Thursday, December 19, 2024
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नरक कितने तरह के होते हैं? वर्णन सुनकर कांप जाएगी रूह, एक का 64000 किलोमीटर में है फैलाव

हिंदू धर्म में मान्यता है कि जो लोग पाप कर्म करते हैं, मृत्यु के बाद उनकी आत्मा को नरक की यातनाओं को भोगना पड़ता है. नरक का कष्ट आत्मा के लिए बहुत ही दुखदायी बताया गया है. जो लोग ​जिस प्रकार के पाप कर्म करते हैं, उनको उसी प्रकार के नरक में भेजा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नरक के भी कई प्रकार होते हैं, जिनका फैलाव और स्वरूप एक दूसरे से भिन्न होता है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि एक नरक तो 64000 किलोमीटर तक फैला है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि नरक के कितने प्रकार होते हैं और उनका स्वरूप किस तरह का होता है. आइए जानते हैं कि नरक कितने तरह के होते हैं?

कितने प्रकार के होते हैं नरक?

गरुड़ पुराण के अनुसार, पक्षीराज गरुड़ ने भगवान विष्णु से कहा कि आप उन नरकों के स्वरूप और भेद बातएं, जिनमें जाकर पापी लोगों की आत्माओं को अत्यधिक कष्ट भोगना पड़ता है. इस पर भगवान विष्णु ने कहा कि नरक तो हजारों की संख्या में हैं. सभी के बारे में विस्तार से बताना संभव तो नहीं है, लेकिन कुछ प्रमुख नरकों के बारे में बताता हूं.

1. रौरव नरक: यह सभी नरकों के अपेक्षा प्रधान नरक है. यह 2000 योजन में फैला है. वहां पर जांघ भर गहराई में गड्ढा है, जो दहकते हुए अंगारों से भरा हुआ है. तेज आग से वहां की भूमि जलती रहती है. पाप आत्मा जब 1000 योजन की दूरी जैसे-तैसे पार करती है तो फिर उसे दूसरे नरक में भेजा जाता है.

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2. महारौरव नरक: यह नरक 5000 योजन में फैला है. यदि इसे किलोमीटर में देखा जाए तो यह नरक 64000 किलोमीटर में फैला है. 1 योजन में 8 मील होता है और 1 मील में 1.6 किलोमीटर होता है. (8 मील गुणा 1.6 किलोमीटर गुणा 5000 योजन= 64000 किलोमीटर ) उस नरक की भूमि तांबे के रंग की है, जिसके नीचे आग जलती रहती है. पापी लोगों के लिए यह नरक बहुत ही भयंकर दिखाई देता है. इस नरक में पापी आत्माओं को हजारों वर्षों तक कष्ट भोगना होता है, उसके बाद ही मुक्ति मिलती है.

3. अतिशीत नरक: महारौरव की तरह ही इसका भी विस्तार है. वहां पर भयंकर ठंड होती है. पापी आत्माएं भयंकर ठंड में अनेकों कष्ट झेलती हैं.

4. निकृन्तन नरक: जो बहुत बड़ा पापी होता है, उसे अतिशीत नरक के बाद निकृन्तन नरक में भेजा जाता है. इस नरक में पहिए के जैसे बड़े चक्र होते हैं, जिस पर दुष्ट आत्मा को बांध दिया जाता है. यमदूत उसे कई प्रकार के कष्ट देते हैं. हजारों वर्ष तक उस चक्र पर पापी आत्मा को कष्ट दिया जाता है, उसके बाद वह इस नरक से निकल पाती है.

5. अप्रतिष्ठ नरक: इस नरक में आने वाली आत्माओं को असहनीय कष्टों का सामना करना पड़ता है. उनको प्रताड़ित करने के लिए चक्र और रहट होती है. इन पर आत्माओं को बांधकर हजारों साल तक कष्ट​ दिया जाता है.

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6. असिपत्रवन नरक: यह नरक 1000 योजन में फैला हुआ है. इसकी भूमि पर हमेशा आग जलती रहती है. इसमें 7-7 सूर्य अपनी तेज तपिश से तपते रहते हैं. इसमें आने वाली आत्माएं आग और तपिश से जलती रहती हैं.

7. तप्तकुंभ नरक: इस नरक में चारों ओर गरम घड़े हैं. उनके चारों ओर आग जलती रहती है. उनमें गर्म तेल और लोहे का चूर्ण भरा होता है. पाप आत्माओं को उस घड़े में मुंह के बल डाल दिया जाता है. यमदूत ऐसे पापियों को अनेक प्रकार की यातनाएं देकर उनका काढ़ा बना डालते हैं.

ये 7 प्रकार के प्रमुख नरकों का उल्लेख गरुड़ पुराण में मिलता है. ये सभी नरक यमराज के राज्य में स्थित हैं.

Tags: Astrology, Dharma Aastha, Religion


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