Railway : भारत के इतिहास को आकार देने में ट्रेनों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है, और एक ट्रेन ऐसी है जो अंग्रेजों के जमाने से आजतक चल रही है. इस ट्रेन ने गोरों के शासन से लेकर हमारी आजादी तक सब कुछ देखा है. आइए आपको बताते हैं भारत की सबसे पुरानी ट्रेन के रूप में जानी जाने वाली इस ऐतिहासिक लोकोमोटिव की दिलचस्प कहानी.
ब्रिटिश सरकार ने की थी स्थापना
पंजाब मेल की स्थापना ब्रिटिश सरकार ने 1 जून, 1912 को की थी, जो बॉम्बे के बैलार्ड पियर मोल से शुरू होकर मूल रूप से पेशावर तक जाती थी. विभाजन के बाद, इसका मार्ग बदलकर पंजाब के फिरोजपुर से मुंबई तक चला दिया गया. ट्रेन को शुरू में बैलार्ड पियर मोल से चलाया जाता था, लेकिन बाद में 1914 में इसे बॉम्बे वीटी (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) में स्थानांतरित कर दिया गया. शुरुआत में, केवल ब्रिटिश अधिकारियों और उनके परिवारों को ही प्रथम श्रेणी के डिब्बों में चढ़ने की अनुमति थी, लेकिन अंततः, निम्न श्रेणी के डिब्बे जोड़े गए और देशी यात्रियों को भी ट्रेन में चढ़ने की अनुमति दी गई.
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एक वक्त थी भारत की सबसे तेज रेलगाड़ी
1914 में, पंजाब मेल ने बॉम्बे से दल्ली तक की यात्रा 29 घंटे और 30 मिनट में पूरी की. 1920 के दशक तक, अधिक ठहराव के बावजूद, समय घटकर 27 घंटे और 10 मिनट रह गया. 1970 के दशक के अंत में, पूरी यात्रा के लिए एक इलेक्ट्रिक इंजन शुरू किया गया था. मूल रूप से स्टीम इंजन से शुरू होने वाली इस ट्रेन में अंततः एयर कंडीशनिंग और डीजल इंजन लगाए गए. पंजाब मेल एक समय ब्रिटिश भारत की सबसे तेज़ और सबसे प्रतिष्ठित ट्रेन थी.
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आज भी चलती है यह ट्रेन
पंजाब मेल की यात्रा बॉम्बे बंदरगाह के पास बैलार्ड पियर मोल नामक स्टेशन से शुरू हुई थी. इसके बाद यह इटारसी, आगरा, दल्ली और लाहौर होते हुए पेशावर कैंट तक जाती थी, जिसे उस समय पंजाब लिमिटेड के नाम से जाना जाता था. आजादी के बाद 22 मार्च, 2020 को शुरू हुए कोविड-19 लॉकडाउन के कारण पंजाब मेल सहित सभी यात्री ट्रेन सेवाएं रोक दी गई थीं. हालांकि, ट्रेन ने 1 मई, 2020 को परिचालन फिर से शुरू किया और 1 दिसंबर, 2020 मे train को एलएचबी कोच में अपग्रेड किया गया. पंजाब मेल स्पेशल की नियमित सेवा आधिकारिक तौर पर 15 नवंबर, 2021 वापस को शुरू हो गईं.
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