Sunday, October 20, 2024
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शिवलिंग पर डालते हैं जल की तेज धार? गलत है जलाभिषेक का यह तरीका, जानें शिवजी को जल चढ़ाने की विधि

Sawan 2024 Jalabhishek Niyam: सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव का जल से अभिषेक करते हैं. इससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. पौराणिक कथा के अनुसार, अमृत मंथन के समय निकले विष का पान करने से भगवान शिव पर उसका असर होने लगा था, तब उसे कम करने के लिए सभी देवी और देवताओं ने उनका जल से अभिषेक किया. इससे उनको काफी राहत मिली. इस घटना के बाद से शिवजी को जल अर्पित किया जाने लगा. इससे महादेव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. शिवलिंग पर जल चढ़ाने का भी नियम है. कई बार लोग लोटे में पानी भरकर सीधे शिवलिंग पर उड़ेल देते हैं या जल की तेज धारा शिवलिंग पर अर्पित करते हैं. यह तरीका गलत है. ​केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं कि शिवजी को जल चढ़ाने की सही विधि क्या है? शिवलिंग के जलाभिषेक का नियम क्या है?

शिवलिंग पर जल चढ़ाने की सही विधि

ज्योतिषाचार्य डॉ. मिश्र के अनुसार, शिव पूजा या जलाभिषेक से पूर्व व्यक्ति को स्वयं स्वच्छ और पवित्र करना चाहिए. इसके लिए आप स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. जल से आचमन करके स्वयं की शुद्धि करें लें. इसके बाद शिवलिंग या शिव जी का जलाभिषेक करें.

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जलाभिषेक का अर्थ है- जल या पानी से शिव जी का अभिषेक. अभिषेक का मतलब स्नान कराने से है. जलाभिषेक के लिए आप साफ जल, गंगाजल या अन्य पवित्र नदियों के जल का उपयोग कर सकते हैं. इसके अलावा आप चाहें तो गाय के कच्चे दूध, गन्ने के रस, तेल आदि से भी शिवलिंग का अभिषेक कर सकते हैं. जलाभिषेक रुद्राभिषेक से अलग है, दोनों को एक ही समझने की भूल न करें. जलाभिषेक नियमित पूरा का हिस्सा है.

कैसे करें जलाभिषेक?
शिवलिंग का जलाभिषेक करने के लिए एक साफ बर्तन ले लें. उसे पवित्र जल से भर लें. उसमें गंगाजल मिला सकते हैं. फिर शिवलिंग के पास जाएं और पूर्व दिशा या ईशान कोण की ओर मुख करके खड़े हो जाएं. उसके बाद दोनों हाथों से उस बर्तन को पकड़ें और थोड़ा झुककर जल की पतली धारा धीमी गति से शिवलिंग पर गिराएं. इस बात का ध्यान रखें कि जल की धारा तीव्र गति वाली न हो.

इस दौरान आपको शिव जी के पंचाक्षर मंत्र ओम नम: शिवाय का उच्चारण करते रहना चाहिए. सीधे खड़े होकर जलाभिषेक न करें. तेज गति से जलाभिषेक करने या खड़े होकर जलाभिषेक करने से उसकी बूंदें आपके पैरों पर पड़ सकती हैं, जो अच्छा नहीं माना जाता है. आप जिस जल से अपने आराध्य का अभिषेक करने आए हैं, वह आपके पैरों पर पड़े, यह ठीक नहीं है.

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जलाभिषेक के बाद क्या करें?
जलाभिषेक करने के बाद भगवान भोलेनाथ को प्रणाम करें. बेलपत्र, सफेद चंदन, अक्षत्, शहद, फूल, धूप, दीप, गंध आदि से शिव जी की पूजा करें. शिव चालीसा का पाठ करें और आरती उतारें. फिर ​शिवलिंग की आधी परिक्रमा करें. अंत में महादेव से अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें, ताकि अपके कार्य सफल हों.

Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, Sawan Month, Sawan somvar


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