दुनिया में मंकीपॉक्स प्रकोप (Mpox virus) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कांगो और अफ्रीका के अन्य हिस्सों में मंकीपॉक्स प्रकोप को लेकर इमरजेंसी की घोषणा की है. डब्ल्यूएचओ की ओर से यह घोषणा इसलिए की है क्योंकि एक दर्जन से ज्यादा देशों में बच्चों और वयस्कों में मंकीपॉक्स के मामलों की पुष्टि हुई है. वायरस का एक नया वैरिएंट फैल रहा है तथा महाद्वीप में वैक्सीन की खुराकें बहुत कम उपलब्ध हैं.
इस सप्ताह के शुरू में ‘अफ्रीका सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन’ की ओर से घोषणा की गई थी कि मंकीपॉक्स प्रकोप एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातस्थिति है. इसकी वजह से 500 से अधिक लोगों की जान गई है. उसने वायरस को फैलने से रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद की बात कही थी. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयेसस ने कहा है कि यह ऐसी चीज है जिससे हम सभी को चिंतित होना चाहिए. अफ्रीका और उसके बाहर इसके फैलने की संभावना बहुत चिंताजनक है.
मंकीपॉक्स अखिर है क्या?
मंकीपॉक्स एक संक्रामक रोग है, जिसकी पहचान सबसे पहले 1970 में हुई थी. वायरस के दो सबवैरिएंट हैं- क्लेड-1 और क्लेड-2. यह एक ऐसा वायरस है जो बंदरों से इंसानों में फैला था. वायरस का ट्रांसमिशन यानी फैलाव एक से दूसरे इंसान में भी होता है. मंकीपॉक्स से संक्रमित होने के बाद सबसे पहले इंसान को बुखार आता है. उसको दाने निकलते हैं जो पूरे शरीर पर फैल सकते हैं. शुरू में दाने चेहरे पर नजर आते हैं. इसके बाद पूरे शरीर पर फैलते हैं. इस वायरस की शुरुआत भी सबसे पहले अफ्रीका से ही हुई थी.
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मंकीपॉक्स का इलाज क्या है ?
क्या मंकीपॉक्स का इलाज संभव है? यह सवाल लोगों के मन में आता है. तो बता दें कि मंकीपॉक्स से संक्रमित मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत भी पड़ जाती है. यहां लक्षणों के आधार पर मरीज का इलाज डॉक्टर करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीमारी का कोई वैक्सीन या निर्धारित दवा नहीं है. मरीज में जैसे लक्षण होते हैं उनको कंट्रोल करने के लिए ट्रीटमेंट दिया जाता है.