Pradosh Vrat 2024: हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष तिथि का व्रत किया जाता है. यह दिन भगवान शिव की पूजा-उपासना के बहुत ही शुभ होता है. आज रखने वाला प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रत है. शनि प्रदोष व्रत की शुरुआत सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने से होती है. भगवान शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक किया जाता है, और उन्हें बेल पत्र, धतूरा, भांग, धूप, दीप आदि अर्पित किए जाते हैं. व्रती पूरे दिन मंत्र जाप और शिव की भक्ति में लीन रहते हैं. शाम के समय पुनः भगवान शिव की पूजा की जाती है और भोग अर्पित किया जाता है, इसके साथ ही जरूरतमंदों को दान देकर पुण्य अर्जित किया जाता है.
प्रदोश व्रत की पूजा कैसे करना चाहिए?
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
भगवान शिव, पार्वती और नंदी की पूजा करें. उन्हें पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराएं.
बेल पत्र, चंदन, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि अर्पित करें.
संभव हो तो पूरे दिन निराहार या फलाहार का व्रत रखें.
शाम को फिर से भगवान शिव की पूजा करें.
घी और शक्कर मिला हुआ जौ का सत्तू भोग लगाएं.
आठ दीपक जलाएं और आरती करें.
प्रसाद ग्रहण कर व्रत तोड़ें.
शनि प्रदोष व्रत के उपाय
शनि प्रदोष व्रत के साथ कुछ विशेष उपाय भी किए जाते हैं, जैसे कि सुबह सूर्यदेव को तांबे के लोटे में आकड़े के फूल मिलाकर अघ्य देना, शनि देव की पूजा करना और शिव मंदिर जाकर भगवान शिव के दर्शन करना. इन उपायों से शनि दोष से मुक्ति और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है.
01- सुबह जल्दी उठकर तांबे के लोटे से सूर्यदेव को जल अर्पित करें, इसमें आकड़े का फूल मिलाएं.
02- शनि देव की भी पूजा करें और तेल का दीपक जलाएं.
03- शिव मंदिर जाकर दर्शन करें.
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प्रदोष व्रत के लाभ
इस व्रत के पालन से न केवल भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि जीवन में शांति और समृद्धि भी आती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को विधिपूर्वक करने से कष्टों का निवारण होता है और मन को शांति मिलती है. व्रत के दौरान श्रद्धालुओं को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने की सलाह दी जाती है, साथ ही मांस, मछली, अंडे और नशीले पदार्थों के सेवन से परहेज करने की भी सलाह दी जाती है. शनि प्रदोष व्रत को श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से जीवन में निश्चित रूप से सकारात्मक बदलाव आते हैं, और भक्तों को भगवान शिव की अनुकंपा प्राप्त होती है.
ज्योतिषीय महत्व
शनि का प्रभाव: ज्योतिष में शनि को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है. शनि देव व्यक्ति के जीवन में सुख-दुख का कारक माने जाते हैं, इस व्रत के माध्यम से शनि के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है. यहां तक की राहु केतु जैसे अशुभ ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है. कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रहा हो इस अवस्था में शनि प्रदोष के दिन पुजन करने से शनि का दोष का प्रभाव कम हो जाता है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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