Saturday, October 19, 2024
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नई सरकार की राजकोषीय प्राथमिकताएं तय करेगा RBI Dividend

RBI Dividend: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से सरकार को दिए गए अब तक के सबसे बड़े 2.11 लाख करोड़ रुपये के लाभांश को दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियों ने राजकोषीय स्थिति के लिए सकारात्मक बताया है. इन एजेंसियों ने कहा है कि इस लाभांश का इस्तेमाल ही नई सरकार की राजकोषीय प्राथमिकताओं को तय करेगा. आरबीआई बोर्ड ने इस हफ्ते की शुरुआत में ही वित्त वर्ष 2032-24 में अर्जित मुनाफे से सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपये का लाभांश देने का फैसला किया, जो सरकार की ओर से निर्धारित 1.02 लाख करोड़ रुपये के बजट से दोगुने से भी ज्यादा है.

मध्यम अवधि में सकारात्मक होगी भारत की रेटिंग

फिच रेटिंग्स के एशिया-प्रशांत सॉवरेन्स निदेशक जेरेमी जूक ने कहा कि निरंतर घाटे में कमी खासकर अगर टिकाऊ राजस्व बढ़ाने वाले सुधारों द्वारा समर्थित होता, तो मध्यम अवधि में भारत की रेटिंग बुनियादी बातों के लिए सकारात्मक होगी. जेरेमी जूक ने कहा कि लाभांश का इस्तेमाल चाहे इसे बचाया जाए या अतिरिक्त खर्च के लिए किया जाए. सरकार की वित्तीय प्राथमिकताओं के बारे में संकेत प्रदान कर सकता है. फिच ने भारत को स्थिर परिदृश्य के साथ ‘बीबीबी’ रेटिंग दी है.

व्यय पर संयम बरत सकती है सरकार

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, दूसरी रेटिंग एजेंसी मूडीज रेटिंग्स ने कहा कि आरबीआई की ओर से उम्मीद से कहीं अधिक लाभांश हस्तांतरण का राजकोषीय प्रभाव इस बात से निर्धारित होगा कि आने वाली सरकार इन अतिरिक्त संसाधनों के साथ क्या करने का निर्णय लेती है.

मूडीज रेटिंग्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष क्रिश्चियन डी गुजमैन ने कहा कि एक तरफ सरकार व्यय पर संयम बरत सकती है और अपने घाटे के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद कर सकती. इससे उधार लेने की आवश्यकताएं कम हो जाएंगी, जिससे बाजार में दूसरे उद्देश्यों के लिए नकदी मुक्त हो सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार इस अतिरिक्त धनराशि का नई नीतियों और पहलों के लिए भी इस्तेमाल कर सकती है.

जीडीपी का 0.35 फीसदी है लाभांश

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि आरबीआई से अतिरिक्त लाभांश सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 0.35 फीसदी है. भारत को समय के साथ ‘रेटिंग समर्थन’ मिल सकता है, अगर वह राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए अप्रत्याशित लाभांश का इस्तेमाल करता है.

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एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के विश्लेषक यीफर्न फुआ ने कहा कि विनिवेश प्राप्तियों या अंतिम बजट में व्यय के लिए अतिरिक्त आवंटन जैसे क्षेत्रों में संभावित राजस्व की कमी के कारण अतिरिक्त लाभांश से घाटे में पूरी कमी नहीं आ सकती है. यदि इससे घाटा पूरी तरह कम हो जाता है, तो हमारा मानना ​​है कि इससे राजकोषीय समेकन तेज हो जाएगा, जो बदले में समय के साथ रेटिंग समर्थन प्रदान करेगा. इन तीनों वैश्विक रेटिंग एजेंसियों फिच, एसएंडपी और मूडीज ने स्थिर परिदृश्य के साथ भारत को सबसे कम निवेश ‘ग्रेड’ रेटिंग दी है.

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