मां दुर्गा की पूजा करें. फिर उनके प्रथम स्वरूप मां शैत्रपुत्री की पूजा करें.

6. कलश के पास पवित्र मिट्टी फैलाकर उसमें जौ डाल दें. फिर उस पर पानी छिड़कें. ताकि जौ के उगने के लिए सही नमी हो जाए. यह जौ पूरी नवरात्रि तक रखते हैं. यह जितना ही हरा भरा होगा, उतना ही आपके परिवार में सुख और समृद्धि बढ़ेगी. ऐसी धार्मिक मान्यता है.

Tags: Dharma Aastha, Durga Puja festival, Navratri festival, Religion


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