Saturday, November 16, 2024
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Repo Rate पर एमपीसी का मंथन शुरू, 7 जून को ऐलान करेगा RBI

Repo Rate: नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) तय करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के तहत काम करने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक बुधवार को शुरू हो चुकी है. एमपीसी के सदस्य तीन दिन तक इस पर आपस में विचार-विमर्श करेंगे. इसके बाद सात मई 2024 शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास नई ब्याज दरों का ऐलान करेंगे. हालांकि, रेपो रेट में फिलहाल फरवरी 2023 से किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है.

फरवरी 2023 से रेपो रेट में नहीं हुआ है बदलाव

विशेषज्ञों का मानना ​​है कि केंद्रीय बैंक की ओर से ब्याज दर (रेपो रेट) में कटौती की उम्मीद नहीं है, क्योंकि महंगाई अब भी चिंता का विषय बनी हुई है. फरवरी, 2023 से रेपो रेट 6.5 फीसदी के उच्चस्तर पर बनी हुई है. अर्थव्यवस्था में तेजी के बीच माना जा रहा है कि एमपीसी ब्याज दरों में कटौती करने से बचेगी. केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 फीसदी किया था और तब से उसने लगातार सात बार इसे यथावत रखा है.

रेपो रेट में कटौती होने की संभावना

एसबीआई के एक शोध पत्र के अनुसार, केंद्रीय बैंक को उदार रुख को वापस लेने के अपने निर्णय पर बरकरार रहना चाहिए. एमपीसी बैठक की प्रस्तावना शीर्षक वाली रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में रेपो दर में कटौती करेगा और यह कटौती कम रहने की संभावना है. इसमें यह भी कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में पांच फीसदी के करीब रहने की उम्मीद है और उसके बाद जुलाई में घटकर तीन फीसदी रह जाएगी. इसके बाद खुदरा महंगाई के आंकड़े इस महीने के अंत में जारी किए जाएंगे. इसमें कहा गया कि अक्टूबर से वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक मुद्रास्फीति पांच फीसदी से नीचे रहने की उम्मीद है.

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भारतीय अर्थव्यवस्था का बेहतरीन प्रदर्शन

हाउसिंग डॉट कॉम और प्रॉपटाइगर डॉट कॉम के ग्रुप मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ध्रुव अग्रवाल ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है. उम्मीद की जा रही है कि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 8.2 फीसदी की प्रभावशाली वृद्धि दर हासिल की है. हालांकि, 2022-23 में सात फीसदी रही थी. उन्होंने कहा कि इसी के मद्देनजर यह उम्मीद की जा रही है कि आरबीआई एमपीसी मौजूदा मुद्रास्फीति दबावों के बीच अपने वर्तमान नीतिगत रुख को बनाए रखेगी और इस वर्ष ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम ही नजर आ रही है.

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