Petrol Price: देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत क्या घटने वाली है? मोदी सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के बयान से तो ऐसा ही लग रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ब्रेंट क्रूड और क्रूड ऑयल की कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है, लेकिन देश में पेट्रोल-डीजल के दाम अब भी पहले की ही तरह हैं. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार 21 अक्टूबर 2024 को अपने एक बयान में कहा है, ‘तेल की कोई कमी नहीं है.’ उन्होंने कहा कि दुनिया के पास पर्याप्त कच्चा तेल है और बाजार में आपूर्ति अधिक हो रही है. इससे क्रूड ऑयल की कीमतें कम होने की उम्मीद है.
पेट्रोलियम सचिव ने पहले ही दिए थे संकेत
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के इस बयान से पहले 12 सितंबर 2024 को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव पंकज जैन ने कहा था, ‘अगर कच्चे तेल की कीमत लंबे समय तक कम रहती है, तो तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमत में कमी पर विचार कर सकती हैं.’ फिलहाल, देश में 90% तेल के बाजार पर सरकारी कंपनियों का कब्जा है. इनमें इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड शामिल हैं. इस साल आम चुनाव से ठीक पहले 14 मार्च को सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कमी की थी.
तेल की कोई कमी नहीं है: हरदीप सिंह पुरी
अब केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, ‘तेल की कोई कमी नहीं है.’ लेकिन, वैश्विक स्तर पर तनाव के कारण संघर्ष वाले क्षेत्रों से बचने के लिए माल ढुलाई और बीमा शुल्क बढ़ जाता है, जिसके कारण कीमतें बढ़ जाती हैं. उम्मीद है कि बेहतर समझ कायम होगी और कूटनीति को प्राथमिकता मिलेगी. उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर तनाव के बावजूद दुनिया में कच्चे तेल की कोई कमी नहीं है और ब्राजील और गुयाना जैसे देशों से अधिक आपूर्ति बाजार में हो रही है. उन्होंने कहा कि उपलब्धता को लेकर कोई चिंता नहीं है, हम समस्या से पार पाने को लेकर आश्वस्त हैं.
इसे भी पढ़ें: सलमान खान को धमकाने वाले लॉरेंस बिश्नोई के पास कितना है पैसा, कहां करता है खर्च
कच्चे तेल के दाम में गिरावट दर्ज
भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 85% से अधिक आयात करता है और वैश्विक दरों में कोई भी वृद्धि न केवल आयात बिल को बल्कि महंगाई को भी बढ़ाती है. इस महीने की शुरुआत में, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें लगभग 70 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 78 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गई थीं. इसका कारण पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव था. बाजार यह देखने के लिए इंतजार कर रहा था कि क्या इजराइल, ईरान के हमले के बाद कोई जवाबी कार्रवाई करेगा. उसके बाद से तेल के दाम गिरकर 73-74 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया है.
इसे भी पढ़ें: दिवाली से पहले चांदी ने रचा इतिहास, कीमत 1 लाख के पार, सोना में रिकॉर्ड उछाल