भगवान कृष्ण को पाने के लिए गोपियों ने मां कात्यानी की पूजा की थी. मान्यता है जो भी इनकी पूजा करता है उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
Shardiya Navratri 2024 6th Day : शारदीय नवरात्रि के महापर्व का शुभारंभ 3 अक्टूबर से हो चुका है. आज नवरात्रि का छठवां दिन है, जो मां कात्यायनी को समर्पित किया गया है. धार्मिक मान्यता है कि जो भक्त माता के इस स्वरूप की पूजा करता है, उसको सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. उसके जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, ऋषि की पुत्री होने के कारण ही देवी कात्यायनी को इस नाम से जाना जाता है. वहीं, भगवान कृष्ण को पाने के लिए गोपियों ने मां कात्यानी की पूजा की थी. मान्यता है जो भी इनकी पूजा करता है, उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं मां के इस स्वरूप और पूजा विधि के बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
कैसा है मां कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी को मां दुर्गा का छठवां स्वरूप माना जाता है. ये अत्यंत चमकीला और भास्वर है. इन्हें ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है. मां का वाहन सिंह है. मां की चार भुजाएं हैं, जिसमें दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा अभयमुद्रा में है और नीचे वाली भुजा वरमुद्रा में है. जबकि, बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में तलवार और नीचे वाली भुजा में कमल-पुष्प है.
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इस विधि से करें पूजा
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
मां कात्यायनी का पूजन से पहले कलश की पूजा करने विधान है, जो स्वयं भगवान गणेश हैं.
उन्हें स्नान कराने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनाएं और फूल, अक्षत अर्पित करके तिलक लगाएं. इसके बाद भगवान गणेश को मोदक भोग लगाकर पूरे विधि विधान से पूजा करें.
अब नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता की पूजा भी करें.
इसके बाद ही आप माता कात्यानी की पूजा करना चाहिए.
मां कात्यानी की पूजा के लिए एक हाथ में फूल लेकर माता का ध्यान करें.
अब माता को फूल, अक्षत, कुमकुम और सिंदूर चढ़ाएं.
इसके बाद माता को भोग लगाना ना भूलें.
मां कात्यायनी के पास घी का दीपक जलाएं.
पूजा करते समय मंत्रों का जाप करें ओर अंत में मां की आरती करें.
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मां कात्यायनी मंत्र
“कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी.
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः..”
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FIRST PUBLISHED : October 8, 2024, 06:16 IST