Friday, November 22, 2024
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Navratri 2024 Day 2, Maa Brahmacharini Vrat Katha: आज नवरात्र के दूसरे दिन जरूर करें मां ब्रह्मचारिणी की कथा का पाठ – Prabhat Khabar

Navratri Day 2, Maa Brahmacharini Vrat Katha: आज 4 अक्टूबर 2024 को नवरात्रि के दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए अत्यंत कठिन तप किया. इसी कारण से उन्हें ब्रह्मचारिणी और तपस्चारिणी के नाम से जाना जाता है. आज जरूर करें मां ब्रह्मचारिणी की कथा का पाठ

मां दुर्गा की नवशक्ति का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी है. यहां ‘ब्रह्म’ का तात्पर्य तपस्या से है. मां दुर्गा का यह स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल प्रदान करने वाला है. इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम में वृद्धि होती है. ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का पालन करने वाली. देवी का यह रूप पूर्ण रूप से ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है. इस देवी के दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमण्डल है.

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मां ब्रह्माचारिणी की कथा

पूर्वजन्म में ब्रह्मचारिणी देवी हिमालय के राजा की पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई थीं. नारदजी के मार्गदर्शन से भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की. इस तपस्या के फलस्वरूप उन्हें तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाने लगा. उन्होंने एक हजार वर्षों तक केवल फल-फूल का सेवन किया और फिर सौ वर्षों तक केवल भूमि पर रहकर शाक का आहार लिया.

कुछ समय तक उन्होंने कठोर उपवास रखा और खुले आसमान के नीचे वर्षा और धूप की कठिनाइयों को सहन किया. तीन हजार वर्षों तक उन्होंने टूटे हुए बिल्व पत्र खाकर भगवान शंकर की आराधना की. इसके बाद उन्होंने सूखे बिल्व पत्र भी खाना छोड़ दिया. कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या करती रहीं, जिसके कारण उनका नाम अपर्णा पड़ा.

कठिन तपस्या के परिणामस्वरूप देवी का शरीर अत्यंत दुर्बल हो गया. देवता, ऋषि, सिद्धगण और मुनियों ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अद्वितीय पुण्य कार्य माना और उनकी प्रशंसा की. उन्होंने कहा, “हे देवी, आज तक किसी ने इस प्रकार की कठोर तपस्या नहीं की, यह केवल आप ही कर सकीं. आपकी इच्छाएं अवश्य पूरी होंगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी आपको पति के रूप में प्राप्त होंगे. अब आप तपस्या समाप्त कर घर लौट जाइए. शीघ्र ही आपके पिता आपको लेने आ रहे हैं. मां की कथा का सार यह है कि जीवन के कठिन संघर्षों में भी मन को स्थिर रखना चाहिए. मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं.


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