पुराणों में भी पितृपक्ष के बारे में उल्लेख मिलता है.ऐसा कहा जाता है कि इसकी शुरुआत रामायण-महाभारत के काल से हुई थी.
Pitru Paksha 2024 : हिन्दू धर्म में हर व्रत और पर्व का अत्यधिक महत्व बताया गया है. वैसे ही पितृपक्ष का भी विशेष महत्व माना जाता है. इन दिनों में लोग तिथि के अनुसार, अपने पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण करते हैं. ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पूर्वज धरती पर आते हैं और उन्हें तर्पण देने से घर में सुख शांति आती है. पूर्वजों के आशीर्वाद मिलने से तरक्की होती है लेकिन आपने देखा होगा कि तर्पण करते समय जल अंगूठे से दिया जाता है. ऐसा क्यों होता है और इसका कारण क्या है? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
पितरों को अंगूठे से जल अर्पित करने का कारण
पुराणों में भी पितृपक्ष के बारे में उल्लेख मिलता है. ऐसा कहा जाता है कि इसकी शुरुआत रामायण-महाभारत के काल से हुई थी. रामायण में भगवान राम अपने पिता दशरथ का तर्पण करते समय अंगूठे से जल अर्पित करते हैं..वहीं महाभारत के दौरान पांडवों ने अपने परिजनों का तर्पण अंगूठे से जल देकर किया था.
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अंगूठे से तर्पण का जल देने का कारण शास्त्रों में मिलता है, जिसके अनुसार मनुष्य के हाथ के अंगूठे में पितरों का वास माना जाता है. यही कारण भी है कि, अंगूठे को पितृ तीर्थ कहा गया है. ऐसा माना जाता है कि जब तर्पण के दौरान अंगूठे से जल दिया जाता है तो सीधे पिंडों तक पहुंचता है. वहीं जब पिंडों पर जल गिरता है तभी पितरों को भोजन मिलता है.
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अंगूठे से जल अर्पित करने को लेकर यह भी कहा जाता है कि यदि अन्य किसी उंगली से जल अर्पित किया जाता है तो यह पितरों तक नहीं पहुंचता. ऐसे में ना तो पितरों को भोजन मिल पाता है और ना ही जल. जिससे आपके पितरों को मोक्ष भी नहीं मिलता.
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FIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 12:45 IST