Tuesday, December 17, 2024
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Panchak 2024: दशहरा समाप्त होते ही लग जायेगा पंचक, जाने पंचक के नियम

Panchak 2024: पंचक जिसे आम बोलचाल की भाषा में पचखा कहा जाता है इस माह दशहरा के समाप्त होते ही पचखा का आरम्भ हो जायेगा. पंचांग के अनुसार पंचक प्रतेक महीने के पांच ऐसे दिन आते आते है जिनका महत्व ज्योतिष में अलग दिया है. पंचक महीने में अलग अलग दिन के पड़ते है प्रतेक माह के पंचक भी अलग होता है.जब पंचक का आरम्भ होता है तभी से कोई शुभ कार्य नहीं होता है इसका प्रभाव बहुत ही नकारत्मक होता है जो शुभ कार्य करने में कई तरह से बाधा उत्पन होता है.पंचक को कई भाग में बटा गया है जो दिन के अनुसार होता है इसका विचार चंद्रमा के संचरण पर किया जाता है पंचक बहुत ही कष्टकारी होता है.

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कब से आरंभ होगा पंचक ?

13 अक्तूबर 2024 दिन रविवार समय 03:25 दोपहर से आरंभ होगा.
17 अक्तूबर 2024 दिन गुरूवार समय 06:35 सुबह में पंचक का समाप्ति होगा.

पंचक क्या होता है ?

पंचक में पाच नक्षत्र का योग होता है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब चंद्रमा घनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण और शतभिखा , पूर्वाभाद्रपद उतराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारो चरण में भ्रमण करें उसे पंचक काल यानि पचखा कहा जाता है इसमें चंद्रमा पांच दिन तक इन पांचों नक्षत्र में भ्रमण करते है.ऐसे में चंद्रमा एक राशि में लगभग सवा दो दिन रहते है राशि के अनुसार चंद्रमा जब अपनी गति से चलते है जब कुम्भ राशि में प्रवेश करते है तब से पंचक आरम्भ होता मीन राशि तक पंचक रहता है.

पंचक के नक्षत्र कैसा प्रभाव डालते है ?

पंचक के पांच नक्षत्र का अपना अपना प्रभाव अलग अलग है इस नक्षत्र में लकड़ी से बनी हुई वस्तु खरीदारी करने से हानि होता है आईए जानते है पंचक के नक्षत्र के प्रभाव.

घनिष्ठा

पंचक के इस नक्षत्र में इन चीजों को वर्जित किया गया है इस नक्षत्र में लकड़ी की वस्तु, तेल ,घास को इक्कठा करने से आग लगने का भय होता है मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहता है . इसमें खाट या पलंग का निर्माण नहीं होता है अग्नि का भय बना रहता है.

शतभिखा

शतभिखा नक्षत्र होने के कारण इसमें नया कार्य आरम्भ नहीं करते है अगर भूल से कार्य का आरम्भ हो जाय परिवार में कलेश होता है.

पूर्वाभाद्रपद

पूर्वाभाद्रपद पंचक रहने से रोग की संभावना ज्यादा बढ़ जाता है इस नक्षत्र में वयोक्ति बीमार पड़ने से वह जल्द ठीक नहीं होता है.

उतरभद्रपद

इस नक्षत्र में कार्य आरंभ करने से वह कार्य पूर्ण नहीं होता है तथा धन का हानि होता है.

रेवती

पंचक के रेवती नक्षत्र में कुछ कार्य को वर्जित किया गया है रेवती नक्षत्र में कार्य करने से बहुत ज्यादा परेशानी होती है. इस नक्षत्र में घर का छत नहीं डलवाए ,मकान का आरम्भ नहीं करें,कागजात सम्बंधित कार्य नहीं करें.इससे परिवार में तनाव होता है तथा आर्थिक मंदी होता है.

पंचक में इस काम को नहीं करें

पंचक का आरंभ होते ही लकड़ी की खरीदारी नहीं करें या लकड़ी इकट्ठा नहीं करें.मकान बन गया है उसपर छत नहीं हुआ है पंचक में छत नहीं करें.पलंग की खरीदारी नहीं करें. खाट का निर्माण नहीं करें.दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करें, पंचक की अवधि में कोई भी शुभ कार्य करना अनुकूल नहीं होता है इससे धन का हानि होता है तथा मानसिक कलेश बढ़ जाता है.

पंचक में यह कार्य की आवृति जरुर करें

पंचक की अवधि में कोई भी अशुभ कार्य करने पर उसको पांच बार दोहराना पड़ता है इसलिए पंचक काल में किसी की मृत्यु हो जाती है तब उस घर परिवार में पांच लोग की मृत्यु होती है इसलिए जिनकी मृत्यु पंचक में हो उनका दाह संस्कार के समय आटे या चावल के पांच पुतले बनाकर मृतक के साथ उनका भी दाह संस्कार कर दिया जाता है इससे परिवार के अन्य सदस्यों पर मृत्यु की संकट दूर हो जाता है.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847


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