Tuesday, October 22, 2024
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कब है सावन का अंतिम प्रदोष? शनिवार के इस व्रत का सबको रहता इंतजार, जानें मुहूर्त-महत्व

Shani Pradosh Vrat 2024 Date: सावन का अंतिम प्रदोष व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी ति​थि को रखा जाएगा. शनिवार के दिन होने के कारण यह शनि प्रदोष व्रत होगा. शनि प्रदोष व्रत का इंतजार पूरे साल सब लोग करते हैं क्योंकि ये अपने महत्व के कारण विशेष माना जाता है. इस बार का आना वाला व्रत साल का दूसरा शनि प्रदोष व्रत होगा. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि शनि प्रदोष व्रत कब है? सावन के अंतिम प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त क्या है? उस दिन कौन से योग बनेंगे और इस व्रत का महत्व क्या है?

किस दिन है सावन का अंतिम प्रदोष 2024?
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 अगस्त को सुबह 8 बजकर 5 मिनट से प्रारंभ होगी. इस तिथि की मान्यता 18 अगस्त को सुबह 5 बजकर 51 मिनट तक रहेगी. ऐसे में प्रदोष काल के पूजा मुहूर्त को देखते हुए सावन का अंतिम प्रदोष व्रत यानि शनि प्रदोष व्रत 17 अगस्त दिन शनिवार को रखा जाएगा.

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2 शुभ योग में शनि प्रदोष व्रत 2024
सावन का अंतिम प्रदोष व्रत यानि शनि प्रदोष व्रत के दिन दो शुभ योग बनने वाले हैं. व्रत के दिन प्रीति योग प्रात:काल से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक है. उसके बाद से आयुष्मान योग प्रारंभ हो जाएगा, जो अगले दिन 18 अगस्त को सुबह 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा.

शनि प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त
सावन के इस शनि प्रदोष व्रत की पूजा का मुहूर्त 2 घंटे 11 मिनट तक है. जो लोग 17 अगस्त को शनि प्रदोष का व्रत रखेंगे, वे भगवान शिव की पूजा शाम के समय में 6 बजकर 58 मिनट से रात 9 बजकर 9 मिनट के बीच कभी भी कर सकते हैं.

शनि प्रदोष के दिन रुद्राभिषेक समय
यह सावन का शनि प्रदोष व्रत है. इस दिन सूर्योदय के समय यानी सुबह 5 बजकर 51 मिनट के बाद से कभी भी रुद्राभिषेक कराया जा सकता है क्यों​कि पूरे दिन शिववास रहेगा. सावन में हर दिन शिववास होता है. वैसे शनि प्रदोष के दिन शिववास कैलाश पर प्रात:काल से लेकर सुबह 8 बजकर 5 मिनट तक है. उसके बाद नंदी पर होगा, जो अगले दिन 5 बजकर 51 ए एम तक रहेगा.

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शनि प्रदोष व्रत 2024 कालसर्प दोष पूजा समय
शनि प्रदोष व्रत वाले दिन आप कालसर्प दोष की पूजा भी करा सकते हैं. कालसर्प दोष से शिव जी की पूजा राहुकाल में कराते हैं. उस दिन राहुकाल का समय 09:08 ए एम से 10:47 ए एम तक है.

शनि प्रदोष व्रत का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, शनि प्रदोष का व्रत रखकर भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने पर नि:संतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है. शनि प्रदोष का व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति का योग बनता है. इसके अलावा जो लोग इस व्रत को पूरी भक्ति भावना के साथ करते हैं, उनके दुख दूर होते हैं, सुख, समृद्धि, धन, वैभव आदि की प्राप्ति होती है.

Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, Religion, Sawan Month


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