राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय सखी हैं. जब भी कृष्ण का नाम आता हैं उनके साथ श्री राधा रानी का नाम भी आता है. आपने कृष्णभक्तों को अक्सर राधे-राधे का जाप करते देखा होंगा और राधे-राधे इस मंत्र का प्रेम और भक्ति से जाप करने से भक्त को जीवन में अद्भुत लाभ होता हैं. ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी राधा नाम का विशेष महत्व बताया गया है। चलिए जानते है श्री राधा नाम की अद्भुत महिमा क्या हैं.
ब्रह्मवैवर्तपुराण में व्यासदेव कहते हैं
राधा भजति तं कृष्णं स च तां च परस्परम्। उभयोः सर्वसाम्यं च सदा सन्तो वदन्ति च ॥
भावार्थ : राधा जी श्रीकृष्ण की आराधना करती है और श्रीकृष्ण राधाजी की आराधना करते है, श्री राधा देवी और भगवान श्रीकृष्ण वे दोनों ही परस्पर आराध्य और आधारक है, संतों का कथन है दोनों में सभी दृष्टियों से पूर्णतः क्षमता हैं.आप प्रेम, भक्ति और समर्पण से राधे-राधे कहे या कृष्ण-कृष्ण, राधा और कृष्ण एक ही हैं.
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राधे नाम जाप के अद्भुत लाभ
1. भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती हैं.
2. जाप से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
3. योगमाया शक्ति भक्त को भगवान के से मिलवा देती हैं.
4. भक्त का जीवन सरल और सुखमय होता हैं.
5. भगवान के प्रति प्रेम और भक्ति में उन्नति होती है.
6. बुरे विचार और आसुरी प्रवृति नष्ट हो जाते हैं.
7. राधा नाम का सुमिरन श्रीराधे के स्वरूप स्मरण सह करने से तत्काल भय से मुक्ति हो जाती हैं.
8. भक्त भगवान के साथ प्रेम के अटूट बंधन में बंध जाता हैं और भगवान का प्रेम प्राप्त करता हैं.
9. भक्त अपने जीवन में चरमसुख प्राप्त करता हैं.
10. सांसारिक सुखों से आसक्ति नष्ट हो जाती है.
11. भक्त जीवन में परम् आनंद प्राप्त करता हैं.
12. भक्त भगवान के परम पूज्य वैकुंठ धाम में जाता हैं.
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ब्रह्मवैवर्तपुराण खण्ड 2 (श्रीकृष्णजन्मखण्ड) अध्याय 52 व्यास देव कहते है:
राशब्दोच्चारणादेव स्फीतो भवति माधवः धाशब्दोच्चारतः पश्चाद्धावत्येव ससंभ्रमः।
भावार्थ : इस श्लोक में भगवान नारायण नारद मुनि से कहते है “रा” शब्द के उच्चारण मात्र से माधव हष्ट पुष्ट हो जाते है और “धा” के उच्चारण के से भक्त के पीछे वेगपूर्वक दौड़ पड़ते है.
ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान महादेव ने देवी पार्वती से अनेक बार राधा नाम का महत्व बताया है.
ब्रह्मवैवर्त पुराण खण्डः 2 (प्रकृति खण्ड) अध्याय 48 में महादेव कहते है:
भवनं धावनं रासे स्मरत्यालिंगनं जपन् । तेन जल्पति संकेतं तत्र राधां स ईश्वरः ॥
राशब्दोच्चारणाद्भक्तो राति मुक्तिं सुदुर्लभाम् । धाशब्दोच्चारणाद्दुर्गे धावत्येव हरेः पदम् ॥
भावार्थ : महादेव जी कहते है माता पार्वती से हे महेश्वरि! श्री कृष्ण रास में प्रिया जी के धावनकर्म का स्मरण करते हैं इसीलिये वे उन्हें ‘राधा’ कहते हैं, ऐसा मेरा अनुमान है. दुर्गे! भक्त ‘रा’ शब्द के उच्चारण मात्र से परम दुर्लभ कृपा को प्राप्त लेता है और ‘धा’ शब्द के उच्चारण से वह निश्चय ही श्रीहरि के चरणों में अपना स्थान प्राप्त कर लेता है. श्री राधा रानी के नाम का जाप करने से भक्त को अद्भुत लाभ होते हैं और जीवन भगवान की भक्ति में सुखमय होता हैं.‘राधा’ नाम का अर्थ धन, सफ़लता, समृद्धि, प्रेरणा, श्री कृष्ण का प्रेम व बौद्धिक ऊर्जा होता हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 24, 2024, 16:00 IST