Jyeshtha month Pradosh Vrat 2024: ज्येष्ठ माह की शुरुआत हो चुकी है. यह माह गर्मी के कारण सबसे ज्यादा कष्टकारी माना जाता है. इस माह में सूर्य भगवान अपने सबसे ताकतवर रूप में होते हैं, जिससे धरती पर भीषण गर्मी पड़ती है. इसलिए इस माह में व्रत रखना कठिन हो जाता है.ऐसा माना जाता है कि इस दौरान उपवास रखने से जीवन की सभी परेशानियों का निवारण होता है. ऐसे में प्रदोष व्रत रखने से आपको शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है. इस बार ज्येष्ठ माह में प्रदोष व्रत 4 जून 2024, मंगलवार के दिन रखा जाएगा. मंगलवार के दिन पड़ने की वजह से इसे भौम प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमानजी की पूजा भी होती है ,इससे जातक की कुंडली से मांगलिक दोष दूर होता है.
प्रदोष व्रत के पूरे दिन रखना चाहिए उपवास
प्रदोष व्रत के पूरे दिन उपवास रखना चाहिए. इस दिन निर्जला उपवास करना और भी फलदायी माना जाता है. प्रदोष व्रत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू किया जा सकता है, इस व्रत को कोई भी रख सकता है. ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. प्रदोष का व्रत एक बार में 11 या 26 प्रदोष तक ही रखा जाता है. इसके बाद इसका उद्यापन कर देना चाहिए. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को सुख और समृद्धि बढ़ाने वाला माना जाता है. इस व्रत को करने से रोग,ग्रह दोष,कष्ट,पाप आदि से मुक्ति मिलती है. इस दिन की पूजा विधि से लेकर शुभ मुहूर्त के बारे में जान लेते हैं-
ज्येष्ठ भौम प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 4 जून को प्रात: 12 बजकर 18 मिनट पर होगी. इस तिथि का समापन 4 जून की रात 10 बजकर 1 मिनट पर होगा. ऐसे में पहला प्रदोष व्रत 4 जून को रखा जाएगा. इस दौरान पूजा के लिए 2 घंटे 1 मिनट तक का समय प्राप्त .
पूजा मुहूर्त – रात 07 बजकर 16 मिनट से – रात 09 बजकर 18 मिनट तक
Also Read: Vrat Tyohar List in June 2024: जून में कब है अपरा एकादशी, ज्येष्ठ अमावस्या, गायत्री जयंती और बकरीद? देखें व्रत-त्योहारों की लिस्ट
- प्रदोष व्रत पूजा विधि
- प्रदोष व्रत वाले दिन आप जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें .
- फिर शिव जी के समक्ष दीपक जलाएं और भगवान शिव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें.
- पूजा स्थल पर भगवान शिव की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करें और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करें.
- शाम के समय पूजा के दौरान दूध,दही,घी,शहद और गंगाजल मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें.
- भगवान शिव को भांग,धतूरा,बेलपत्र फूल और नैवेद्य अर्पित करें.
- फिर व्रत की कथा पढ़ें या सुनें.
- अंत में शिव जी की आरती करके पूजा समाप्त करें.
- प्रदोष उपवास के नियम
- व्रती तामसिक चीजों का सेवन न करें.
- इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें.
- भगवान शिव की पूजा विधि अनुसार करें.
- इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है.
- व्रती नमक का सेवन न करें .
- किसी के बारे में गलत विचार मन में न लाएं.
- व्रत में सिर्फ फल और जल का ही सेवन करें.