Nirjala Ekadashi 2024 Katha: इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून दिन मंगलवार को है. उस दिन व्रत रखते हैं, जिसमें अन्न और जल का त्याग किया जाता है. निर्जला का अर्थ ही है कि बिना जल के. निर्जला एकादशी का अर्थ हुआ वह व्रत जिसमें अन्न और जल का त्याग किया जाए. इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करते हैं और निर्जला एकादशी की व्रत कथा पढ़ते हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि निर्जला एकादशी का व्रत रखने वाला मोक्ष प्राप्त करता है. आप इस एक व्रत को करके पूरे 24 एकादशी व्रतों के समान पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. आइए निर्जला एकादशी व्रत की कथा, मुहूर्त और पारण समय के बारे में जानते हैं.
निर्जला एकादशी की व्रत कथा
एक बार भीमसेन ने वेद व्यास जी से कहा कि उनके सभी भाई और माता कुंती एकादशी व्रत रखने को कहते हैं. वह दान पुण्य और पूजा पाठ तो कर सकते हैं, लेकिन समस्या यह है कि वह बिना भोजन के नहीं रह सकते हैं. इस पर व्यास जी ने कहा कि तुम स्वर्ग को अच्छा और नरक को बुरा समझते हो तो तुमको हर माह के दोनों पक्षों के एकाद़शी व्रत को करना चाहिए. उस दिन अन्न नहीं खाना चाहिए.
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इस पर भीमसेन ने कहा कि वह पहले ही बता चूके हैं कि उनसे भूख बर्दाश्त नहीं होती है. उनके पेट में वृक नामक आग है, जो बार-बार भोजन करने के बाद ही खत्म होती है. बिना भोजन किए वह नहीं रह सकते हैं. भूख के कारण वे उपवास नहीं रख सकते हैं.
भीमसेन ने व्यास जी से कहा कि आप कोई ऐसे व्रत के बारे में बताएं, जो पूरे साल में केवल एक बार ही रखना होता हो. उसके पुण्य प्रभाव से पाप मिट जाए और स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए. इस पर व्यास जी ने कहा कि हर माह में दो एकादशी व्रत होते हैं. एक शुक्ल पक्ष में और दूसरा कृष्ण पक्ष में. सभी एकादशी व्रतों को करन से व्यक्ति को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है, वह मोक्ष प्राप्त करता है.
भीमसेन भूख के कारण व्रत नहीं कर सकते थे. वह यह सोचकर परेशान हो गए कि क्या उनकों पाप से मुक्ति नहीं मिल पाएगी? उन्होंने व्यास जी से कहा कि उनको मोक्ष कैसे मिलेगा? वह सभी एकादशी व्रत तो नहीं कर सकते हैं, लेकिन कोई एक ऐसे व्रत के बारे में बताएं, जो वर्ष में एक बार हो और उसके फल से मोक्ष मिल सके.
इस पर व्यास जी ने भीमसेन से कहा कि ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी व्रत होता है. इसमें अन्न और जल ग्रहण नहीं करते हैं. जल ग्रहण से भी व्रत टूट जाता है. एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक बिना अन्न और जल के उपवास रखते हैं. द्वादशी को ब्राह्मणों को दान, भोजन आदि कराकर व्रत का पारण करना चाहिए. इस व्रत के पुण्य से वर्ष के पूरे एकादशी व्रतों का पुण्य मिलता है. पाप मिटते हैं और मोक्ष मिल जाता है.
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व्यास जी के बताए अनुसार, भीमसेन ने निर्जला एकादशी का व्रत रखा. भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की. इस व्रत के प्रभाव से उनके पाप मिट गए और जीवन के अंत में उनको मुक्ति मिल गई.
निर्जला एकादशी 2024 मुहूर्त और पारण समय
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ: 17 जून, प्रात: 04:43 ए एम से
ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 18 जून, सुबह 07:28 ए एम पर
निर्जला एकादशी व्रत पारण समय: 19 जून, सुबह 05:24 ए एम से 07:28 ए एम के मध्य
द्वादशी तिथि समाप्त: 19 जून, 07:28 ए एम पर
Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu, Nirjala Ekadashi
FIRST PUBLISHED : June 14, 2024, 10:54 IST