Monday, November 18, 2024
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Plant Based Meat: क्या होता है प्लांट बेस्ड मीट? जानें 3 साइड एफेकट्स

Plant Based Meat: प्लांट बेस्ड मीट असली मीट का एक अल्टरनेटिव होता है जो वीगन और शाकाहारी लोगों के लिए बनाया गया है. उन लोगों के लिए भी जो लोग मांस मछली को त्यागना चाहते हैं. प्लांट बेस्ड मीट दिखने में , महसूस करने में और खाने में बिल्कुल आम मीट के जैसे होते हैं, लेकिन उनमें मीट नहीं होता है और वह मटर सोया और .गेहूं जैसे पदार्थों से मिलकर बने होते हैं. इनमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्लांट बेस्ड मीट हृदय रोग एवं असमय मृत्यु का एक कारण हैं, या फिर यह आपके कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक? चलिए जानते हैं प्लांट बेस्ड मीट आपके हृदय का ख्याल रखते हैं या फिर उसे हानि पहुंचाते हैं.

क्या है प्लांट बेस्ड मीट?

प्लांट बेस्ड मीट्स को बनाया जाता है शाकाहारी पदार्थ से और इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि यह असली मीट जैसा लगे. यह छूने में, देखने मे और टेस्ट करने में असली मीट जैसा ही लगता है
लेकिन यह पूरी तरह से शाकाहारी होता है और पौधों से प्राप्त मटेरियल से ही बनाया जाता है. सामान्यतः यह सोया, मटर, दाल, बींस और अनाज से बनाया जाता है. यह मांसाहारी भोजन न करने वाले और वे लोग जो मांस मछली त्यागना चाहते हैं उनके लिए एक उपयुक्त विकल्प होता है. कुछ लोगों कोबीमारी के चलते मांसाहार त्यागना पड़ता है वह प्लांट बेस्ड मीट ट्राई कर सकते हैं. यह जानवरों के प्रति हो रहे,शोषण एवं उत्पीड़न के खिलाफ एक सकारात्मक कदम है और यह विगनिस्म को भी प्रमोट करता है.

क्या प्लांट बेस्ड मीट हृदय के लिए अच्छा होता है?

प्लांट बेस्ड अल्ट्रा प्रोसैस्ड फूड्स को लेने से अक्सर हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है और असमय मृत्यु का एक बहुत बड़ा कारण भी हो सकता है. अनुसंधान के हिसाब से अल्ट्रा प्रोसैस्ड फूड्स की जगह पर क प्रोसैस्ड प्लांट बेस्ड फूड्स का सेवन करने से हृदय रोगों का खतरा कम होता है.

कनाडा जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी के जून 2024 की रिपोर्ट में प्लांट बेस्ड मीट को कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य के लिए एक अच्छा उपाय बताया है. जिन लोगों ने प्लांट बेस्ड मीट का सेवन किया है उन्होंने अपने हृदय के स्वास्थ्य पर खतरनाक असर डालने वाले रिस्क जैसे कि कोलेस्ट्रॉल और मोटापे में कमी महसूस की है. यह भी पाया गया है कि प्लांट बेस्ड मीट में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और सोडियम की मात्रा कम होती है, इसमें लाल मीट के मुकाबले कम सैचुरेटेड फैट पाया जाता है. सैचुरेटेड फैट शरीर में लो डेंसिटी लिपॉप्रोटीन (LDL) कोलेस्ट्रॉल, जिसे हम बैड कोलेस्ट्रॉल के नाम से भी जानते हैं, उसकी मात्रा बढ़ा देता है जिससे धमनियों में ब्लॉकेज की समस्या पैदा हो सकती है.

प्लांट बेस्ड मीट खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान

हमेशा सिंपल और व्होल फूड सामग्री से बने प्रोडक्ट ले.
पैकेट पर लोअर सोडियम और सैचुरेटेड फैट की मात्रा की पुष्टि किए बिना प्रोडक्ट ना खरीदें.
हमेशाबींस डालें और मटरजैसेस्रोतों से बने आर्टिफिशियल मीट प्रोडक्ट्स को ही खरीदें.
हमेशा कम मिलावट वाले प्रोडक्ट को चुनें.
प्लांट बेस्ड मीट खरीदते वक्त जरूरी पोषक तत्व जैसे की विटामिन B12,आयरन और कैल्शियम वाले प्रोडक्ट्स ही खरीदें.

प्लांट बेस्ड मीट के साइड इफैक्ट्स

पाचन संबंधी समस्याएं

कुछ लोगों को आर्टिफिशियल मीट की सेवन करने पर पेट फूलना, गैस और पेट में दर्द की शिकायत हो सकती है क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है क्योंकि यह सोया से बने होते हैं.

एलर्जी

ऐसे प्रोडक्ट जिसमें सोया ग्लूटेन और दूसरे एलर्जी करने वाले पदार्थ होते हैं उसके सेवन से कुछ लोगों को समस्या हो सकती है.

पोषण की कमी होना

अगर आप प्लांट बेस्ड मीट पर पूरी तरह से निर्भर हो चुके हैं और अब आप संतुलित आहार पर ध्यान नहीं देते हैं तो यह आपके शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी पैदा कर सकता है.


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