Parshuram Jayanti 2024: 10 मई को अक्षय तृतीया यानी आखा तीज का त्योहार है. इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार परशुराम की भी जयंती मनाई जाती है. परशुराम को भगवान विष्णु के दशावतारों में से 6ठे अवतार थे और परशुराम हिंदू धर्म में 7 चिरंजीवियों में से भी एक हैं. वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथी को परशुराम का जन्मोत्सव मनाया जाता है. भविष्य पुराण के अनुसार सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ है. परशुराम जयन्ती होने के कारण इस तिथि में भगवान परशुराम के आविर्भाव की कथा भी सुनी जाती है. इस दिन परशुराम जी की पूजा करके उन्हें अर्घ्य देने का बड़ा माहात्म्य माना गया है. लेकिन स्वयं भगवान विष्णु के अवतार कहे जाने वाले भगवान परशुराम ने अपनी ही माता के प्राण लिए थे. इतना ही नहीं, परशुराम ने अपने सगे 4 भाइयों की हत्या भी की थी. आइए बताते हैं आखिर क्या है ये कथा.
धार्मिक पुराणों के अनुसार परशुराम का जन्म महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के यहां हुआ था. ऋषि जम्दग्नि के 5 पुत्र थे, जिनका नाम था रूमणवान, सुषेण, वसु, विश्वावसु और परशुराम. परशुराम सबसे छोटे थे. उनका असली नाम राम ही था. लेकिन जब भगवान शिव ने उन्हें अपना परशु नामक अस्त्र दिया तब से उन्हें परशुराम कहा जाने लगा.
माना जाता है कि चिरंजीवी परशुराम जी को अस्त्रों-शस्त्रों का संपूर्ण ज्ञान है और उन्होंने भिष्मपितामाह, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे शिष्य शामिल थे. श्रीमद भागवद के एक दृष्टांत के अनुसार परशुराम वह पुत्र थे, जिन्होंने अपनी ही मां का सिर काट दिया था. आश्चर्य की बात ये है कि परशुराम माता-पिता के परम भक्त थे.
क्यों की परशुराम ने अपनी ही मां की हत्या
श्रीमद भागवद में वर्णित कथा ऐसी है कि ऋषि जमदग्नि के हवन के लिए उनकी पत्नी और परशुराम की माता रेणुका, प्रतिदिन नदी से जल लेने जाया करती थीं. एक दिन जब वह गईं तो उन्होंने देखा कि नदी के पास गंदर्वराज चित्ररथ कुछ अप्सराओं के साथ विहार कर रहे हैं. ये सब देख वह आसक्त हो गईं और वह वहीं रुककर सब देखने लगीं. इस वजह से उन्हें जल ले जाने में देरी हो गई और हवनकाल निकल गया. इसपर महर्षि क्रोधित हो गए. उन्होंने जब माता रेणुका से देरी का कारण पूछा तो उन्होंने सही बात नहीं बताई. लेकिन ऋषि जमदग्नि के पास दिव्य दृष्टि थी और उन्हें असली बात पता थी.
परशु से ही किया माता और 4 भाइयों का वध
पत्नी रेणुका के इस झूठ से वह बहुत क्रोधित हो गए. उन्होंने कहा कि पराए पुरुष के विहार को देख तुमने पतिव्रता नारी की मर्यादा को भंग किया है. तुम्हें इस अपराध के लिए मृत्यू दंड देता हूं. क्रोधित महर्षि ने अपने सबसे बड़े पुत्र रूमणवान को बुलाया और अपनी मां का दंड स्वरूप वध करने का कहा. ये सुनते ही वह कांप गया कि जिस मां ने जन्मदिया, उसकी हत्या कैसे करूं. बड़े पुत्र के मना करने पर ऋषि ने अपने सभी पुत्रों को बुलाया और यही करने का कहा. सभी पुत्रों ने मना कर दिया लेकिन परशुराम ने पिता की आज्ञा का पालन किया. उन्होंने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माता और अपने चारों भाइयों का वध कर दिया.
पिता से पुन: मांग लिया माता का जीवन
परशुराम जी की अपने प्रति ये भक्ति और आज्ञा का पालन देख उनके पिता ऋषि जमदग्नि खुश हो गए और उन्होंने परशुराम को वरदान मांगने का कहा. इसपर परशुराम ने कहा, ‘पिताश्री मैं आपसे अपनी माता और चारों भाइयों को जीवनदान देने और इस वध से जुड़ी उनकी सारी स्मृति हटा देने का वरदान मांगता हूं.’ ये सुनते ही जमदग्नि बहुत प्रसन्न हो गए और उन्होंने अपनी पत्नी और चारों पुत्रों को जीवनदान दे दिया. इस तरह परशुराम जी ने अपने पिता की आज्ञा का पालन भी किया और अपनी माता और भाइयों को जीवनदान भी दिया.
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FIRST PUBLISHED : May 9, 2024, 13:19 IST