Wednesday, December 18, 2024
HomeReligionNag Panchami 2024: काम, क्रोध, मोह, लोभ किसी सर्प से कम नहीं,...

Nag Panchami 2024: काम, क्रोध, मोह, लोभ किसी सर्प से कम नहीं, पढ़ें विज्ञान के युग में धार्मिक महत्व

Nag Panchami 2024: विज्ञान के युग में नागपंचमी के दिन नागों की पूजा के वैज्ञानिक अध्ययन से स्पष्ट होता है कि मनुष्य का जीवन भी विपरीत हालात के सपों की मौजूदगी में व्यतीत होता है. आत्मा यदि परमात्मा का अंश है, तो काम, क्रोध, मोह, लोभ आदि किसी सर्प से कम नहीं. पौराणिक कथाओं में द्वापर के अंतिम राजा परीक्षित को तमाम यज्ञ, अनुष्ठान के बावजूद तक्षक नामक सर्प मार डालता है, परीक्षित अभिमन्यु के पुत्र थे, जिन्हें अश्वत्थामा ने उत्तरा के गर्भ में ही मार डाला था, लेकिन मृत पिंड के रूप में जन्मे परीक्षित को योग-शक्ति से कृष्ण ने बचा लिया था. परीक्षित का आशय ही परीक्षण से है. संसार, आत्मा, परमात्मा के परीक्षण में अविवेक रूपी सर्प के डंसने की आशंका निरंतर बनी रहती है. विकार रूपी कलियुग जब विवेक रूपी परीक्षित के राज्य में घुसने की कोशिश कर रहा है, तो दयाभाव में आकर परीक्षित ने सोना, जुआ, मद्य, स्त्री और हिंसा में कलियुग को स्थान दे दिया. इन्हीं पंचस्थलों से निकलने वाले सर्प मनुष्य के सुखद जीवन को डंसते हैं.

नागपंचमी की एक पौराणिक कथा के अनुसार

नागपंचमी की एक पौराणिक कथा के अनुसार, सर्पों की माता कडू ने अपनी सौत विनता को धोखा देने के लिए अपने पुत्रों से कहा, लेकिन पुत्रों ने सौतेली मां को धोखा देने से मना कर दिया. इससे माता के श्राप से सर्प जलने लगा. सर्प भागे हुए ब्रह्मा के पास गये. ब्रह्मा ने श्रावण मास की पंचमी को सर्पों को वरदान दिया कि तपस्वी जरत्कारु नाम के ऋषि का पुत्र आस्तिक सर्पों की रक्षा करेगा. जब परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने इंद्र सहित तक्षक को अग्निकुंड में आहुति के लिए मंत्रपाठ किया, तब आस्तिक ने तक्षक की प्राण-रक्षा की. यह तिथि भी पंचमी ही थी. धार्मिक मान्यता है कि सर्पों की ज्वलनशीलता कम करने के लिए उन्हें दूध से स्नान कराने एवं पूजा करने का विधान बना. इसके अलावा, भारत में प्राचीन काल में अनार्य भी खुद को को तक्षक जाति का मानते थे और वे नागों की पूजा करते थे. महाभारत युद्ध के बाद इनका प्रभाव बढ़ता गया, लेकिन जन्मेजय के प्रभाव के चलते नागवंश का प्रभाव क्षीण हुआ.

Also Read: Nag Panchami 2024: राहु-केतु और कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए आज जरूर करें ये काम, जानें किन बातों का रखना होगा ख्याल

पंचमी के दिन सर्पों की पूजा

पंचमी के दिन सर्पों की पूजा के पीछे मनीषियों का दृष्टिकोण शरीर के मुख्य पंच वायु (प्राप्ण, अपान, व्यान, उदान) को योग-विद्या से जहरीले होने से बचाने का भी है. यह वायु शरीर में अनुकूल स्थिति में है, तो जीवन मणियुक्त हो जाता है, जबकि प्रतिकूल स्थिति में घातक. विकारों का सर्प हमेशा सकारात्मक परिस्थितियों को डंसता रहता है. यह भगवान शिव के गले की तरह हर व्यक्ति के गले में लिपटा रहता है. द्वापर में कालिया नाग ने यमुना के जहर को प्रदूषित कर जहरीला बना दिर्वा. उस कालिया नाग का वध करने कृष्ण यमुना में कूद पड़ते हैं. आज भी ग्लोबल वार्मिंग से लेकर किसी भी तरह के प्रदूषण को दूर करने के लिए वही आगे आ सकता है, जो इन जहरीले नागों की प्रकृति से वाकिफ हो. इस दृष्टि से देखा जाये, तो सावन महीने में महादेव की पूजा में जहरीली परिस्थितियों, जिसमें प्राकृतिक के अलावा आंतकवाद से जूझने का भी संदेश निहित है. श्री हनुमान लंका के विषैले हालात में जाकर विभीषण रूपी सकरात्मकता ढूंढ़ लेते हैं. संदेश स्पष्ट है कि जहरीलेपन का सामना पंच ज्ञानेंद्रियों से जुड़े विवेक को जागृत रखकर ही किया जा सकता है, अन्यथा दृश्य, श्रवण, गंध, स्वाद, स्पर्श के चलते बुद्धि- विवेक की कुशल परीक्षण शक्ति नष्ट हो जाती है.


Home

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular