सावन माह में भगवान भोलेनाथ की महिमा और उनके रहस्यों को समेटने वाले दिव्य ग्रंथ शिव पुराण को सुनने और पढ़ने से पुण्य लाभ होता है, साथ ही मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और जीवन के अंत में शिव लोक में स्थान प्राप्त होता है. शिव पुराण को सुनने के लिए विधि और कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करना जरूरी है. यदि आप विधि से और नियमपूर्वक शिव पुराण को नहीं सुनते हैं तो आप उससे मिलने वाले लाभों से वंचित रह सकते हैं. आइए जानते हैं शिव पुराण सुनने की विधि और नियम के बारे में.
शिव पुराण सुनने की विधि क्या है?
1. शिव पुराण के अनुसार, सबसे पहले आपको किसी ज्योतिषी को बुलाकर कथा सुनने के लिए शुभ मुहूर्त पता करनी चाहिए और उसके लिए उसे दान से संतुष्ट करना चाहिए. मुहूर्त निकलने के बाद इसकी सूचना अपने आस पास के लोगों और रिश्तेदारों को देनी चाहिए कि आपके यहां शिव पुराण की कथा होने जा रही है. जो लोग शिव पुराण की कथा सुनने के लिए आएं, उनका आदर और सम्मान करना चाहिए.
2. शिव पुराण सुनने के लिए मंदिर, घर, वन या तीर्थ स्थान पर उत्तम स्थान का निर्माण करना चाहिए. केले के खंभों से सुशोभित कथामंडप तैयार कराना चाहिए. उसे फूल, पत्ते आदि से सजाना चाहिए. उसके चारों कोनों पर शिव ध्वज लगाना चाहिए.
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3. भगवान शिव शंकर के लिए दिव्य आसन का निर्माण करें. कथा वाचक के लिए भी एक सुंदर आसन बनाना चाहिए. कथा सुनने के लिए आने वाले लोगों के बैठने के लिए भी स्थान होना चाहिए. कथा वाचक के प्रति अपने मन में कोई बुरी भावना न रखें.
4. कथा वाचक को शिव पुराण की कथा सूर्योदय से लेकर साढ़े तीन पहर तक कहनी चाहिए. मध्याह्न के समय दो घड़ी के लिए कथा बंद कर देनी चाहिए, ताकि श्रोतागण मल-मूत्र का त्याग कर सकें.
5. कथा प्रारंभ होने वाले दिन से एक दिन पूर्व व्रत रखना चाहिए. शिव पुराण की कथा प्रारंभ करने से पहले विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. उसके बाद भगवान शिव और शिव पुराण की पूजा करें. उसके बाद श्रोता तन और मन से शुद्ध होकर ध्यान से कथा सुनें.
6. जो श्रोता और वक्ता अनेक कर्मों में लिप्त हों, काम आदि समेत 6 विकारों से परेशान हों, उनको शिव पुराण की कथा सुनने से कोई पुण्य नहीं मिलता है.
7. जो श्रोता अपनी सभी चिंताओं को भूलकर मन से कथा सुनते हैं. उनको उत्तम फल की प्राप्ति होती है.
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शिव पुराण सुनने का नियम
1. जिस व्यक्ति ने गुरु से दीक्षा नहीं ली है, उसे शिव पुराण की कथा सुनने का अधिकार नहीं है. वही व्यक्ति कथा सुन सकता है, जिसने दीक्षा ली है. कथा सुनने से पहले दीक्षा लेनी जरूरी है.
2. कथा सुनने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करना चाहिए. भूमि पर सोना चाहिए. पत्तल में खाना चाहिए और कथा सुनने के बाद ही अन्न ग्रहण करना चाहिए.
3. जो लोग सामर्थ्यवान हैं, उनको शिव पुराण की कथा सुनने तक उपवास रखना चाहिए. एक बार ही भोजन करना चाहिए. सेम, मसूर, गरिष्ठ अन्न, दाल, जला भोजन, बासी भोजन, लहसुन, प्याज, गाजर, हींग, मादक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए.
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4. शिव पुराण की समाप्ति पर पुराण की और वक्ता की पूजा करनी चाहिए. उस पुस्तक को रखने के लिए नया और सुंदर बस्ता बनाएं. कथा में आए अन्य ब्रह्मणों को दान दें.
5. जो गृहस्थ हैं, वे कथा समाप्ति के बाद श्रवण कर्म की शांति के लिए हवन करें. जो साधु-संन्यासी हैं, उनको गीत का पाठ करना चाहिए. हवन में आप गायत्री मंत्र या रुद्र संहिता के मंत्रों का उपयोग कर सकते हैं. यदि हवन नहीं कर सकते हैं तो शिव सहस्रनाम का पाठ करें.
6. कथा श्रवण व्रत की पूर्णता के लिए शहद से बनी खीर का भोजन 11 ब्राह्मणों को कराकर उन्हें दक्षिणा दें. विधि और नियम से शिव पुराण की कथा सुनने पर व्यक्ति को मोक्ष और संपूर्ण भोग प्राप्त होता है.
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FIRST PUBLISHED : July 26, 2024, 10:20 IST