पापांकुशा एकादशी का व्रत 13 अक्टूबर रविवार को है. इस दिन गृहस्थ लोग अक्टूबर एकादशी का व्रत रखेंगे और साधु-संन्यासी 14 अक्टूबर को व्रत रखेंगे. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अश्विन शुक्ल एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाता है. यह व्रत हमेशा दशहरा के अगले दिन रखते हैं. इस साल पापांकुशा एकादशी के दिन रवि योग बना है. गृहस्थ पापांकुशा एकादशी व्रत का पारण 14 अक्टूबर को करेंगे. पापांकुशा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और व्रत कथा सुनते हैं. इस व्रत को करने से 10 पीढ़ियों को मोक्ष मिलता है. उन सबका उद्धार हो जाता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा, पूजा मुहूर्त और पारण समय के बारे में.
पापांकुशा एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त और पारण समय
अश्विन शुक्ल एकादशी तिथि का शुभारंभ: 13 अक्टूबर, रविवार, सुबह 9:08 बजे से
अश्विन शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 14 अक्टूबर, सोमवार, सुबह 6:41 बजे पर
रवि योग: 13 अक्टूबर को सुबह 6:21 बजे से 14 अक्टूबर को तड़के 2:51 बजे तक
ब्रह्म मुहूर्त: 04:41 ए एम से 05:31 ए एम तक
अभिजीत मुहूर्त: 11:44 ए एम से 12:30 पी एम तक
पापांकुशा एकादशी व्रत का पारण समय: 14 अक्टूबर, सोमवार, दोपहर 1:16 बजे से 3:34 बजे तक
हरि वासर का समापन: 14 अक्टूबर, दिन में 11:56 बजे तक
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पापांकुशा एकादशी व्रत कथा
एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से अश्विन शुक्ल एकादशी व्रत की महिमा के बारे में बताने का निवेदन किया. इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि इसका नाम पापांकुशा एकादशी है. जो भी व्यक्ति पापांकुशा एकादशी व्रत रखता है, उसके समस्त पाप और दोष विष्णु कृपा से मिट जाते हैं. इस दिन भगवान पद्मनाभ की पूजा करते हैं. उनके आशीर्वाद से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वह जीवन के अंत में स्वर्ग जाता है. इतना बताने के बाद श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को पापांकुशा एकादशी की व्रत कथा सुनाई, जो कुछ इस प्रकार से है-
एक समय की बात है. विंध्य पर्वत पर एक बहेलिया रहता था, जिसका नाम क्रोधन था. वह पापी और अधर्मी व्यक्ति था, जो हिंसा करता था और बड़ा ही निर्दयी था. उसका पूरा जीवन इस प्रकार से ही व्यतीत हुआ था. समय के साथ वह भी अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंचा. अंत समय से एक दिन पूर्व यमराज के दूतों ने उसे बताया कि कल उसके जीवन का अंतिम दिन है, कल वे आकर प्राण हर लेंगे और उसकी आत्मा को साथ लेकर जाएंगे.
यमदूतों के इस संदेश से क्रोधन बहेलिया डर गया. वह काफी दुखी भी था. नरक के कष्ट और यमदूतों की यातनाओं से बचने के लिए वह वन में अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंच गया. उसने अंगिरा ऋषि को प्रणाम किया और अपने साथ घटी उस घटना को बताया. उसने अंगिरा ऋषि से कहा कि वह पूरे जीवन पाप और अधर्म ही किया है. वह इससे मुक्त होना चाहता है. इसके लिए आप कुछ ऐसे उपाय बताएं, जिससे वह पापमुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त कर ले.
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इस पर अंगिरा ऋषि ने उससे कहा कि तुम पापांकुशा एकादशी का व्रत करो और विधि विधान से पूजा करो. यह एकादशी का व्रत अश्विन शुक्ल एकादशी तिथि को रखा जाएगा. इस व्रत को करने से तुम्हारे पाप मिट जाएंगे और विष्णु कृपा से मोक्ष प्राप्त हो सकेगा. इतना सुनकर वह बहेलिया खुश हो गया. उसने अंगिरा ऋषि को प्रणाम किया और घर आ गया.
अश्विन शुक्ल एकादशी आने पर क्रोधन बहेलिया ने अंगिरा ऋषि के बताए अनुसार ही पापांकुशा एकादशी व्रत रखा. विधि विधान से पूजा की और रात में जागरण किया. अगले दिन उसने पारण करके व्रत को पूरा किया. पापांकुशा एकादशी व्रत के पुण्य प्रभाव और श्रीहरि की कृपा से उस बहेलिया के सभी पाप और दोष मिट गए. जीवन के अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई.
पापांकुशा एकादशी के दिन अन्न, जल, सोना, तिल, छाता आदि का दान किया जाता है. जो लोग इस व्रत को विधि विधान से करते हैं, उनको भी मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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FIRST PUBLISHED : October 12, 2024, 09:38 IST