सावन का महीना चल रहा है. श्रावण मास में भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं ताकि वे प्रसन्न होकर कष्टों से मुक्ति प्रदान करें. भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं. लेकिन शिव जी से जुड़े कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनको करने से भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव का कहना है कि यदि आप संकटों में घिरे हैं और आपकी माली हालत ठीक नहीं हैं तो आपको सावन में शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और संकट खत्म होते हैं. व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है. दरिद्रता दूर होती हैं और धन का आगमन होता है. शिव रक्षा स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भगवान भोलेनाथ अपने भक्त की संकटों से रक्षा करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिव रक्षा स्तोत्र का 1300 बार पाठ करना अधिक फलदायी होता है.
क्या है शिव रक्षा स्तोत्र?
ऋषि यागवल्क्य ने संस्कृत में शिव रक्षा स्तोत्र की रचना की थी, जिसका पाठ करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति का कल्याण करते हैं. जो व्यक्ति शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करता है, उसकी रक्षा महादेव करते हैं. उसे किसी प्रकार का भय नहीं होता और वह कष्टों से मुक्ति प्राप्त करता है. शिव रक्षा स्तोत्र में कुल 12 श्लोक दिए गए हैं. इसका उच्चारण सही से करना चाहिए. सही उच्चारण के साथ विधिपूर्वक इसका पाठ करना चाहिए.
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शिव रक्षा स्तोत्र
अस्य श्री शिवरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य याज्ञवल्क्य ऋषिः, श्री सदाशिवो देवता, अनुष्टुप् छन्दः, श्री सदाशिवप्रीत्यर्थं शिवरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः।।
चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम्।
अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम्।।1।।
गौरीविनायकोपेतं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रकम्।
शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नरः।।2।।
गङ्गाधरः शिरः पातु फालं अर्धेन्दुशेखर:।
नयने मदनध्वंसी कर्णो सर्पविभूषणः।।3।।
घ्राणं पातु पुरारातिः मुखं पातु जगत्पतिः।
जिह्वां वागीश्वरः पातु कन्धरां शितिकन्धरः।।4।।
श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः।
भुजौ भूभारसंहर्ता करौ पातु पिनाकधृक्।।5।।
हृदयं शङ्करः पातु जठरं गिरिजापतिः।
नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्राजिनाम्बरः।।6।।
सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागतवत्सलः।
ऊरू महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः।।7।।
जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः।
चरणौ करुणासिन्धुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः।।8।।
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एतां शिवबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।
स भुक्त्वा सकलान्कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्।।9।।
ग्रहभूतपिशाचाद्याः त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।
दूरादाशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्।।10।।
अभयङ्करनामेदं कवचं पार्वतीपतेः।
भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम्।।11।।
इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽदिशत्।
प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यः तथाऽलिखत्।।12।।
-इति श्रीयाज्ञवल्क्यप्रोक्तं शिव रक्षा स्तोत्र पूर्णं-
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FIRST PUBLISHED : July 24, 2024, 13:32 IST