Saturday, October 19, 2024
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पितरों का तर्पण जल और तिल से ही क्यों? कितनी पीढ़ियों तक का होता है श्राद्ध, पंडित जी से जानें कौन कर सकता तर्पण

Pitru Paksha 2024: अद्भुत संयोगों के साथ पितृ पक्ष का प्रारंभ 17 सितंबर यानी मंगलवार से हो रहा है. तर्पण-अर्पण का यह क्रम दो अक्तूबर को पितृ विसर्जन अमावस्या तक चलेगा. बता दें कि, पितृ पक्ष के 16 दिन पितरों को तृप्त करने और उनको प्रसन्न करने के लिए होते हैं. पितृ पक्ष का प्रारंभ भाद्रपद पूर्णिमा से होकर आश्विन अमावस्या के दिन समापन होता है. पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पितरों को याद कर तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, दान, ब्राह्मण भोज, पंचबलि आदि करते हैं. इससे पितर खुश होते हैं और तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं. लेकिन, इस दौरान कुछ ऐसे भी मतभेद हैं, जिनको लेकर लोग कंफ्यूज हो जाते हैं. जैसे- पितरों को तर्पण जल और तिल से ही क्यों किया जाता है? कितनी पीढ़ियों तक का होता है श्राद्ध? कौन कर सकता है तर्पण? इस बारे में News18 को विस्तार से बता रहे हैं प्रताप विहार गाजियाबाद के ज्योतिर्विद और वास्तु विशेषज्ञ राकेश चतुर्वेदी-

17 सितंबर यानी मंगलवार को ग्रह नक्षत्रों की स्थिति के चलते 6 पर्व संयोग उपस्थित रहेंगे. चतुर्दशी तिथि 17 सितंबर को पूर्वाह्न 11.44 बजे तक है, उसके बाद पूर्णिमा तिथि लग जाएगी. इसलिए दोपहर में पूर्णिमा का श्राद्ध होगा. इस बार कोई तिथि क्षय न होने से पूरे 16 दिन के श्राद्ध होंगे. इसके अलावा, भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी 17 सितंबर को ही होगी.

जल और तिल से ही तर्पण क्यों

ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी बताते हैं कि, श्राद्ध पक्ष में जल और तिल से ही तर्पण का विधान है. इसे तिलांजलि भी कहा जाता है. बता दें कि, जल को शीतलता और त्याग प्रतीक माना जाता है. यानी जो जन्म से लय( मोक्ष) तक साथ दे, वही जल है. वहीं, तिल का संबंध सूर्य और शनि से है, जो पिता-पुत्र का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में हमारे पितरों का संबंध भी शनि से ही होता है. वहीं, तिलों को देवान्न भी कहा गया है, जिससे पितरों को तृप्ति होती है. इसलिए जल और तिल के तर्पण को विशेष माना गया है.

इतनी पीढ़ियों तक का ही श्राद्ध

श्राद्ध तीन पीढ़ियां पितृ, पितामाह और परपितामाह तक का ही होता है. ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि, सूर्य के कन्या राशि में आने पर परलोक से पितृ अपने स्वजनों के पास आते हैं. देवतुल्य स्थिति में तीन पीढ़ी के पूर्वज गिने जाते हैं. पिता को वसु के समान, रुद्र दादा के समान और परदादा आदित्य के समान माने गए हैं. मान्यता तो यह भी कि मनुष्य की स्मरण शक्ति भी तीन पीढ़ियों तक ही रहती है.

कौन-कौन कर सकता है तर्पण

तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध और दान करने के लिए कोई विशेष नियम नहीं हैं. इनको पुत्र, पौत्र, भतीजा, भांजा कोई भी श्राद्ध कर सकता है. इसके अलावा, जिनके घर में कोई पुरुष सदस्य नहीं है लेकिन पुत्री के कुल में है तो धेवता और दामाद भी श्राद्ध कर सकते हैं. यदि यह भी संभव न हो तो पुत्री अथवा बहू भी श्राद्ध कर सकती है.

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श्राद्ध करने का सही तरीका

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, सबसे पहले यम के प्रतीक कौआ, कुत्ते और गाय का अंश निकाला जाता है. फिर किसी पात्र में दूध, जल, तिल और पुष्प लें. कुश और काले तिलों के साथ तीन बार तर्पण करें. इस दौरान ऊं पितृदेवताभ्यो नम: पढ़ते रहें.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Pitru Paksha


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