Shani Dosh: वैदिक ज्योतिष में शनि को सबसे धीमी गति से चलने वाला और पापी ग्रह माना गया है. शनि एक राशि में करीब ढाई वर्षों तक रहते हैं और फिर दूसरी राशि में गोचर करते हैं, जिससे उनका प्रभाव जातकों के जीवन पर लंबे समय तक बना रहता है. शनिदेव को कर्मों के न्यायाधीश कहा गया है, जो अच्छे कर्मों पर शुभ फल और बुरे कर्मों पर अशुभ फल देते हैं. शनि की अशुभ छाया पड़ने पर व्यक्ति को साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा का सामना करना पड़ता है, जिससे जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं. हालांकि, कुछ विशेष स्थितियों में शनिदेव की कृपा भी प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में सुख और वैभव का अनुभव करता है. शनि का प्रकोप जीवन में कम से कम एक बार अवश्य आता है, जिससे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. शनिदेव के राशि परिवर्तन के दौरान उनकी दशा, साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है, लेकिन कुछ राशियां ऐसी होती हैं, जिन पर शनि का अशुभ प्रभाव कम होता है. ये राशियां शनिदेव की विशेष कृपा से लाभान्वित होती हैं, जिससे उनके जीवन में कम परेशानियां और अधिक सुख-समृद्धि बनी रहती है.
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों पर शनिदेव का प्रभाव सदैव शुभ रहता है, इस राशि में शनि की साढ़ेसाती और दशा में कष्ट कम होता है, क्योंकि शुक्रदेव के स्वामित्व में शनिदेव विशेष कृपा रखते हैं. इन्हें धन की सुधारी और समृद्धि का उत्तम अनुभव होता है, जिससे उनका जीवन स्थिर और सुखमय रहता है. शनिदेव की विशेष कृपा से इन्हें आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और वे अपने जीवन में अधिक समृद्धि और सफलता का आनंद उठा सकते हैं.
तुला राशि
तुला राशि में उच्च विशेषण में शनिदेव अपना सबसे शुभ प्रभाव व्यक्त करते हैं, इस राशि के जातकों को शनि की दशा और साढ़ेसाती में अधिक कष्ट नहीं आता, क्योंकि यहां शुक्रदेव के स्वामित्व में शनिदेव विशेष कृपा रखते हैं, जिससे उन्हें भाग्यशाली होने का अनुभव होता है.
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मकर राशि
मकर राशि शनिदेव की प्रिय राशियों में से एक मानी जाती है. यहां शनि स्वयं इस राशि के स्वामी हैं. इस राशि पर शनिदेव की साढ़ेसाती में ज्यादा कष्ट नहीं होता और शनि की पूजा करने पर शनिदेव जल्दी ही प्रसन्न होकर उन्हें शनिदोष से मुक्ति दिला सकते हैं.
कुंभ राशि
शनिदेव द्वारा कुंभ और मकर राशियों के जातकों पर अपनी विशेष कृपा बरसाने से उन्हें धन की कोई कमी महसूस नहीं होती है, इन राशियों के लोग शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा के दौरान ज्यादा अशुभ प्रभावों से मुक्त रहते हैं, जिससे उन्हें जीवन में विभिन्न सफलताएं प्राप्त होती हैं.