Ashwini Nakshatra वैदिक काल में केवल राशियों को नहीं बल्कि नक्षत्रों को देखकर भी भूत, भविष्य व वर्तमान का कथन किया जाता था.आकाश मंडल में 27 नक्षत्रों में से अश्विनी नक्षत्र पहले स्थान पर आता है.तीन-तीन तारों के समूह के अश्विनी नक्षत्र के स्वामी केतु हैं और इसके देव अश्विनी हैं.अश्विनी ग्रहों के राजा सूर्य के पुत्र अश्विनी कुमार हैं, जिनके नाम पर इन तारा समूह का नामकरण किया गया है.अश्विनी कुमार को देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं.इस नक्षत्र की राशि मेष और राशि स्वामी मंगल है.इसलिए इस नक्षत्र में जन्मे लोगों पर केतु और मंगल दोनों का प्रभाव पड़ता है.
अश्विनी नक्षत्र को ज्योतिषशास्त्र में बेहद महत्वपूर्ण माना गया है.इस नक्षत्र में जन्मे लोग ऊर्जावान के साथ-साथ सक्रिय भी रहते हैं.इनको छोटे-मोटे काम से संतुष्टि नहीं मिलती, ये हमेशा बड़े और महत्वपूर्ण कार्यों को करने में ही ज्यादा आनंद प्राप्त करते हैं.हर काम को समय पर और तेजी से निपटाना इनकी आदत होती है.अपनी फुर्ति और सक्रियता के चलते कार्यस्थल पर हर किसी की नजर में रहते हैं.ये जिद्दी स्वभाव के साथ-साथ शांत प्रवृति के भी होते हैं.विपरित परिस्थितियों में भी संयम व धैर्य के साथ काम करते हैं.यह कभी सुनी हुई बातों पर विश्वास नहीं करते और किसी के प्रभाव में आकर कोई निर्णय नहीं लेते. अश्विनी नक्षत्र में जन्म लोग रहस्यमय प्रकृति के भी होते हैं.अपने फायदे के काम की चीज को पहले चुपचाप कर लेते हैं और किसी से कोई जिक्र भी नहीं करते.जिंदादिल और खुशमिजाज स्वभाव के कारण पार्टी की शान होते हैं और किसी भी बात को जल्दी समझकर तुरंत निर्णय लेते हैं.निडर और साहसी होते हैं लेकिन क्रोध के कारण कभी-कभी नुकसान भी कर बैठते हैं.अपने शत्रुओं को किसी तरह पराजित करना है, इनको अच्छे से पता है.इनको ताकत या दवाब से कभी वश में नहीं किया जा सकता.इनके अंदर नेतृत्व करने की क्षमता होती है, जिसकी वजह से मित्रों के बीच कोई भी प्लान बने, उसमें इनका हाथ होता है. हालांकि, कभी-कभी अपने फैसलों की वजह से दूसरों का नुकसान भी कर बैठते हैं. दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं और हर चीज को सकारात्मक तौर पर देखते हैं.
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अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोग की चाल बहुत तेज होती है और अपने मान-सम्मान का विशेष ध्यान में रखते हैं. सामाजिक कार्य करने में हमेशा आगे रहते हैं, अगर कहीं कोई अत्याचार हो रहा हो तो वहां जाकर अपनी आवाज को बुलंद करते हैं. यह स्वतंत्र विचार के होते हैं और इसी तरह इनको अकेले में सोचना-समझना ज्यादा अच्छा लगता है. यह अगर किसी चीज का एकाबर निर्णय ले लें तो पीछे नहीं हटते. अपने मित्रों पर अपना सबकुछ न्योछावर करने की क्षमता रखते हैं. हालांकि, इनका मित्र बनना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि यह जल्दी किसी पर विश्वास नहीं करते. दान-पुण्य के कार्य में हमेशा आगे रहते हैं और धार्मिक यात्रा पर अक्सर जाते रहते हैं. अश्विनी नक्षत्र में जन्म वाले लगातार कोशिश करने वालों में से हैं, जबतक इनको सफलता नहीं मिल जाती उसका पीछा नहीं छोड़ते. जब भी किसी से प्यार करते हैं, उस पर अपना सबकुछ लूटा देते हैं और उस प्यार को जीवन के अंत तक अपने पास रखते हैं इसलिए इनका दांपत्य जीवन बहुत अच्छा रहता है. जीवनसाथी की हर इच्छा को पूरा करते हैं और उनकी भावनाओं और स्वतंत्रता का पूरा सम्मान करते हैं.
वैदिक ज्योतिष में प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में बांटा गया है, जिनमें प्रत्येक चरण की अपनी एक अलग विशेषता होती है.यह व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं.इन चरणों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं, प्रथम चरण मेष राशि से संबंधित इस चरण के स्वामी मंगल हैं, इसलिए इस चरण पर मंगल और केतु का ज्यादा प्रभाव रहता है.इस चरण में जन्में व्यक्ति साहसिक, दृढ़ इच्छाशक्ति वाले और पथ-प्रदर्शक होते हैं.
दूसरा चरण शुक्र द्वारा शासित दूसरा चरण वृषभ राशि से संबंधित है, जिस पर केतु, शुक्र तथा मंगल का प्रभाव होता है.इस चरण में जन्में व्यक्ति धार्मिक, बलवान, हंसमुख तथा संगीत व कला के क्षेत्र में अपना करियर बनाते हैं.
तीसरा चरण मिथुन राशि से संबंधित इस चरण का स्वामी बुध होता है, जिस पर केतु, मंगल तथा बुध का प्रभाव होता है.इस चरण में जन्में लोग विनोदी स्वभाव, शिक्षक, बुद्धिवान व जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं.
चौथा चरण कर्क राशि से संबंधित इस चरण का स्वामी चंद्रमा होता है.इस चरण पर केतु, मंगल तथा चंद्रमा का प्रभाव होता है.इस चरण में जन्मा व्यक्ति धार्मिक कार्य करने वाला, भावुक प्रवृत्ति और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करने वाला होता है.ऐसे व्यक्ति शिक्षा और चिकित्सा संबंधी क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करते हैं.
उपाय : अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातक को मंगलयंत्र की स्थापना कर नियमित हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए, उत्तम लाभ मिलेगा.
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FIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 10:37 IST